मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया.
आरबीआई ने प्रमुख उधारी दर को 0.40 प्रतिशत घटा दिया. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अचानक हुई बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया.
आरबीआई के मौद्रिक नीति बयान की मुख्य बातें
- आरबीआई ने रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया.
- रिवर्स रेपो रेट को घटाकर 3.35 प्रतिशत किया गया.
- दो महीनों में प्रमुख नीतिगत दरों में दूसरी बार बड़ी कमी.
- आरबीआई ने अहम फैसले लेने के लिए समय से पहले बुलाई एमपीसी की बैठक
- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी ने वृद्धि के परिदृश्य को सबसे गंभीर जोखिम माना.
- वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि नकारात्मक रहने का अनुमान है, दूसरी छमाही में कुछ सुधार हो सकता है.
- देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत योगदान करने वाले शीर्ष छह औद्योगिक राज्य मौटेतौर पर लाल या नारंगी क्षेत्रों हैं.
- संकेतक मार्च की शुरुआत से मांग में गिरावट की ओर इशारा कर रहे हैं.
- एमपीसी ने माना कि कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव शुरुआती अनुमानों के मुकाबले अधिक गंभीर है.
- अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र गंभीर दबाव का सामना कर रहे हैं.
- लॉकडाउन के कारण पहली तिमाही में कृषि के अलावा अन्य आर्थिक गतिविधियों के कमजोर रहने की आशंका.
- मुद्रास्फीति के अनुमान बेहद अनिश्चित.
- कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को तीन महीनों के लिए 31 अगस्त, 2020 तक बढ़ाया गया.
- उधार देने वाली संस्थाओं को कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर ब्याज को 31 अगस्त तक टालने की अनुमति है.
- आरबीआई ने 31 जुलाई से पहले किए गए आयात पर धन प्रेषण की अवधि को छह माह से बढ़ाकर 12 माह किया.
- आरबीआई ने एक्जिम बैंक को 15,000 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा दी.
- विदेशी मुद्रा भंडार 2020-21 में (15 मई तक) 9.2 अरब डॉलर बढ़कर 487 अरब डॉलर हो गया.