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भारत को किसानोन्मुखी नीतियों की जरूरत है: कृषि अर्थशास्त्री - Modi2.0

कृषि प्रधान देश होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय भी अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसे में आने वाले बजट में कृषि क्षेत्र के लिए क्या ऐसी योजनाएं हो जिससे देश के विकास दर को गति मिले और कृषि क्षेत्र को भी अधिक फायदा मिले.

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भारत को किसानोन्मुखी नीतियों की जरूरत है: कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना
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Published : Jan 23, 2020, 7:12 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 3:43 AM IST

नई दिल्ली: आने वाली 1 फरवरी को देश का बजट और मोदी सरकार का दूसरा बजट वित्त मंत्री के द्वारा पेश किया जाएगा. पिछले बजट को लेकर जहां जनता में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा था वही इस बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था बहर हाल अच्छी स्थिति में नहीं है और विकास दर लगातार नीचे गया है.

कृषि प्रधान देश होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय भी अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसे में आने वाले बजट में कृषि क्षेत्र के लिए क्या ऐसी योजनाएं हो जिससे देश के विकास दर को गति मिले और कृषि क्षेत्र को भी अधिक फायदा मिले.

ईटीवी भारत ने इन्हीं विषयों पर बातचीत की जाने-माने अर्थशास्त्री और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ विजय सरदाना से.

भारत को किसानोन्मुखी नीतियों की जरूरत है: कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना

विजय सरदाना अभी हाल में प्याज की बढ़ती कीमतें और देश में तेल के लगातार हो रहे आयात जैसे विषयों को उठाते हुए कहा कि सबसे पहले बजट में इस बात का प्रावधान जरूर होना चाहिए कि देशभर में किस तरह से भंडारण की सुविधा को बढ़ाया जा सके.

जहां तक तिलहन का सवाल है सरकार को इस बात पर भी विचार करना होगा कि किस तरह से लोगों को धान, गेहूं और मक्के की खेती की तरफ से ध्यान हटाकर तिलहन की खेती पर लाया जाए. इसके लिए जो भी सुविधाएं या यांत्रिक सहयोग किसानों को देने के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाना चाहिए.

सरदाना का कहना है कि केवल एमएसपी बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है बल्कि सरकार को इस बात पर विचार करना पड़ेगा कि किस तरह से किसानों को पारंपरिक खेती से अत्याधुनिक तकनीक वाली खेती पर लाया जाए और उनकी प्रति इकाई उत्पादकता को बढ़ाया जाए जिससे कि उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद मिले.

विशेषज्ञ मानते हैं की यंत्रीकरण का मतलब केवल ट्रैक्टरों और बड़े मशीनों से खेती करना नहीं है. बल्कि छोटे खेत वाले किसानों के लिए भी छोटे यंत्र और अन्य तकनीकों का इजाद होना चाहिए जिसके लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए और बजटीय आवंटन भी करना चाहिए.

वही किसानों के खाते तक सीधे पैसे पहुंचाने की योजनाओं पर टिप्पणी करते हुए सरदाना का कहना है कि सीधे किसानों तक पैसा पहुंचाने के साथ साथ सरकार को यह भी सोचना होगा कि किस तरह से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध हो पाए.

हमारे देश में कुल छह लाख से ज्यादा गांव है इन सभी गांव तक अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, खाद, कीटनाशक और अन्य यंत्र किसानों तक पहुंचे इसके लिए सरकार को जरूर कोई योजना लानी चाहिए. इन योजनाओं से न केवल किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि खेती में उत्पादकता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

बतौर सरदाना किसानों की आमदनी बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका उनके इनपुट कॉस्ट को कम करना है जब लागत मूल्य कम होगी तो किसानों को फायदा ज्यादा होगा.
ये भी पढ़ें: फिर से तेजी के रास्ते पर बढ़ने को तैयार भारतीय अर्थव्यवस्था: गोयल

नई दिल्ली: आने वाली 1 फरवरी को देश का बजट और मोदी सरकार का दूसरा बजट वित्त मंत्री के द्वारा पेश किया जाएगा. पिछले बजट को लेकर जहां जनता में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा था वही इस बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था बहर हाल अच्छी स्थिति में नहीं है और विकास दर लगातार नीचे गया है.

कृषि प्रधान देश होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय भी अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसे में आने वाले बजट में कृषि क्षेत्र के लिए क्या ऐसी योजनाएं हो जिससे देश के विकास दर को गति मिले और कृषि क्षेत्र को भी अधिक फायदा मिले.

ईटीवी भारत ने इन्हीं विषयों पर बातचीत की जाने-माने अर्थशास्त्री और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ विजय सरदाना से.

भारत को किसानोन्मुखी नीतियों की जरूरत है: कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना

विजय सरदाना अभी हाल में प्याज की बढ़ती कीमतें और देश में तेल के लगातार हो रहे आयात जैसे विषयों को उठाते हुए कहा कि सबसे पहले बजट में इस बात का प्रावधान जरूर होना चाहिए कि देशभर में किस तरह से भंडारण की सुविधा को बढ़ाया जा सके.

