मुंबई: घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अगले सप्ताह नीतिगत समीक्षा के दौरान दरों में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है, हालांकि मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है.
महंगाई के बारे में क्रिसिल ने कहा कि हालात ऐसे बन रहे हैं कि उपभोक्ताओं को खाद्य वस्तुओं के लिए अधिक कीमत देनी पड़ रही है, जबकि थोक कीमतों में कमी के कारण किसानों को कम दाम मिल रहे हैं.
कई विश्लेषकों ने उम्मीद जताई है कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत दरों में कटौती जारी रखेगा.
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था के आकार में कमी की आशंका है. आरबीआई कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप फैलने के बाद से दरों में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है.
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक चार अगस्त से तीन दिनों तक होनी है और केंद्रीय बैंक छह अगस्त को अपने फैसले के बारे में बताएगा.
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क्रिसिल की शोध शाखा के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, "सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद हमारा मानना है कि विकास संबंधी चिंताएं अभी भी मुद्रास्फीति पर हावी होंगी और भारतीय रिजर्व बैंक से यह उम्मीद है कि अगस्त की नीतिगत समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी."
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण आवाजाही में बाधा के चलते उपभोक्ता कीमतें तेज हो सकती हैं.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट किसानों की आय के लिए अच्छी नहीं है, जबकि बढ़ती उपभोक्ता मुद्रास्फीति आम लोगों की क्रय शक्ति को खत्म करती है.
(पीटीआई-भाषा)