हैदराबाद : कोविड की दूसरी लहर के झटके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सूचकांक सकारात्मक संकेत दे रहे हैं. कंज्यूमर टेक और फाइनेंशियल टेक में डिजीटाइजेशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए जरूरी सुधार ये सब ऐसे कदम हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था को बल मिला है. आईटी सेक्टर में 550 बिलियन डॉलर से अधिक राशि इनक्रीमेंटल सैलरी में खपत होने वाली है. मिंट में प्रकाशित एक खबर में प्रभुदास लीलाधर ने अर्थव्यवस्था के प्रति यह उम्मीद जताई है.
आईटी सेक्टर ने लाखों युवाओं को नौकरी दी है. मध्यम वर्ग का एक बड़ा तबका इसमें काम करता है. जैसे-जैसे यह सेक्टर डिजिटल कदम उठा रहा है, साइबर सुरक्षा और क्लाउट टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहा है, आईटी में अभी बहुत अधिक युवाओं के लिए नौकरी की गुंजाइश बनती जा रही है. आने वाले समय में आईटी पेशेवरों की डिमांड बढ़ने वाली है.
लीलाधर की रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में आईटी सेक्टर में टैलेंट की मांग बढ़ने वाली है. लैटेरल एंट्री भी होगी. जाहिर है, ऐसे में आईटी कंपनियों का निवेश भी बढ़ेगा और एम्पलॉय कॉस्ट भी बढ़ेगा.
हालांकि, आईटी सेक्टर में नौकरी बढ़ने और फिर उन लोगों की आमदनी बढ़ने से सबसे अधिक फायदा रियल एस्टेट का होने वाला है. व्हीकल इंडस्ट्री को फायदा होगा. क्लोथिंग में निवेश करने वालों को भी बहुत बड़ा मौका मिलेगा. क्विक सर्विस रेस्तरां का धंधा बढ़ेगा. ऐसे में यात्रा और मनोरंजन उद्योग का दायरा तो लाजिमी है.
प्रभुदास लीलाधर ने कहा, हालांकि इसका प्रभाव व्यापक होगा, लेकिन यह बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, एनसीआर दिल्ली और पुणे जैसे आईटी केंद्रों में अधिक दिखाई देगा. 80% से अधिक आईटी पेशेवर यहीं से आते हैं.
पिछली तिमाही के अनुसार भारत की शीर्ष 5 आईटी फर्मों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल और टेक महिंद्रा रहा है. इन्होंने 53 हजार लोगों की भर्ती की थी. उससे पिछले साल में इन कंपनियों ने 87 हजार लोगों की भर्ती की थी. प्रभुदास लीलाधर मानते हैं कि इस बार 1.10 लाख से अधिक युवाओं को नौकरी मिलने की संभावना है.
रिपोर्ट का मानना है कि आने वाले वर्षों में आईटी क्षेत्र मजबूत विकास के लिए है, हालांकि पिछली कुछ तिमाहियों की तेज चाल के बाद निकट अवधि में ठहराव भी हो सकता है.