जहां तक तिलहन का सवाल है सरकार को इस बात पर भी विचार करना होगा कि किस तरह से लोगों को धान, गेहूं और मक्के की खेती की तरफ से ध्यान हटाकर तिलहन की खेती पर लाया जाए. इसके लिए जो भी सुविधाएं या यांत्रिक सहयोग किसानों को देने के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाना चाहिए.

सरदाना का कहना है कि केवल एमएसपी बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है बल्कि सरकार को इस बात पर विचार करना पड़ेगा कि किस तरह से किसानों को पारंपरिक खेती से अत्याधुनिक तकनीक वाली खेती पर लाया जाए और उनकी प्रति इकाई उत्पादकता को बढ़ाया जाए जिससे कि उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद मिले.

विशेषज्ञ मानते हैं की यंत्रीकरण का मतलब केवल ट्रैक्टरों और बड़े मशीनों से खेती करना नहीं है. बल्कि छोटे खेत वाले किसानों के लिए भी छोटे यंत्र और अन्य तकनीकों का इजाद होना चाहिए जिसके लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए और बजटीय आवंटन भी करना चाहिए.

वही किसानों के खाते तक सीधे पैसे पहुंचाने की योजनाओं पर टिप्पणी करते हुए सरदाना का कहना है कि सीधे किसानों तक पैसा पहुंचाने के साथ साथ सरकार को यह भी सोचना होगा कि किस तरह से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध हो पाए.

हमारे देश में कुल छह लाख से ज्यादा गांव है इन सभी गांव तक अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, खाद, कीटनाशक और अन्य यंत्र किसानों तक पहुंचे इसके लिए सरकार को जरूर कोई योजना लानी चाहिए. इन योजनाओं से न केवल किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि खेती में उत्पादकता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

बतौर सरदाना किसानों की आमदनी बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका उनके इनपुट कॉस्ट को कम करना है जब लागत मूल्य कम होगी तो किसानों को फायदा ज्यादा होगा.
ये भी पढ़ें: फिर से तेजी के रास्ते पर बढ़ने को तैयार भारतीय अर्थव्यवस्था: गोयल

Intro:आने वाली 1 फरवरी को देश का बजट और मोदी सरकार का दूसरा बजट वित्त मंत्री के द्वारा पेश किया जाएगा। पिछले बजट को लेकर जहां जनता में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा था वही इस बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था बहर हाल अच्छी स्थिति में नहीं है और विकास दर लगातार नीचे गया है। कृषि प्रधान देश होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय भी अहम भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में आने वाले बजट में कृषि क्षेत्र के लिए क्या ऐसी योजनाएं हो जिससे देश के विकास दर को गति मिले और कृषि क्षेत्र को भी अधिक फायदा मिले। ईटीवी भारत ने इन्हीं विषयों पर बातचीत की जाने-माने अर्थशास्त्री और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ विजय सरदाना से।
विजय सरदाना अभी हाल में प्याज की बढ़ती कीमतें और देश में तेल के लगातार हो रहे आयात जैसे विषयों को उठाते हुए कहा कि सबसे पहले बजट में इस बात का प्रावधान जरूर होना चाहिए कि देशभर में किस तरह से भंडारण की सुविधा को बढ़ाया जा सके। जहां तक तिलहन का सवाल है सरकार को इस बात पर भी विचार करना होगा कि किस तरह से लोगों को धान, गेहूं और मक्के की खेती की तरफ से ध्यान हटाकर तिलहन की खेती पर लाया जाए। इसके लिए जो भी सुविधाएं या यांत्रिक सहयोग किसानों को देने के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाना चाहिए। रोहित सरदाना का कहना है कि केवल एमएसपी बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है बल्कि सरकार को इस बात पर विचार करना पड़ेगा कि किस तरह से किसानों को पारंपरिक खेती से अत्याधुनिक तकनीक वाली खेती पर लाया जाए और उनकी प्रति इकाई उत्पादकता को बढ़ाया जाए जिससे कि उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद मिले।


Body:विशेषज्ञ मानते हैं की यंत्रीकरण का मतलब केवल ट्रैक्टरों और बड़े मशीनों से खेती करना नहीं है। बल्कि छोटे खेत वाले किसानों के लिए भी छोटे यंत्र और अन्य तकनीकों का इजाद होना चाहिए जिसके लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए और बजटीय आवंटन भी करना चाहिए। वही किसानों के खाते तक सीधे पैसे पहुंचाने की योजनाओं पर टिप्पणी करते हुए विजय सरदाना का कहना है कि सीधे किसानों तक पैसा पहुंचाने के साथ साथ सरकार को यह भी सोचना होगा कि किस तरह से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध हो पाए। हमारे देश में कुल छह लाख से ज्यादा गांव है इन सभी गांव तक अच्छी गुणवत्ता वाले बीज ,खाद, कीटनाशक और अन्य यंत्र किसानों तक पहुंचे इसके लिए सरकार को जरूर कोई योजना लानी चाहिए। इन योजनाओं से न केवल किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि खेती में उत्पादकता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
बतौर रोहित सरदाना किसानों की आमदनी बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका उनके इनपुट कॉस्ट को कम करना है जब लागत मूल्य कम होगी तो किसानों को फायदा ज्यादा होगा।


Conclusion:
Last Updated : Feb 18, 2020, 3:43 AM IST
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