नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में और कमी कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप रहने की संभावना है.
ऐसे में केंद्रीय बैंक दरों में और कटौती कर सकता है.
घरेलू और वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों के अनुसार मुद्रास्फीति में कमी और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने से केंद्रीय बैंक मौद्रिक रुख नरम कर सकता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली वृद्धि के साथ 3.21 प्रतिशत रही है. जुलाई में यह 3.15 प्रतिशत के स्तर पर थी.
खाद्य वस्तुएं महंगी होने से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हुई है. इसी तरह जुलाई महीने में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर सुस्त पड़कर 4.3 प्रतिशत रही है.
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विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से आईआईपी की रफ्तार सुस्त हुई है. जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी नोमुरा के शोध नोट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के स्थिरता और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने की वजह से अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में और कटौती की उम्मीद है.
हमारा अनुमान है कि चौथी तिमाही में कुल मिलाकर नीतिगत दरों में 0.40 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. नोमुरा ने कहा कि रिजर्व बैंक का चालू वित्त वर्ष के लिए 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान कुछ अधिक आशावादी है. चार अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा में इस अनुमान को कम किया जा सकता है.
बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) के अनुसार निवेश को प्रोत्साहन के लिए वास्तविक बयाज दरों को नीचे लाना जरूरी है. ऐसे में रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में और कमी करनी होगी.
बोफाएमएल के शोध नोट में कहा गया है कि चार अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश बनती है. अगस्त महीने में मुद्रास्फीति उम्मीद से कम यानी 3.2 प्रतिशत रही है इसलिए नीतिगत दरों में कटौती की संभावना है.
घरेलू ब्रोकरेज कंपनी कोटक सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती करेगी. अक्टूबर में इसमें 0.40 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है.