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कोकिंग कोयले के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच करार - भारत और रूस में करार की ताजा अपडेट

भारत अपनी कोकिंग कोयले की 50 प्रतिशत जरूरत को रूस से आयात के जरिये पूरा कर सकता है. उद्योग के एक शीर्ष कार्यकारी ने यह राय जताई है.

कोकिंग
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Published : Jul 18, 2021, 2:25 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोकिंग कोयले के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच करार को मंजूरी दी गई. अभी भारत इस्पात विनिर्माण में काम आने वाले इस प्रमुख कच्चे माल के लिए कुछ चुनिंदा देशों से आयात पर निर्भर है.

जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, 'सरकार ने यह आगे की सोच का फैसला लिया है. इससे रूस की खनन कंपनियां भारत की इस्पात मिलों को कोकिंग कोयले की आपूर्ति कर सकेंगी. भारत कम से कम 50 प्रतिशत कोकिंग कोयले का आयात रूस से कर सकता है. शेष का आयात अन्य देशों से किया जाएगा.'

भारत की कोकिंग कोयले की करीब 85 प्रतिशत जरूरत को आयात के जरिये पूरा किया जाता है. रूस के साथ सहयोग के करार से कोकिंग कोयले के लिए भारत की ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भरता कम हो सकेगी.

इसे भी पढ़ें : सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से छह कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 69611 करोड़ रुपये बढ़ा

शर्मा ने कहा, 'इससे प्रति टन इस्पात उत्पादन की लागत भी कम होगी, क्योंकि रूस भौगोलिक रूप से अन्य देशों की तुलना में भरत के नजदीक है.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोकिंग कोयले के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच करार को मंजूरी दी गई. अभी भारत इस्पात विनिर्माण में काम आने वाले इस प्रमुख कच्चे माल के लिए कुछ चुनिंदा देशों से आयात पर निर्भर है.

जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, 'सरकार ने यह आगे की सोच का फैसला लिया है. इससे रूस की खनन कंपनियां भारत की इस्पात मिलों को कोकिंग कोयले की आपूर्ति कर सकेंगी. भारत कम से कम 50 प्रतिशत कोकिंग कोयले का आयात रूस से कर सकता है. शेष का आयात अन्य देशों से किया जाएगा.'

भारत की कोकिंग कोयले की करीब 85 प्रतिशत जरूरत को आयात के जरिये पूरा किया जाता है. रूस के साथ सहयोग के करार से कोकिंग कोयले के लिए भारत की ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भरता कम हो सकेगी.

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शर्मा ने कहा, 'इससे प्रति टन इस्पात उत्पादन की लागत भी कम होगी, क्योंकि रूस भौगोलिक रूप से अन्य देशों की तुलना में भरत के नजदीक है.'

(पीटीआई-भाषा)

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