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भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी: गीता गोपीनाथ - राजकोषीय घाटे

आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रह सकती है.

भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी: गीता गोपीनाथ
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Published : Oct 16, 2019, 1:29 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 1:57 PM IST

वाशिंगटन: राजस्व के मोर्चे पर आशावादी रुख के बावजूद भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने यह बात कही.

आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रह सकती है.

ये भी पढ़ें- सितंबर महीने में निर्यात 6.57 प्रतिशत घटा, आयात में भी 13.58 प्रतिशत की गिरावट

गोपीनाथ ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी और उपभोक्ताओं तथा छोटी एवं मंझोली इकाइयों के ऋण लेने की क्षमता प्रभावित होने से भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ा है.

गोपीनाथ ने आईएमएफ और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक से पहले संवाददाताओं से बातचीत में यह कहा. विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट के अनुमानों पर गोपीनाथ ने कहा कि इन दिक्कतों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं. उन्होंने आर्थिक चुनौतियां दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से किए गए उपायों की सराहना करते हुए कहा कि आर्थिक मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है.

गोपीनाथ ने कहा कि इनमें वाणिज्यिक बैंकों के बहीखातों को दुरुस्त करना प्रमुख है. उन्होंने कहा, "हमारा अनुमान है कि 2020 में स्थिति में सुधार होगा और भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है. इस तर्क की वजह यह है कि इन समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा."

गोपीनाथ ने कहा कि राजकोषीय मोर्चे पर कॉरपोरेट कर में कटौती समेत कुछ उपाय किए गए हैं. हालांकि, इस बारे में नहीं बताया गया है कि इससे होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई कैसे होगी.

उन्होंने कहा, "राजस्व बढ़ाने का अनुमान है. यह आशावादी है. हालांकि , भारत के लिए राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना जरूरी है."

वाशिंगटन: राजस्व के मोर्चे पर आशावादी रुख के बावजूद भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने यह बात कही.

आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रह सकती है.

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गोपीनाथ ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी और उपभोक्ताओं तथा छोटी एवं मंझोली इकाइयों के ऋण लेने की क्षमता प्रभावित होने से भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ा है.

गोपीनाथ ने आईएमएफ और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक से पहले संवाददाताओं से बातचीत में यह कहा. विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट के अनुमानों पर गोपीनाथ ने कहा कि इन दिक्कतों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं. उन्होंने आर्थिक चुनौतियां दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से किए गए उपायों की सराहना करते हुए कहा कि आर्थिक मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है.

गोपीनाथ ने कहा कि इनमें वाणिज्यिक बैंकों के बहीखातों को दुरुस्त करना प्रमुख है. उन्होंने कहा, "हमारा अनुमान है कि 2020 में स्थिति में सुधार होगा और भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है. इस तर्क की वजह यह है कि इन समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा."

गोपीनाथ ने कहा कि राजकोषीय मोर्चे पर कॉरपोरेट कर में कटौती समेत कुछ उपाय किए गए हैं. हालांकि, इस बारे में नहीं बताया गया है कि इससे होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई कैसे होगी.

उन्होंने कहा, "राजस्व बढ़ाने का अनुमान है. यह आशावादी है. हालांकि , भारत के लिए राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना जरूरी है."

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भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी: गीता गोपीनाथ 

वाशिंगटन: राजस्व के मोर्चे पर आशावादी रुख के बावजूद भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने यह बात कही. 

आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रह सकती है.

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गोपीनाथ ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी और उपभोक्ताओं तथा छोटी एवं मंझोली इकाइयों के ऋण लेने की क्षमता प्रभावित होने से भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ा है. 

गोपीनाथ ने आईएमएफ और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक से पहले संवाददाताओं से बातचीत में यह कहा. विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट के अनुमानों पर गोपीनाथ ने कहा कि इन दिक्कतों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं. उन्होंने आर्थिक चुनौतियां दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से किए गए उपायों की सराहना करते हुए कहा कि आर्थिक मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है. 

गोपीनाथ ने कहा कि इनमें वाणिज्यिक बैंकों के बहीखातों को दुरुस्त करना प्रमुख है. उन्होंने कहा, "हमारा अनुमान है कि 2020 में स्थिति में सुधार होगा और भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है. इस तर्क की वजह यह है कि इन समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा." 

गोपीनाथ ने कहा कि राजकोषीय मोर्चे पर कॉरपोरेट कर में कटौती समेत कुछ उपाय किए गए हैं. हालांकि, इस बारे में नहीं बताया गया है कि इससे होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई कैसे होगी. 

उन्होंने कहा, "राजस्व बढ़ाने का अनुमान है. यह आशावादी है. हालांकि , भारत के लिए राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना जरूरी है."


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Last Updated : Oct 16, 2019, 1:57 PM IST
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