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नीतिगत दरें यथावत रखने से आर्थिक पुनरुद्धार को मिलेगी मदद: उद्योग जगत - एमपीसी बैठक

रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा. विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक से निकट भविष्य में नीतिगत रुख नरम बनाये रखने की भी उम्मीद जाहिर की.

नीतिगत दरें यथावत रखने से आर्थिक पुनरुद्धार को मिलेगी मदद: उद्योग जगत
नीतिगत दरें यथावत रखने से आर्थिक पुनरुद्धार को मिलेगी मदद: उद्योग जगत
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Published : Dec 4, 2020, 7:20 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत और विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है.

विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक से निकट भविष्य में नीतिगत रुख नरम बनाये रखने की भी उम्मीद जाहिर की. रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी कर रही है और इसी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट आयेगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि रेपो दर चार प्रतिशत पर यथावत रहेगी.

इससे पहले जनवरी से अगस्त के दौरान रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती जा चुकी है.

उद्योग एवं वाणिज्य संगठन फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, "चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही को लेकर पूर्वानुमान में पर्याप्त सुधार हुआ है. यह उत्साहजनक है, लेकिन अर्थव्यवस्था को कोविड-19 ने जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे देखते हुए हम आरबीआई और सरकार दोनों से नीतिगत समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं."

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि वृद्धि की गति को बढ़ावा देने के लिये सहारे की जरूरत को देखते हुए यह आरबीआई द्वारा लिया गया सही निर्णय है.

उन्होंने कहा, "आरबीआई वित्तीय बाजारों में पर्याप्त तरलता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सभी साधनों का उपयोग करने की इच्छा से उद्योग को बढ़ावा दे रहा है."

ये भी पढ़ें: अगले साल का बजट सावधानीभरा, आर्थिक वृद्धि बढ़ाने वाला रहने की उम्मीद: दास

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, "मुद्रास्फीति की चुनौतियों को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आरबीआई-एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. हमें ब्याज दर के रुख के संबंध में एमपीसी की सराहना करनी चाहिये."

पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक के वृद्धि अनुमान, जैसे कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी के वृद्धि की राह पर लौट आने और पूरे वित्त वर्ष के दौरान गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रहने, प्रेरक हैं. इनसे आने वाले समय में आर्थिक व व्यावसायिक गतिविधियों में भरोसे का निर्माण होगा.

फिडेलिटी इंटरनेशनल इंडिया अनुसंधान निदेशक नितिन शर्मा ने कहा कि जब तक जरूरत हो तब तक नरम रुख को जारी रखने की एमपीसी की घोषणा और तथा पुनरुद्धार की राह में सुधार की बात से बाजार को राहत मिलेगी.

मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी प्रबंध निदेशक एवं निवेश प्रमुख आशीष शंकर ने कहा कि तरलता को लेकर नरम रुख से यह सुनिश्चित होगा कि नकदी की उपलब्धता को लेकर कोई चुनौती नहीं आने वाली है.

जेएलएल के सीईओ एवं कंट्री हेड (इंडिया) रमेश नायर ने कहा कि आरबीआई का फैसला अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा है.

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के रणनीति प्रमुख मयूर द्विवेदी ने कहा कि आरबीआई का फैसला कोविड-19 महामारी के बाद की वृद्धि पर केंद्रीय बैंक के ध्यान को पुनर्जीवित करता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत और विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है.

विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक से निकट भविष्य में नीतिगत रुख नरम बनाये रखने की भी उम्मीद जाहिर की. रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी कर रही है और इसी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट आयेगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि रेपो दर चार प्रतिशत पर यथावत रहेगी.

इससे पहले जनवरी से अगस्त के दौरान रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती जा चुकी है.

उद्योग एवं वाणिज्य संगठन फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, "चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही को लेकर पूर्वानुमान में पर्याप्त सुधार हुआ है. यह उत्साहजनक है, लेकिन अर्थव्यवस्था को कोविड-19 ने जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे देखते हुए हम आरबीआई और सरकार दोनों से नीतिगत समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं."

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि वृद्धि की गति को बढ़ावा देने के लिये सहारे की जरूरत को देखते हुए यह आरबीआई द्वारा लिया गया सही निर्णय है.

उन्होंने कहा, "आरबीआई वित्तीय बाजारों में पर्याप्त तरलता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सभी साधनों का उपयोग करने की इच्छा से उद्योग को बढ़ावा दे रहा है."

ये भी पढ़ें: अगले साल का बजट सावधानीभरा, आर्थिक वृद्धि बढ़ाने वाला रहने की उम्मीद: दास

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, "मुद्रास्फीति की चुनौतियों को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आरबीआई-एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. हमें ब्याज दर के रुख के संबंध में एमपीसी की सराहना करनी चाहिये."

पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक के वृद्धि अनुमान, जैसे कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी के वृद्धि की राह पर लौट आने और पूरे वित्त वर्ष के दौरान गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रहने, प्रेरक हैं. इनसे आने वाले समय में आर्थिक व व्यावसायिक गतिविधियों में भरोसे का निर्माण होगा.

फिडेलिटी इंटरनेशनल इंडिया अनुसंधान निदेशक नितिन शर्मा ने कहा कि जब तक जरूरत हो तब तक नरम रुख को जारी रखने की एमपीसी की घोषणा और तथा पुनरुद्धार की राह में सुधार की बात से बाजार को राहत मिलेगी.

मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी प्रबंध निदेशक एवं निवेश प्रमुख आशीष शंकर ने कहा कि तरलता को लेकर नरम रुख से यह सुनिश्चित होगा कि नकदी की उपलब्धता को लेकर कोई चुनौती नहीं आने वाली है.

जेएलएल के सीईओ एवं कंट्री हेड (इंडिया) रमेश नायर ने कहा कि आरबीआई का फैसला अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा है.

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के रणनीति प्रमुख मयूर द्विवेदी ने कहा कि आरबीआई का फैसला कोविड-19 महामारी के बाद की वृद्धि पर केंद्रीय बैंक के ध्यान को पुनर्जीवित करता है.

(पीटीआई-भाषा)

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