नई दिल्ली: भारत 2017 के क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है. सरकार ने मंगलवार को विश्वबैंक के हवाले से यह कहा.
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के स्तर पर रुपया प्रति डॉलर पीपीपी 2017 में बढ़कर 20.65 हो गया जो 2011 में 15.55 था. वहीं रुपये के लिये डॉलर की विनिमय दर 2017 में बढ़कर 65.12 हो गयी जो 2011 में 46.67 थी.
साथ ही कीमत स्तर सूचकांक (पीएलआई) यानी पीपीपी का संबंधित बाजार विनिमय दर से अनुपात 2017 में सुधरकर 47.55 रहा जो 2011 में 42.99 था. इसका उपयोग अर्थव्यवस्थाओं में कीमत स्तर की तुलना करने में किया जाता है.
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार वर्ष 2017 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा. पीपीपी के हिसाब से वैश्विक जीडीपी में उसकी हिस्सेदारी 6.7 प्रतिशत रही (दुनिया के कुल 1,19,547 अरब डॉलर के जीडीपी में 8,051 अरब डॉलर) वहीं चीन और अमेरिकी हिस्सेदारी क्रमश: 16.4 प्रतिशत और 16.3 प्रतिशत है.
एनएसओ की विज्ञप्ति के अनुसार, "पीपीपी आधारित वैश्विक वास्तविक व्यक्तिगत खपत में हिस्सेदारी और वैश्विक सकल पूंजी निर्माण के आधार पर भी भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है."
विश्व बैंक ने इंटरनेशनल कम्पैरिजन प्रोग्राम' (आईसीपी) के तहत संदर्भ वर्ष 2017 के लिये नया पीपीपी जारी किया है. यह दुनिया की सभी अर्थव्यवसथाओं में जीवन स्तर की लागत में अंतर को समायोजित करता है. वैश्विक स्तर पर आईसीपी में 176 देश शामिल हुए.
संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (यूएनएससी) के तहत आईसीपी दुनिया की सबसे बड़ी आंकड़ा संग्रह पहल है. इसका मकसद पीपीपी का आकलन करना है जो दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों की तुलना के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
विज्ञप्ति के अनुसार भारत ने अपनी क्षेत्रीय स्थिति भी बरकरार रखी है और पीपीपी के संदर्भ में क्षेत्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20.83 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रही. वहीं चीन 50.76 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले और इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर रही.
भारत पीपीपी आधारित क्षेत्रीय स्तर पर वास्तविक व्यक्तिगत खपत और क्षेत्रीय सकल पूंजी निर्माण के आधार पर भी दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
अगला संदर्भ वर्ष 2021 होगा जिसमें पीपीपी के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना की जाएगी.
(पीटीआई-भाषा)