नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों पार पाने के लिये बड़ी संख्या में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) ने बिना गारंटी वाली ऋण योजना का लाभ उठाने के लिये बैंकों से संपर्क किया है. एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आयी है.
केयर रेटिंग्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, जिन इकाइयों से संपर्क किया गया उनमें से 70 प्रतिशत बैंकों के पास पहुंची हैं. इनमें से अधिकांश एक करोड़ रुपये से कम का कर्ज उठाना चाहती हैं.
सर्वेक्षण में आगे पता चला कि बैंकों ने अब तक एक-तिहाई आवेदकों को कर्ज की मंजूरी दी है. अधिकांश कर्जदारों को ब्याज दर आठ से नौ प्रतिशत पड़ रही है.
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एजेंसी ने कहा कि यह सर्वेक्षण 23 जून से सात जुलाई के बीच दो सप्ताह से अधिक समय में किया गया. इसमें विभिन्न क्षेत्रों के 345 एमएसएमई इकाइयों को शामिल किया गया. ये इकाइयां 25 करोड़ रुपये से कम से लेकर 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन ने उनके कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है. एजेंसी ने कहा, "आधे से अधिक इकाइयों ने बैंकों से कर्ज की किस्तें चुकाने में दी गयी राहत की सुविधा का लाभ उठायी है. करीब 27 प्रतिशत एमएसएमई इस सुविधा का लाभ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से उठायी है."
सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि मांग में गिरावट, नकदी प्रवाह में संकुचन, वित्त, श्रम की कमी, लॉजिस्टिक की कमी और बढ़ती देनदारियां लॉकडाउन के कारण एमएसएमई के सामने उत्पन्न होने वाली मुख्य चुनौतियां हैं.
सर्वेक्षण में शामिल इकाइयों के एक तिहाई को पिछले तीन महीनों में 50 प्रतिशत से अधिक के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ा है. इसके साथ ही, उनमें से 60 प्रतिशत से अधिक अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने में असमर्थ रहे हैं. हालांकि, सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से केवल एक चौथाई ने अपने कर्मचारियों को हटाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत प्रतिभागियों को उम्मीद है कि उनके व्यवसाय को सामान्य होने में 12 महीने से अधिक समय लगेगा. सर्वेक्षण में शामिल आधे लोगों को उम्मीद है कि अगले 6 महीनों में उनकी व्यावसायिक स्थिति में सुधार होगा.
(पीटीआई-भाषा)