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प्राकृतिक गैस से तय नहीं होगी निकट अवधि में ओएनजीसी की लाभदायता: मूडीज

मूडीज ने कहा कि दुनियाभर में राष्ट्रीय तेल कंपनियां जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा क्षेत्र में विकसित हो रहे नए बदलावों के चलते अपनी मौजूदा रणनीतियों को फिर से तय कर रही हैं.

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Published : Jun 4, 2019, 11:25 PM IST

प्राकृतिक गैस से तय नहीं होगी निकट अवधि में ओएनजीसी की लाभदायता: मूडीज

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी के लाभ में निकट अवधि में प्राकृतिक गैस का उल्लेखनीय योगदान नहीं दिखता है. भले ही कंपनी ने आने वाले कुछ सालों में उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा हो. यह अनुमान रेटिंग एजेंसी मुडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को एक रपट में जताया.

मूडीज ने कहा कि दुनियाभर में राष्ट्रीय तेल कंपनियां जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा क्षेत्र में विकसित हो रहे नए बदलावों के चलते अपनी मौजूदा रणनीतियों को फिर से तय कर रही हैं. रपट के अनुसार अध्ययन बताते हैं कि किस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां ऊर्जा संक्रमण के जोखिमों के खिलाफ तैयार हो रही हैं.

ये भी पढ़ें- गूगल मैप्स पर अब बस, ट्रेन के लिए भी यातायात की लाइव जानकारी

देश की ऊर्जा रणनीति के तहत 2020 तक देश के हाइड्रोकार्बन आयात में 10 प्रतिशत की कमी लाना है. इसके लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं जिसमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, जैवईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना, ऊर्जा दक्षता नियमों को बेहतर करना, रिफाइनरी प्रक्रिया का उन्नयन करना और कच्चे तेल की मांग के विकल्पों को प्रोत्साहन देना है.

देश ने 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत तक की कमी लाने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है.

मूडीज ने कहा कि इतने प्रयासों के बावजूद देश की ऊर्जा मांग में जीवाश्म ईंधन की अहम हिस्सेदारी बनी रहेगी.

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी के लाभ में निकट अवधि में प्राकृतिक गैस का उल्लेखनीय योगदान नहीं दिखता है. भले ही कंपनी ने आने वाले कुछ सालों में उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा हो. यह अनुमान रेटिंग एजेंसी मुडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को एक रपट में जताया.

मूडीज ने कहा कि दुनियाभर में राष्ट्रीय तेल कंपनियां जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा क्षेत्र में विकसित हो रहे नए बदलावों के चलते अपनी मौजूदा रणनीतियों को फिर से तय कर रही हैं. रपट के अनुसार अध्ययन बताते हैं कि किस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां ऊर्जा संक्रमण के जोखिमों के खिलाफ तैयार हो रही हैं.

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देश की ऊर्जा रणनीति के तहत 2020 तक देश के हाइड्रोकार्बन आयात में 10 प्रतिशत की कमी लाना है. इसके लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं जिसमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, जैवईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना, ऊर्जा दक्षता नियमों को बेहतर करना, रिफाइनरी प्रक्रिया का उन्नयन करना और कच्चे तेल की मांग के विकल्पों को प्रोत्साहन देना है.

देश ने 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत तक की कमी लाने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है.

मूडीज ने कहा कि इतने प्रयासों के बावजूद देश की ऊर्जा मांग में जीवाश्म ईंधन की अहम हिस्सेदारी बनी रहेगी.

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प्राकृतिक गैस से तय नहीं होगी निकट अवधि में ओएनजीसी की लाभदायता: मूडीज

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी के लाभ में निकट अवधि में प्राकृतिक गैस का उल्लेखनीय योगदान नहीं दिखता है. भले ही कंपनी ने आने वाले कुछ सालों में उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा हो.

यह अनुमान रेटिंग एजेंसी मुडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को एक रपट में जताया.

मूडीज ने कहा कि दुनियाभर में राष्ट्रीय तेल कंपनियां जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा क्षेत्र में विकसित हो रहे नए बदलावों के चलते अपनी मौजूदा रणनीतियों को फिर से तय कर रही हैं. रपट के अनुसार अध्ययन बताते हैं कि किस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां ऊर्जा संक्रमण के जोखिमों के खिलाफ तैयार हो रही हैं.

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देश की ऊर्जा रणनीति के तहत 2020 तक देश के हाइड्रोकार्बन आयात में 10 प्रतिशत की कमी लाना है. इसके लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं जिसमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, जैवईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना, ऊर्जा दक्षता नियमों को बेहतर करना, रिफाइनरी प्रक्रिया का उन्नयन करना और कच्चे तेल की मांग के विकल्पों को प्रोत्साहन देना है.

देश ने 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत तक की कमी लाने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है.

मूडीज ने कहा कि इतने प्रयासों के बावजूद देश की ऊर्जा मांग में जीवाश्म ईंधन की अहम हिस्सेदारी बनी रहेगी.

 


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