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भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूती के लिए एक दशक तक तीव्र वृद्धि की जरूरत : एन. के. सिंह - एन. के. सिंह

पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के. सिंह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के स्थापना दिवस पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और अवसंरचना के रखरखाव में सुधार के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग निणार्यक अंतर ला सकता है.

भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूती के लिए एक दशक तक तीव्र वृद्धि की जरूरत : एन. के. सिंह
भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूती के लिए एक दशक तक तीव्र वृद्धि की जरूरत : एन. के. सिंह
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Published : Aug 3, 2020, 10:10 AM IST

नई दिल्ली: भारत को वैश्विक स्तर पर महत्वपूण भागीदार निभागने के लिए अगले एक दशक अधिक तेजी से वृद्धि करने की जरूरत है. इस बात पर बल देते हुए पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के. सिंह ने रविवार को कहा कि इसके लिए उसे प्रौद्योगिकी के उपयोग और सुधार को भी बढ़ावा देना होगा.

उन्होंने कहा कि सात से आठ प्रतिशत की संभावित आर्थिक वृद्धि दर पाने के लिए भारत को उत्पादकता में सुधार तथा पूंजी व उत्पादन के अनुपात को आगे कम करना होगा.

ये भी पढ़ें- आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने की हड़बड़ी के बीच इस सप्ताह होगी मौद्रिक नीति समिति की बैठक

सिंह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के स्थापना दिवस पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और अवसंरचना के रखरखाव में सुधार के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग निणार्यक अंतर ला सकता है.

सिंह ने कहा, "यदि हमें अहम वैश्विक भूमिका अदा करनी है तो हमें अगले एक दशक में पिछले दस सालों की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करने की जरूरत होगी."

उन्होंने कहा कि केवल प्रौद्योगिकी समाधान ही आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को मूर्त रूप दे सकता है. सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में कई खामियां उजागर की हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश का सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.96 प्रतिशत रहा. यह भारत के समकक्ष देशों में सबसे निचले स्तर में से एक है. इसमें से 70 प्रतिशत राज्य सरकारों ने जबकि 30 प्रतिशत व्यय केंद्र सरकार ने किया.

सिंह ने ई-लर्निंग, स्वास्थ्य रिकॉर्डों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सहेजना, बीमारी पर नजर रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली, प्रयोगशाला और फार्मेसी सूचना प्रणाली इत्यादि के उपयोग का भी सुढाव दिया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारत को वैश्विक स्तर पर महत्वपूण भागीदार निभागने के लिए अगले एक दशक अधिक तेजी से वृद्धि करने की जरूरत है. इस बात पर बल देते हुए पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के. सिंह ने रविवार को कहा कि इसके लिए उसे प्रौद्योगिकी के उपयोग और सुधार को भी बढ़ावा देना होगा.

उन्होंने कहा कि सात से आठ प्रतिशत की संभावित आर्थिक वृद्धि दर पाने के लिए भारत को उत्पादकता में सुधार तथा पूंजी व उत्पादन के अनुपात को आगे कम करना होगा.

ये भी पढ़ें- आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने की हड़बड़ी के बीच इस सप्ताह होगी मौद्रिक नीति समिति की बैठक

सिंह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के स्थापना दिवस पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और अवसंरचना के रखरखाव में सुधार के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग निणार्यक अंतर ला सकता है.

सिंह ने कहा, "यदि हमें अहम वैश्विक भूमिका अदा करनी है तो हमें अगले एक दशक में पिछले दस सालों की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करने की जरूरत होगी."

उन्होंने कहा कि केवल प्रौद्योगिकी समाधान ही आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को मूर्त रूप दे सकता है. सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में कई खामियां उजागर की हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश का सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.96 प्रतिशत रहा. यह भारत के समकक्ष देशों में सबसे निचले स्तर में से एक है. इसमें से 70 प्रतिशत राज्य सरकारों ने जबकि 30 प्रतिशत व्यय केंद्र सरकार ने किया.

सिंह ने ई-लर्निंग, स्वास्थ्य रिकॉर्डों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सहेजना, बीमारी पर नजर रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली, प्रयोगशाला और फार्मेसी सूचना प्रणाली इत्यादि के उपयोग का भी सुढाव दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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