मुंबई: कोराना वायरस महामारी के बाद देश में विभिन्न राज्यों में लोगों की आय का अंतर कम हो जायेगा. इस दौरान धनी राज्यों की आय में गरीब राज्यों के मुकाबले अधिक कमी आने की संभावना है. स्टेट बैंक की शोध रपट 'इकोरैप' में यह कहा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय 5.4 प्रतिशत घटकर 1.43 लाख रुपये सालाना रह जायेगी.
रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे धनी माने जाने वाले शहरों की प्रति व्यक्ति आय में 10 से 12 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान है वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़ीशा जैसे राज्यों में जहां प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम है प्रति व्यक्ति आय में आठ प्रतिशत से कम की गिरावट आने का अनुमान है.
एसबीआई की शोध रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना है कि कोविड-19 महामारी के बाद भारत में लोगों की आय में असमानता के बीच का अंतर कम हो जायेगा. इसकी वजह यह होगी कि इस महामारी के दौरान धनी राज्यों की आय में गरीब राज्यों की आय के मुकाबले अधिक गिरावट आयेगी."
जर्मनी में 'जर्मनी की दीवार' (1989) के गिरने के बाद भी असमानता में कमी का ऐसा ही अनुभव हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति आय में आने वाली यह गिरावट वर्तमान मूल्यों पर आधारित जीडीपी में आने वाली 3.8 प्रतिशत की गिरावट से ऊंची है.
वैश्विक स्तर पर भी 2020 में प्रति व्यक्ति जीडीपी में आने वाली 6.2 प्रतिशत की गिरावट दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में आने वाले 5.2 प्रतिशत की गिरावट से ऊंची रहेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय अखिल भारतीय स्तर के औसत से ऊंची है, ऐसे धनी राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में अधिक प्रभावित होंगे. इसके मुताबिक दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में 15.4 प्रतिशत की गिरावट और चंडीगढ़ में 13.9 प्रतिशत की संभावित गिरावट अखिल भारतीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय में आने वाली 5.4 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले करीब तीन गुणा अधिक होगी.
कुल मिलाकर आठ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की प्रति व्यक्ति आय में इस दौरान दहाई अंक में गिरावट आने का अनुमान है, यह सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात है. ये राज्य जिनकी प्रति व्यक्ति आय में दहाई अंक की गिरावट आ सकती है वह राज्य देश की जीडीपी में 47 प्रतिशत तक का योगदान रखते हैं.
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रिपोर्ट में कहा गया है इसके पीछे सच्चाई यह है कि ये शहरी इलाके (रेड जोन वाले इलाके) हैं जहां लॉकडाउन को पूरी गंभीरता से लागू किया गया. बाजारों को बंद रखा गया, शापिंग मॉल और बाजार परिसर बंद रहे जिससे इन क्षेत्रों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
यहां तक कि बाजार खुलने के बाद भी इन बाजारों में ग्राहकों की संख्या अभी भी सामान्य दिनों के मुकाबले 70 से 80 प्रतिशत तक कम है.
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान जीडीपी में 6.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है. वहीं इसमें कहा गया है कि देश में वित्त वर्ष 2021- 22 के दौरान 'अंग्रेजी के वी' आकार की तीव्र वृद्धि दर्ज की जायेगी. ऐसा तुलनात्मक आधार वर्ष अनुकुल रहने की वजह से होगा.
(पीटीआई-भाषा)