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पीपीए सौर परियोजनाओं को चीन से आयात पर उच्च सीमा शुल्क से मिल सकती है छूट

विद्युत मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि जिन सौर विद्युत परियोजनाओं के पास एक अगस्त, 2020 तक वैध पीपीए होंगे, उन्हें सौर उपकरणों और कल-पुर्जो के आयात पर प्रस्तावित आयात शुल्क से छूट होगी, भले ही इस तरह के आयात चीन से ही क्यों न हों.

पीपीए सौर परियोजनाओं को चीन से आयात पर उच्च सीमा शुल्क से मिल सकती है छूट
पीपीए सौर परियोजनाओं को चीन से आयात पर उच्च सीमा शुल्क से मिल सकती है छूट
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Published : Jul 4, 2020, 5:58 PM IST

नई दिल्ली: चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कर अपनी परियोजनाएं स्थापित करने वाले सौर विद्युत उत्पादकों के लिए एक राहत भरे कदम के रूप में सरकार ने उन परियोजनाओं को उच्च सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव किया है, जिनके पास उपार्जक राज्यों के साथ खरीदी समझौता होगा.

विद्युत मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि जिन सौर विद्युत परियोजनाओं के पास एक अगस्त, 2020 तक वैध पीपीए होंगे, उन्हें सौर उपकरणों और कल-पुर्जो के आयात पर प्रस्तावित आयात शुल्क से छूट होगी, भले ही इस तरह के आयात चीन से ही क्यों न हों. यह छूट एक बार के लिए होगी, क्योंकि सरकार अपने आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत उन सभी उपकरणों के आयात पर रोक लगाना चाहती है, जिनका विनिर्माण घरेलू स्तर पर हो रहा है.

विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा साल के लिए सौर मॉड्यूल आयात पर 20-25 प्रतिशत बेसिक सीमा शुल्क का प्रस्ताव किया है, जो अगले साल 40 प्रतिशत तक हो सकता है.

सौर बैटरी पर भी पहले साल के लिए 15 प्रतिशत सीमा शुल्क का प्रस्ताव है, जो अगले साल बढ़कर 30-40 प्रतिशत तक हो सकता है. ये प्रस्तावित शुल्क एक अगस्त से प्रभावी होंगे, जब सौर कल-पुर्जो के आयात पर मौजूदा सेफगार्ड शुल्क की मियाद पूरी हो जाएगी.

एक प्रमुख सौर विद्युत कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, "यह एक अच्छा घटनाक्रम है, क्योंकि इससे सौर विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब से बचा जा सकेगा और कोट किया गए टैरिफ भी यथावत रहेगा. उपकरण आयात में किसी भी बदलाव से न सिर्फ परियोजना में विलंब होता है, बल्कि उसकी लागत भी बढ़ती है."

ये भी पढ़ें: रेस्तरां उद्योग पर भारत-चीन तनाव का असर, किसी ने बदला लुक, कोई परोस रहा देसी चाइनीज फूड

भारत की एक सबसे बड़ी सौर रूफटॉप कंपनी, एम्प्लस इनर्जी सॉल्यूशंस के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संजीव अग्रवाल ने कहा, "सीमा शुल्क लगाने से अपेक्षित उद्देश्य हल नहीं होगा, क्योंकि इससे एक ऐसे सेक्टर में उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत बढ़ जाएगी, जहां वितरण कंपनियां पहले से ही भारी नुकसान झेल रही हैं."

पीपीए वाली परियोजनाओं को छूट देने के विद्युत मंत्रालय के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत होगी. सूत्रों ने कहा कि विद्युत मंत्री आर.के. सिन्हा ने उद्योग को आश्वस्त किया है कि यदि शुल्क छूट नहीं भी होगा, तो भी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय डेवलपरों को भुगतान किए गए शुल्क की क्षतिपूर्ति का दावा करने की अनुमति देगा.

सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने राज्यों से ऊर्जा सेक्टर की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में आयात रोकने के लिए कहा है, जिसके लिए घरेलू क्षमता मौजूद है. नवीकरणीय स्पेस में वित्त वर्ष 2019 में आयात 2.9 अरब डॉलर था और इसका 70 प्रतिशत हिस्सा चीन से था.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कर अपनी परियोजनाएं स्थापित करने वाले सौर विद्युत उत्पादकों के लिए एक राहत भरे कदम के रूप में सरकार ने उन परियोजनाओं को उच्च सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव किया है, जिनके पास उपार्जक राज्यों के साथ खरीदी समझौता होगा.

विद्युत मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि जिन सौर विद्युत परियोजनाओं के पास एक अगस्त, 2020 तक वैध पीपीए होंगे, उन्हें सौर उपकरणों और कल-पुर्जो के आयात पर प्रस्तावित आयात शुल्क से छूट होगी, भले ही इस तरह के आयात चीन से ही क्यों न हों. यह छूट एक बार के लिए होगी, क्योंकि सरकार अपने आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत उन सभी उपकरणों के आयात पर रोक लगाना चाहती है, जिनका विनिर्माण घरेलू स्तर पर हो रहा है.

विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा साल के लिए सौर मॉड्यूल आयात पर 20-25 प्रतिशत बेसिक सीमा शुल्क का प्रस्ताव किया है, जो अगले साल 40 प्रतिशत तक हो सकता है.

सौर बैटरी पर भी पहले साल के लिए 15 प्रतिशत सीमा शुल्क का प्रस्ताव है, जो अगले साल बढ़कर 30-40 प्रतिशत तक हो सकता है. ये प्रस्तावित शुल्क एक अगस्त से प्रभावी होंगे, जब सौर कल-पुर्जो के आयात पर मौजूदा सेफगार्ड शुल्क की मियाद पूरी हो जाएगी.

एक प्रमुख सौर विद्युत कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, "यह एक अच्छा घटनाक्रम है, क्योंकि इससे सौर विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब से बचा जा सकेगा और कोट किया गए टैरिफ भी यथावत रहेगा. उपकरण आयात में किसी भी बदलाव से न सिर्फ परियोजना में विलंब होता है, बल्कि उसकी लागत भी बढ़ती है."

ये भी पढ़ें: रेस्तरां उद्योग पर भारत-चीन तनाव का असर, किसी ने बदला लुक, कोई परोस रहा देसी चाइनीज फूड

भारत की एक सबसे बड़ी सौर रूफटॉप कंपनी, एम्प्लस इनर्जी सॉल्यूशंस के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संजीव अग्रवाल ने कहा, "सीमा शुल्क लगाने से अपेक्षित उद्देश्य हल नहीं होगा, क्योंकि इससे एक ऐसे सेक्टर में उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत बढ़ जाएगी, जहां वितरण कंपनियां पहले से ही भारी नुकसान झेल रही हैं."

पीपीए वाली परियोजनाओं को छूट देने के विद्युत मंत्रालय के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत होगी. सूत्रों ने कहा कि विद्युत मंत्री आर.के. सिन्हा ने उद्योग को आश्वस्त किया है कि यदि शुल्क छूट नहीं भी होगा, तो भी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय डेवलपरों को भुगतान किए गए शुल्क की क्षतिपूर्ति का दावा करने की अनुमति देगा.

सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने राज्यों से ऊर्जा सेक्टर की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में आयात रोकने के लिए कहा है, जिसके लिए घरेलू क्षमता मौजूद है. नवीकरणीय स्पेस में वित्त वर्ष 2019 में आयात 2.9 अरब डॉलर था और इसका 70 प्रतिशत हिस्सा चीन से था.

(आईएएनएस)

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