मुंबई: भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद उससे बाहर आने और तेजी के संकेत दिखने लगे हैं. क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार कई साल तक मध्यम अवधि में आर्थिक वृद्धि दर के परिदृश्य को लेकर अनुमान को कम रखा गया था, अब इसे बढ़ाये जाने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2021-22 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान के तहत अक्टूबर 2020 के बाद आर्थिक गिरावट रूक गयी है (फिलहाल इसमें एक प्रतिशत की गिरावट है). क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों का अनुमान है कि इन अनुमानों को अब बढ़ाये जाने की उम्मीद है.
विश्लेषकों ने कहा, "भारत के मध्यम अवधि में वृद्धि परिदृश्य के अनुमान को कई साल तक कम रखे जाने के बाद, हमारा अनुमान है कि इसमें अब बढ़ोतरी की जा सकती है."
क्रेडिट सुइस के इक्विटी रणनीति के सह-प्रमुख, एशिया प्रशांत और भारत इक्विटी रणनीतिकार नीलकंठ मिश्रा ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, "मौद्रिक स्तर पर स्थिति के उदार होने से 2015-18 के दौरान जो तंग हालत थे, वह बदला है. भुगतान संतुलन (बीओपी) के मोर्चे पर अधिशेष की स्थिति से यह संभव हो पाया. साथ ही इससे प्रोत्साहन को लेकर वृहत अर्थिक गुंजाइश उपलब्ध हो पायी."
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उन्होंने कहा कि कई साल से रीयल एस्टेट चक्र का जो अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव था, वह स्थिति अब नहीं है. देश की औद्योागिक नीति में वृद्धि अनुकूल बदलाव देखा जा रहा है.
क्रेडिट सुइस के रणनीतिकार ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं वित्त वर्ष 2026-27 तक जीडीपी में 1.7 प्रतिशत का इजाफा कर सकती हैं. सालाना यह औसतन 0.3 से 0.5 प्रतिशत हो सकती है.
पिछले साल सितंबर में कंपनी कर की दरों में कटौती और श्रम कानून में सुधारों से भी वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है.
(पीटीआई-भाषा)