नई दिल्ली: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत को विनिर्माण उद्योग का गढ़ बनाने के लिये पूंजीगत सामान, चमड़ा और रसायन जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्रों की संभावनाओं की पहचान कर रहा है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है.
सूत्रों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने तथा देश को विनिर्माण का गढ़ बनाने की क्षमता है, उनकी पहचान करने के लिये उद्योग मंडलों सहित विभिन्न संबंधित पक्षों के साथ कई बैठकें हुई हैं.
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एक सूत्र ने बताया, "12 ऐसे अग्रणी क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिया जा सकता है. इनमें मॉड्यूलर फर्नीचर, खिलौने, खाद्य प्रसंस्करण (जैसे रेडी टू ईट फूड), कृषि-रसायन, वस्त्र (जैसे मानव निर्मित सूत), एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान, दवा और वाहन कल-पुर्जा शामिल हैं."
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और एसोचैम जैसे उद्योग मंडलों के प्रतिनिधियों समेत अन्य लोगों को मिलाकर इस मामले पर समूह और उप-समूह गठित किये गये हैं.
सूत्रों ने कहा कि मुख्य समूह तकनीकी क्षमता, रोजगार क्षमता और वैश्विक व घरेलू मांग जैसे मुद्दों के आधार पर क्रियान्वयित किये जाने योग्य नीतियों की पहचान करेगा.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के बाद के युग में वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखलाओं में एक व्यापक बदलाव होने जा रहा है, और भारतीय उद्योगपतियों तथा निर्यातकों को ऐसे में विश्व व्यापार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी पर काबिज होने के प्रयास करने चाहिये.
उन्होंने यह भी बताया था कि मंत्रालय ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने के ऊपर काम कर रहा है, जिन्हें निर्यात के उद्देश्य से निकट भविष्य में बढ़ावा दिया जा सकता है.
विनिर्माण को बढ़ावा देने से भारत के धीमे पड़ते निर्यात को तेज करने तथा रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने में मदद मिल सकती है.
उल्लेखनीय है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र का करीब 15 प्रतिशत योगदान है. भारत सरकार विनिर्माण क्षेत्र की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है.
(पीटीआई-भाषा)