ETV Bharat / business

भारत का विदेशी कर्ज जून अंत तक बढ़कर $571.3 अरब पहुंचा - सकल घरेलू उत्पाद GDP

भारत का विदेशी कर्ज जून के अंत में बढ़कर 571.3 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले विदेशी ऋण अनुपात जून 2021 के अंत में घटकर 20.2 प्रतिशत रह गया, जो 31 मार्च को 21.1 प्रतिशत पर था.

विदेशी कर्ज
विदेशी कर्ज
author img

By

Published : Oct 1, 2021, 6:26 AM IST

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि जून के अंत में भारत का विदेशी कर्ज 571.3 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, जो कि मार्च 2021 के अंत में रहे कर्ज के मुकाबले 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्शाता है.

हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मुकाबले विदेशी ऋण अनुपात जून 2021 के अंत में घटकर 20.2 प्रतिशत रह गया, जो 31 मार्च को 21.1 प्रतिशत पर था.

केंद्रीय बैंक ने कहा, 'मूल्यांकन प्रभाव को यदि शामिल नहीं किया जाये तो, मार्च 2021 के अंत के मुकाबले जून अंत में विदेशी ऋण में 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर के बजाय 3.3 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई होती.'

आंकड़ों के मुताबिक विदेशी कर्ज में वाणिज्यिक उधारी का सबसे बड़ा हिस्सा रहा है. यह कुल कर्ज का 37.4 प्रतिशत रहा है. इसके बाद प्रवासी भारतीय जमा का बड़ा हिस्सा 24.8 प्रतिशत पर रहा है.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि 30 जून को, लंबी अवधि का कर्ज (एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता के साथ) 468.8 अरब अमेरिकी डॉलर था, मार्च के अंत में अपने स्तर से 0.2 अरब अमेरिकी डालर की वृद्धि दर्ज की है.

कुल विदेशी ऋण में अल्पकालिक ऋण का हिस्सा 30 जून को मामूली रूप से बढ़कर 17.9 प्रतिशत हो गया, जो मार्च के अंत में 17.7 प्रतिशत था.

चालू खाते का अधिशेष बढ़कर 6.5 अरब डॉलर पर

देश के चालू खाते में 30 जून 2021 को समाप्त तिमाही में 6.5 अरब डॉलर का अधिशेष रहा है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9 प्रतिशत है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, व्यापार घाटे में कमी और सेवा प्राप्तियों में वृद्धि के कारण यह स्थिति बनी है.

आरबीएआई ने कहा कि इससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी यानी जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाते का घाटा 8.1 अरब डॉलर था. जो कि जीडीपी का 1.0 प्रतिशत था. वहीं, एक साल पहले की इसी अवधि में चालू खाते का अधिशेष 19.1 अरब डॉलर था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.7 प्रतिशत रहा था.

इसके अलावा कोविड-19 महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में चालू खाते में 0.9 प्रतिशत का अधिशेष रहा था. जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान इसमें 0.9 प्रतिशत की कमी आई थी.

आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के चालू खाते में 6.5 अरब डॉलर का अधिशेष दर्ज किया जो जीडीपी का 0.9 प्रतिशत है. वही इससे पिछली वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चालू खाते में 8.1 अरब डॉलर का घाटा यानी जीडीपी का एक प्रतिशत घाटा रहा था.

यह भी पढ़ें- भारत का विदेशी कर्ज मार्च में बढ़कर 570 अरब डॉलर हुआ

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में चालू खाते में अधिशेष का मुख्य कारण व्यापार घाटे के 41.7 अरब डॉलर से कम होकर 30.7 अरब डॉलर रहना बताया है. वहीं सेवाओं में शुद्ध प्राप्ति बढ़ी है.

देश में विदेशी मुद्रा की कुल प्राप्ति और कुल भुगतान के अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि जून के अंत में भारत का विदेशी कर्ज 571.3 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, जो कि मार्च 2021 के अंत में रहे कर्ज के मुकाबले 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्शाता है.

हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मुकाबले विदेशी ऋण अनुपात जून 2021 के अंत में घटकर 20.2 प्रतिशत रह गया, जो 31 मार्च को 21.1 प्रतिशत पर था.

केंद्रीय बैंक ने कहा, 'मूल्यांकन प्रभाव को यदि शामिल नहीं किया जाये तो, मार्च 2021 के अंत के मुकाबले जून अंत में विदेशी ऋण में 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर के बजाय 3.3 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई होती.'

आंकड़ों के मुताबिक विदेशी कर्ज में वाणिज्यिक उधारी का सबसे बड़ा हिस्सा रहा है. यह कुल कर्ज का 37.4 प्रतिशत रहा है. इसके बाद प्रवासी भारतीय जमा का बड़ा हिस्सा 24.8 प्रतिशत पर रहा है.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि 30 जून को, लंबी अवधि का कर्ज (एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता के साथ) 468.8 अरब अमेरिकी डॉलर था, मार्च के अंत में अपने स्तर से 0.2 अरब अमेरिकी डालर की वृद्धि दर्ज की है.

कुल विदेशी ऋण में अल्पकालिक ऋण का हिस्सा 30 जून को मामूली रूप से बढ़कर 17.9 प्रतिशत हो गया, जो मार्च के अंत में 17.7 प्रतिशत था.

चालू खाते का अधिशेष बढ़कर 6.5 अरब डॉलर पर

देश के चालू खाते में 30 जून 2021 को समाप्त तिमाही में 6.5 अरब डॉलर का अधिशेष रहा है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9 प्रतिशत है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, व्यापार घाटे में कमी और सेवा प्राप्तियों में वृद्धि के कारण यह स्थिति बनी है.

आरबीएआई ने कहा कि इससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी यानी जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाते का घाटा 8.1 अरब डॉलर था. जो कि जीडीपी का 1.0 प्रतिशत था. वहीं, एक साल पहले की इसी अवधि में चालू खाते का अधिशेष 19.1 अरब डॉलर था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.7 प्रतिशत रहा था.

इसके अलावा कोविड-19 महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में चालू खाते में 0.9 प्रतिशत का अधिशेष रहा था. जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान इसमें 0.9 प्रतिशत की कमी आई थी.

आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के चालू खाते में 6.5 अरब डॉलर का अधिशेष दर्ज किया जो जीडीपी का 0.9 प्रतिशत है. वही इससे पिछली वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चालू खाते में 8.1 अरब डॉलर का घाटा यानी जीडीपी का एक प्रतिशत घाटा रहा था.

यह भी पढ़ें- भारत का विदेशी कर्ज मार्च में बढ़कर 570 अरब डॉलर हुआ

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में चालू खाते में अधिशेष का मुख्य कारण व्यापार घाटे के 41.7 अरब डॉलर से कम होकर 30.7 अरब डॉलर रहना बताया है. वहीं सेवाओं में शुद्ध प्राप्ति बढ़ी है.

देश में विदेशी मुद्रा की कुल प्राप्ति और कुल भुगतान के अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.