ETV Bharat / business

अंतर मंत्रालयी समूह का देश में निजी 'क्रिप्टोकरेंसी' को प्रतिबंधित करने का सुझाव - रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी. समिति को आभासी मुद्रा से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने और इसके लिए कार्रवाई पर भी सुझाव देने का काम दिया गया.

अंतर मंत्रालयी समूह का देश में निजी 'क्रिप्टोकरेंसी' को प्रतिबंधित करने का सुझाव
author img

By

Published : Jul 22, 2019, 10:30 PM IST

नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में निजी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने की भी सिफारिश की है.

सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी. समिति को आभासी मुद्रा से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने और इसके लिए कार्रवाई पर भी सुझाव देने का काम दिया गया. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल हैं.

सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया है.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने आईएमएफ, विश्वबैंक की नीति निर्धारण प्रक्रिया के बारे में नहीं दी कोई आधिकारिक राय

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिटकॉइन के बाद अब कई आभासी मुद्राएं मसलन इथेरियम, रिप्पल और कारडानो आ गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल 2,116 आभासी मुद्राएं प्रचलन में जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है.

समिति ने 'आभासी मुद्रा प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा नियमन विधेयक', 2019 का मसौदा तैयार करने का सुझाव भी दिया है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस रिपोर्ट तथा विधेयक के मसौदे की सभी संबंधित विभागों और नियामकीय प्राधिकरणों के साथ समीक्षा की जाएगी. उसके बाद ही सरकार इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी.

इसके अलावा रिपोर्ट में डिस्ट्रिब्यूटिड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के सकारात्मक पहलुओं को रेखांकित किया है. समिति ने देश में डीएलटी के इस्तेमाल के लिए विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं सहित इसके विभिन्न एप्लिकेशंस का भी सुझाव दिया है.

बयान में कहा गया है कि डीएलटी आधारित प्रणाली का इस्तेमाल बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण जारी करने की निगरानी प्रक्रिया, रेहन प्रबंधन, धोखाधड़ी को पकड़ने और बीमा क्षेत्र में दावों के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है.

नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में निजी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने की भी सिफारिश की है.

सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी. समिति को आभासी मुद्रा से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने और इसके लिए कार्रवाई पर भी सुझाव देने का काम दिया गया. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल हैं.

सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया है.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने आईएमएफ, विश्वबैंक की नीति निर्धारण प्रक्रिया के बारे में नहीं दी कोई आधिकारिक राय

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिटकॉइन के बाद अब कई आभासी मुद्राएं मसलन इथेरियम, रिप्पल और कारडानो आ गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल 2,116 आभासी मुद्राएं प्रचलन में जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है.

समिति ने 'आभासी मुद्रा प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा नियमन विधेयक', 2019 का मसौदा तैयार करने का सुझाव भी दिया है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस रिपोर्ट तथा विधेयक के मसौदे की सभी संबंधित विभागों और नियामकीय प्राधिकरणों के साथ समीक्षा की जाएगी. उसके बाद ही सरकार इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी.

इसके अलावा रिपोर्ट में डिस्ट्रिब्यूटिड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के सकारात्मक पहलुओं को रेखांकित किया है. समिति ने देश में डीएलटी के इस्तेमाल के लिए विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं सहित इसके विभिन्न एप्लिकेशंस का भी सुझाव दिया है.

बयान में कहा गया है कि डीएलटी आधारित प्रणाली का इस्तेमाल बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण जारी करने की निगरानी प्रक्रिया, रेहन प्रबंधन, धोखाधड़ी को पकड़ने और बीमा क्षेत्र में दावों के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है.

Intro:Body:

नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में निजी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने की भी सिफारिश की है.

सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी. समिति को आभासी मुद्रा से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने और इसके लिए कार्रवाई पर भी सुझाव देने का काम दिया गया. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल हैं.

सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. साथ ही समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिटकॉइन के बाद अब कई आभासी मुद्राएं मसलन इथेरियम, रिप्पल और कारडानो आ गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल 2,116 आभासी मुद्राएं प्रचलन में जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है.

समिति ने 'आभासी मुद्रा प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा नियमन विधेयक', 2019 का मसौदा तैयार करने का सुझाव भी दिया है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस रिपोर्ट तथा विधेयक के मसौदे की सभी संबंधित विभागों और नियामकीय प्राधिकरणों के साथ समीक्षा की जाएगी. उसके बाद ही सरकार इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी.

इसके अलावा रिपोर्ट में डिस्ट्रिब्यूटिड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के सकारात्मक पहलुओं को रेखांकित किया है. समिति ने देश में डीएलटी के इस्तेमाल के लिए विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं सहित इसके विभिन्न एप्लिकेशंस का भी सुझाव दिया है.

बयान में कहा गया है कि डीएलटी आधारित प्रणाली का इस्तेमाल बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण जारी करने की निगरानी प्रक्रिया, रेहन प्रबंधन, धोखाधड़ी को पकड़ने और बीमा क्षेत्र में दावों के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.