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स्थगन अवधि के दौरान बैंक कर्ज पर ब्याज छूट से जमाकर्ताओं के हितों को होगा नुकसान: एआईबीडीए

संगठन ने कहा है कि यदि ब्याज भुगतान में छूट दी जाती है तो इसका जमाकर्ताओं को "गंभीर खामियाजा" भुगतना पड़ेगा क्योंकि बैंक ऐसे माहौल में अपनी ब्याज ब्याज आय में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिये जमा की ब्याज दरों में और कटौती करेंगे.

स्थगन अवधि के दौरान बैंक कर्ज पर ब्याज छूट से जमाकर्ताओं के हितों को होगा नुकसान: एआईबीडीए
स्थगन अवधि के दौरान बैंक कर्ज पर ब्याज छूट से जमाकर्ताओं के हितों को होगा नुकसान: एआईबीडीए
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Published : Jun 17, 2020, 5:23 PM IST

मुंबई: बैंक जमाकर्ताओं के संगठन आल इंडिया बैंक डिपाजिटर्स एसोसियेसन (एआईबीडीए) ने कहा है कि स्थगन अवधि के दौरान बैंक कर्ज पर ब्याज से छूट दिये जाने का जमाकर्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचेगा.

संगठन ने कहा है कि किसी भी तरह की ब्याज छूट दिये जाने से ऋण संस्कृति को क्षति पहुंचेगी और साथ ही बैंकों की वित्तीय सेहत पर भी असर पड़ेगा.

संगठन ने कहा है कि यदि ब्याज भुगतान में छूट दी जाती है तो इसका जमाकर्ताओं को "गंभीर खामियाजा" भुगतना पड़ेगा क्योंकि बैंक ऐसे माहौल में अपनी ब्याज ब्याज आय में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिये जमा की ब्याज दरों में और कटौती करेंगे.

जमाकर्ताओं के संगठन ने कहा है कि एतिहासिक रूप से बयाज माफी यदि कोई दी जाती है तो उसकी भरपाई सरकार की तरफ से की जाती है, लेकिन इस समय केन्द्र और राज्यों के स्तर पर सरकारी राजस्व में कमी से इसकी गंजाइश नहीं है.

यहां यह उल्लेखनीय है कि 12 जून को उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को तीन दिन के भीतर एक बैठक करने और कोरोना वायरस की वजह से लागू कर्ज वसूली पर स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज किस्तों के ब्याज के ऊपर ब्याज से छूट दिये जाने के मुद्दे पर फैसला करने को कहा गया.

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र को मिला 3 चीनी कंपनियों से 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एस क कौल और एम आर शाह की पीठ ने कहा, "हमारा सवाल इसी मुद्दे तक सीमित है क्या ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है."

पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर संतुलित नजरिया अपनायेगी.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बैंक जमाकर्ताओं के संगठन आल इंडिया बैंक डिपाजिटर्स एसोसियेसन (एआईबीडीए) ने कहा है कि स्थगन अवधि के दौरान बैंक कर्ज पर ब्याज से छूट दिये जाने का जमाकर्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचेगा.

संगठन ने कहा है कि किसी भी तरह की ब्याज छूट दिये जाने से ऋण संस्कृति को क्षति पहुंचेगी और साथ ही बैंकों की वित्तीय सेहत पर भी असर पड़ेगा.

संगठन ने कहा है कि यदि ब्याज भुगतान में छूट दी जाती है तो इसका जमाकर्ताओं को "गंभीर खामियाजा" भुगतना पड़ेगा क्योंकि बैंक ऐसे माहौल में अपनी ब्याज ब्याज आय में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिये जमा की ब्याज दरों में और कटौती करेंगे.

जमाकर्ताओं के संगठन ने कहा है कि एतिहासिक रूप से बयाज माफी यदि कोई दी जाती है तो उसकी भरपाई सरकार की तरफ से की जाती है, लेकिन इस समय केन्द्र और राज्यों के स्तर पर सरकारी राजस्व में कमी से इसकी गंजाइश नहीं है.

यहां यह उल्लेखनीय है कि 12 जून को उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को तीन दिन के भीतर एक बैठक करने और कोरोना वायरस की वजह से लागू कर्ज वसूली पर स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज किस्तों के ब्याज के ऊपर ब्याज से छूट दिये जाने के मुद्दे पर फैसला करने को कहा गया.

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न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एस क कौल और एम आर शाह की पीठ ने कहा, "हमारा सवाल इसी मुद्दे तक सीमित है क्या ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है."

पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर संतुलित नजरिया अपनायेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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