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राजन ने 7% की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया - भारतीय रिजर्व बैंक

राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब देश में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है, तब ऐसे में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का आंकड़ा संदेह के घेरे में आ जाता है. संदेह के इन बादलों को दूर किया जाना चाहिए.

राजन ने 7% की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया
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Published : Mar 26, 2019, 8:11 PM IST

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को भारत की सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े पर संदेह जताया है. उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को लेकर उपजे संदेह को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है.

राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब देश में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है, तब ऐसे में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का आंकड़ा संदेह के घेरे में आ जाता है. संदेह के इन बादलों को दूर किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें-राहुल की न्यूनतम आय योजना की सालाना लागत 3.6 लाख करोड़ रुपये

राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यह नहीं पता है कि मौजूदा सांख्यिकी आंकड़े किस ओर इशारा कर रहे हैं. देश की सही वृद्धि दर का पता लगाने के लिए इन्हें ठीक किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैं नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री को जानता हूं, जिन्होंने कहा था कि नौकरियां नहीं हैं तो हम कैसे सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर रहे हैं. इस मामले में एक संभावना तो यही है कि हम सात प्रतिशत की दर से आगे नहीं बढ़ रहे हों." हालांकि, राजन ने मंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया.

वित्त मंत्री मजबूत तरीके से वृद्धि दर के आंकड़ों का बचाव कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना रोजगार सृजन के अर्थव्यवस्था सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल नहीं कर सकती. उनका यह भी कहना है कि कोई बड़ा सामाजिक आंदोलन नहीं हुआ है, जो यह दर्शाता है कि यह रोजगारहीन वृद्धि नहीं है. राजन सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे.

वृद्धि दर के आंकड़ों में संशोधन के बाद कुछ आर्थिक आंकड़ों को लेकर संदेह जताया जा रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि चीजों को साफ करने की जरूरत है और इसके लिए एक निष्पक्ष समूह गठित किया जाना चाहिए. नवंबर, 2018 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया था. इसी तरह पिछले महीने सरकार ने 2017-18 की वृद्धि दर के आंकड़े को 6.7 प्रतिशत से संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है.

इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार एनएसएसओ के श्रम संबंधी सर्वे के आंकड़े जारी नहीं कर रही है, जिसमें कथित तौर पर 2017 में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है.

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को भारत की सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े पर संदेह जताया है. उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को लेकर उपजे संदेह को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है.

राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब देश में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है, तब ऐसे में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का आंकड़ा संदेह के घेरे में आ जाता है. संदेह के इन बादलों को दूर किया जाना चाहिए.

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राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यह नहीं पता है कि मौजूदा सांख्यिकी आंकड़े किस ओर इशारा कर रहे हैं. देश की सही वृद्धि दर का पता लगाने के लिए इन्हें ठीक किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैं नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री को जानता हूं, जिन्होंने कहा था कि नौकरियां नहीं हैं तो हम कैसे सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर रहे हैं. इस मामले में एक संभावना तो यही है कि हम सात प्रतिशत की दर से आगे नहीं बढ़ रहे हों." हालांकि, राजन ने मंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया.

वित्त मंत्री मजबूत तरीके से वृद्धि दर के आंकड़ों का बचाव कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना रोजगार सृजन के अर्थव्यवस्था सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल नहीं कर सकती. उनका यह भी कहना है कि कोई बड़ा सामाजिक आंदोलन नहीं हुआ है, जो यह दर्शाता है कि यह रोजगारहीन वृद्धि नहीं है. राजन सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे.

वृद्धि दर के आंकड़ों में संशोधन के बाद कुछ आर्थिक आंकड़ों को लेकर संदेह जताया जा रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि चीजों को साफ करने की जरूरत है और इसके लिए एक निष्पक्ष समूह गठित किया जाना चाहिए. नवंबर, 2018 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया था. इसी तरह पिछले महीने सरकार ने 2017-18 की वृद्धि दर के आंकड़े को 6.7 प्रतिशत से संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है.

इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार एनएसएसओ के श्रम संबंधी सर्वे के आंकड़े जारी नहीं कर रही है, जिसमें कथित तौर पर 2017 में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है.

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राजन ने 7% की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को भारत की सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े पर संदेह जताया है. उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को लेकर उपजे संदेह को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है. 

राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब देश में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है, तब ऐसे में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का आंकड़ा संदेह के घेरे में आ जाता है. संदेह के इन बादलों को दूर किया जाना चाहिए.

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राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यह नहीं पता है कि मौजूदा सांख्यिकी आंकड़े किस ओर इशारा कर रहे हैं. देश की सही वृद्धि दर का पता लगाने के लिए इन्हें ठीक किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैं नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री को जानता हूं, जिन्होंने कहा था कि नौकरियां नहीं हैं तो हम कैसे सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर रहे हैं. इस मामले में एक संभावना तो यही है कि हम सात प्रतिशत की दर से आगे नहीं बढ़ रहे हों." हालांकि, राजन ने मंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया.

वित्त मंत्री मजबूत तरीके से वृद्धि दर के आंकड़ों का बचाव कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना रोजगार सृजन के अर्थव्यवस्था सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल नहीं कर सकती. उनका यह भी कहना है कि कोई बड़ा सामाजिक आंदोलन नहीं हुआ है, जो यह दर्शाता है कि यह रोजगारहीन वृद्धि नहीं है. राजन सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे.

वृद्धि दर के आंकड़ों में संशोधन के बाद कुछ आर्थिक आंकड़ों को लेकर संदेह जताया जा रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि चीजों को साफ करने की जरूरत है और इसके लिए एक निष्पक्ष समूह गठित किया जाना चाहिए. नवंबर, 2018 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया था. इसी तरह पिछले महीने सरकार ने 2017-18 की वृद्धि दर के आंकड़े को 6.7 प्रतिशत से संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है.

इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार एनएसएसओ के श्रम संबंधी सर्वे के आंकड़े जारी नहीं कर रही है, जिसमें कथित तौर पर 2017 में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है. 


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