नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है और उसके फायदे के आकलन को लेकर लागत लाभ विश्लेषण करेगा.
रायसीना डायलॉग के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत आरसीईपी समझौते से अपने को इस लिए अलग रखा क्योंकि समूह में शामिल देश जो पेशकश कर रहे थे, वह भारत की उम्मीदों के अनुरूप नहीं थे.
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उन्होंने कहा, "जहां तक आरसीईपी का सवाल है, हमें लागत लाभ विश्लेषण करना होगा. हम आर्थिक और व्यापार के आधार पर आरसीईपी के लाभ का आकलन करेंगे. हमने इसको लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है."
कई साल की वार्ता के बाद भारत नवंबर में प्रस्तावित आरसीईपी से हट गया. इसका कारण बैंकाक में प्रतिभागी देशों के शिखर सम्मेलन में मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं होना था.
भारत ने कहा कि मौजूदा रूप में प्रस्तावित समझौते का भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के 10 सदस्य देश और छह वार्ता भागीदार...चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.
भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी को लेकर दरवाजा बंद नहीं किया: जयशंकर
रायसीना डायलॉग के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत आरसीईपी समझौते से अपने को इस लिए अलग रखा क्योंकि समूह में शामिल देश जो पेशकश कर रहे थे, वह भारत की उम्मीदों के अनुरूप नहीं थे.
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है और उसके फायदे के आकलन को लेकर लागत लाभ विश्लेषण करेगा.
रायसीना डायलॉग के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत आरसीईपी समझौते से अपने को इस लिए अलग रखा क्योंकि समूह में शामिल देश जो पेशकश कर रहे थे, वह भारत की उम्मीदों के अनुरूप नहीं थे.
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उन्होंने कहा, "जहां तक आरसीईपी का सवाल है, हमें लागत लाभ विश्लेषण करना होगा. हम आर्थिक और व्यापार के आधार पर आरसीईपी के लाभ का आकलन करेंगे. हमने इसको लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है."
कई साल की वार्ता के बाद भारत नवंबर में प्रस्तावित आरसीईपी से हट गया. इसका कारण बैंकाक में प्रतिभागी देशों के शिखर सम्मेलन में मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं होना था.
भारत ने कहा कि मौजूदा रूप में प्रस्तावित समझौते का भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के 10 सदस्य देश और छह वार्ता भागीदार...चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.
भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी को लेकर दरवाजा बंद नहीं किया: जयशंकर
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है और उसके फायदे के आकलन को लेकर लागत लाभ विश्लेषण करेगा.
रायसीना डायलॉग के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत आरसीईपी समझौते से अपने को इस लिए अलग रखा क्योंकि समूह में शामिल देश जो पेशकश कर रहे थे, वह भारत की उम्मीदों के अनुरूप नहीं थे.
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उन्होंने कहा, "जहां तक आरसीईपी का सवाल है, हमें लागत लाभ विश्लेषण करना होगा. हम आर्थिक और व्यापार के आधार पर आरसीईपी के लाभ का आकलन करेंगे. हमने इसको लेकर अपना दरवाजा बंद नहीं किया है."
कई साल की वार्ता के बाद भारत नवंबर में प्रस्तावित आरसीईपी से हट गया. इसका कारण बैंकाक में प्रतिभागी देशों के शिखर सम्मेलन में मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं होना था.
भारत ने कहा कि मौजूदा रूप में प्रस्तावित समझौते का भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के 10 सदस्य देश और छह वार्ता भागीदार...चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.
Conclusion: