नादि : एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से कर्ज लेने वालों में भारत का स्थान अग्रणी रहा है. वर्ष 2018 में एडीबी से भारत को तीन अरब डॉलर का कर्ज मिला और इस साल भी सरकार के स्तर पर इतना ही कर्ज एडीबी से मिलने की उम्मीद है.
एडीबी के अध्यक्ष ताकेहिको नकाओ का कहना है कि 2019 में भी भारत को एडीबी से तीन अरब डॉलर से अधिक का कर्ज मिलेगा. 2018 में भी एडीबी से भारत को सरकारी स्तर पर तीन अरब डॉलर का ऋण दिया गया था. यह 1986 में देश में सॉवरेन परिचालन शुरू किए जाने के बाद सहायता का सबसे ऊंचा स्तर है.
बैंक की 52वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए नकाओ ने कहा, "2019 में भी हम भारत को इसी स्तर का कर्ज देना जारी रखेंगे."
उन्होंने कहा कि ऋण-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात नीचे आ रहा है और इससे कर्ज देने की गुंजाइश बढ़ी है. उन्होंने कहा कि एडीबी ग्रामीण संपर्क, शहरी विकास और कौशल विकास के लिए निवेश करना जारी रखेगा. भारत को पिछले साल कुल मंजूर ऋण का 25 प्रतिशत मिला है.
नई प्रतिबद्धताओं में 21.6 अरब डॉलर का ऋण, अनुदान और निवेश एडीबी के अपने संसाधनों से आएगा. यह 19.71 अरब डॉलर के लक्ष्य से अधिक है और 2017 की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है. मनीला मुख्यालय वाले बैंक ने भारत में बिहार, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम और ओड़िशा में कई परियोजनाओं में निवेश की प्रतिबद्धता जताई है.
चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) पर नकाओ ने कहा कि यह पूर्वी एशिया, मध्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच संपर्क बढ़ाने की दृष्टि से अच्छा विचार है, लेकिन इसमें निवेश पर अच्छा प्रतिफल मिलना चाहिए. भारत ने बीआरआई के विचार का विरोध किया है. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने चीन की इस पहल का विरोध किया है.
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