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बैंकों को पूंजी बांड के जरिए नहीं, नकद में दी जानी चाहिए: रंगराजन - बैंकों को पूंजी बांड के जरिए नहीं

रंगराजन यहां बैंकों के फंसे ऋण (एनपीए) और उनके समाधान पर आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने पिछले तीन साल में बैंकों में दो लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली है और किसी भी सरकार के लिए इतनी बड़ी पूंजी नकदी में देना कठिन होगा.

बैंकों को पूंजी बांड के जरिए नहीं, नकद में दी जानी चाहिए: रंगराजन
बैंकों को पूंजी बांड के जरिए नहीं, नकद में दी जानी चाहिए: रंगराजन
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Published : Nov 29, 2019, 9:30 PM IST

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी बैंकों की पूंजी बढ़ाने के लिए उन्हें बांड जारी करने के बजाय नकद धन दिया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने अगस्त में घोषणा की थी कि सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी शुरू में ही उपलब्ध करायी जाएगी. इसका उद्देश्य उनके पास कर्ज देने के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाना है.

ये भी पढ़ें- निवेश के लिए महत्वपूर्ण है कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती: सीईए सुब्रमण्यम

रंगराजन यहां बैंकों के फंसे ऋण (एनपीए) और उनके समाधान पर आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने पिछले तीन साल में बैंकों में दो लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली है और किसी भी सरकार के लिए इतनी बड़ी पूंजी नकदी में देना कठिन होगा.

उन्होंने कहा, "बैंकों की समस्या का एक समाधान यह भी है कि उन्हें पर्याप्त तरीके ये पूंजी उपलब्ध कराई जाए."

उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए बांड जारी करने का तरीका अपनाया गया गया है. इसमें बैंकों को वास्तव में बांड पर केवल ब्याज का फायदा होता है. यह तरीका 1990 में शुरू किया गया तब हालात दूसरे थे. इस पर अब दोबारा गौर करना चाहिए.

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी बैंकों की पूंजी बढ़ाने के लिए उन्हें बांड जारी करने के बजाय नकद धन दिया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने अगस्त में घोषणा की थी कि सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी शुरू में ही उपलब्ध करायी जाएगी. इसका उद्देश्य उनके पास कर्ज देने के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाना है.

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रंगराजन यहां बैंकों के फंसे ऋण (एनपीए) और उनके समाधान पर आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने पिछले तीन साल में बैंकों में दो लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली है और किसी भी सरकार के लिए इतनी बड़ी पूंजी नकदी में देना कठिन होगा.

उन्होंने कहा, "बैंकों की समस्या का एक समाधान यह भी है कि उन्हें पर्याप्त तरीके ये पूंजी उपलब्ध कराई जाए."

उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए बांड जारी करने का तरीका अपनाया गया गया है. इसमें बैंकों को वास्तव में बांड पर केवल ब्याज का फायदा होता है. यह तरीका 1990 में शुरू किया गया तब हालात दूसरे थे. इस पर अब दोबारा गौर करना चाहिए.

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बैंकों को पूंजी बांड के जरिए नहीं, नकद में दी जानी चाहिए: रंगराजन

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी बैंकों की पूंजी बढ़ाने के लिए उन्हें बांड जारी करने के बजाय नकद धन दिया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने अगस्त में घोषणा की थी कि सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी शुरू में ही उपलब्ध करायी जाएगी. इसका उद्देश्य उनके पास कर्ज देने के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाना है.

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रंगराजन यहां बैंकों के फंसे ऋण (एनपीए) और उनके समाधान पर आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने पिछले तीन साल में बैंकों में दो लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली है और किसी भी सरकार के लिए इतनी बड़ी पूंजी नकदी में देना कठिन होगा.

उन्होंने कहा, "बैंकों की समस्या का एक समाधान यह भी है कि उन्हें पर्याप्त तरीके ये पूंजी उपलब्ध कराई जाए." 

उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए बांड जारी करने का तरीका अपनाया गया गया है. इसमें बैंकों को वास्तव में बांड पर केवल ब्याज का फायदा होता है. यह तरीका 1990 में शुरू किया गया तब हालात दूसरे थे. इस पर अब दोबारा गौर करना चाहिए.


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