नई दिल्ली: भारत में कारोबारियों को छोटा-मोटा कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त उद्योग में मौजूदा वृद्धि अगर जारी रही तो समाज में गरीब और हाशिये पर खड़े लोगों को दिया जाने वाला उनका कर्ज कारोबार अगले पांच साल में दोगुना हो जाएगा.
नोबेल पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस ने यह कहा. सा-धन की भारत माइक्रोफाइनसेंस रिपोर्ट-2019 जारी करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आकार बढ़ने के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं.
ये भी पढ़ें- थोक मुद्रास्फीति अगस्त महीने में 1.08 प्रतिशत पर अपरिवर्तित
उद्योग को इसके प्रबंधन को लेकर तैयार रहना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सूक्ष्म वित्त उद्योग में 40 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो रही है. इन संस्थानों द्वारा दिया गया कुल कर्ज मार्च 2019 के अंत में 1,78,552 करोड़ रुपये रहा था.
सूक्ष्म वित्त के जनक माने जाने वाले यूनुस ने कहा कि जिस गति से वृद्धि और आधार बढ़ रहा है, उद्योग का आकार दोगुना हो जाएगा. उन्होंने कहा, "प्रभावी रिकार्ड को देखते हुए अगले पांच साल में इनका आकार दोगुना हो जाएगा. उद्योग ने पिछले 25 से 30 साल में जो किया है, उसको देखते हुए अगले पांच साल में यह दोगुना हो जाएगा."
चुनौतियों के बारे में यूनुस ने कहा कि उद्योग को अब अगली पीढ़ी के लिये तैयार होना चाहिए. यानी कैसे रोजगार सृजित किया जाए, क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में कैसे रूपांतरण हो ताकि शहरों में पलायन रूके. उन्होंने पीटीआई -भाषा से कहा कि उद्योग को केवल छोटे कर्ज तक सीमित रहने के बजाए स्वास्थ्य देखभाल, सौर ऊर्जा, शिक्षा कार्यक्रम जैसे सामाजिक कारोबार के लिये परिवेश सृजित करने की भी जरूरत है.
यूनुस ने कहा, "भारत में सूक्ष्म वित्त क्षेत्र की यात्रा शानदार रही है. यह पूरे देश में फैला है. करीब 5 करोड़ लोगों ने इन संस्थानों के जरिये कर्ज लिया है. कर्ज वापसी की दर भी ऊंची है. इससे कई लोग गरीबी से बाहर आयें हैं."