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कोरोना वायरस संकट मानवता के लिए काला अध्याय: आईएमएफ प्रमुख

कोविड​​-19 द्वारा उत्पन्न खतरे बहुत ही खतरनाक है. आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने आपातकालीन फंडिंग को दोगुना करने की घोषणा की है. जिसके बाद इसे बढ़ाकर 50 बिलियन डॉलर से 100 बिलियन डॉलर कर दिया गया है.

कोरोना वायरस संकट मानवता के लिए काला अध्याय: आईएमएफ प्रमुख
कोरोना वायरस संकट मानवता के लिए काला अध्याय: आईएमएफ प्रमुख
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Published : Apr 7, 2020, 3:04 PM IST

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब दुनिया भर के देश कोविड-19 महामारी और उसके आर्थिक नतीजों से जूझ रहे हैं, सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी के बादल मंडरा रहे हैं.

इस समय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का यह बयान आता है कि कोरोना वायरस मानवता के लिए काला अध्याय है. उन्होंने आगे कहा कि इसका आर्थिक प्रभाव 2008 के वित्तीय संकट से बहुत अधिक खराब हो सकता है.

जॉर्जीवा ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि ऐसा संकट आईएमएफ ने अपने 75 वर्षों के इतिहास में कभी नहीं देखा. यह मानवता का सबसे काला अध्याय है.

आईएमएफ द्वारा इस संकट से निपटने के लिए किए गए आर्थिक उपायों के एक हिस्से के रूप में जॉर्जीवा ने बताया कि आईएमएफ ने देशों के लिए आपातकालीन निधि की उपलब्धता दोगुनी करके उसे 50 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर कर दिया है.

ये भी पढ़ें- भारतीय वायदा बाजार में रिकार्ड ऊंचाई पर सोना, चांदी भी उछली

संकट पर प्रकाश डालते हुए, जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ को आपातकालीन वित्तपोषण के लिए 85 देशों की रिकॉर्ड संख्या से संपर्क किया है.

हालांकि, जॉर्जीवा ने संकेत दिया कि आईएमएफ विकासशील देशों और उभरते बाजारों के लिए संसाधनों को प्राथमिकता देगा. "जिस तरह से वायरस मेडिकल प्री-कंडीशंस के साथ कमजोर लोगों को सबसे मार रहा है, उसी तरह आर्थिक रुप से कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को भी यह सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है."

उन्होंने कहा, "हमारे पास 1 ट्रिलियन डॉलर का कोष है और हम अर्थव्यवस्था को इस संकट से बचाने के लिए जितना आवश्यक हो उतना उपयोग करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं."

पूरी तरह से वित्त पोषित स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता

इसी ब्रीफिंग में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस ने वायरस और इसके आर्थिक प्रभाव से लड़ने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

घिबेयियस ने सभी देशों से केस-फाइंडिंग, टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, डेटा कलेक्ट करने और कम्युनिकेशन और इंफॉर्मेशन कैंपेन जैसे पब्लिक हेल्थ के उपायों के लिए पूरी फंडिंग देने का आह्वान किया.

घिबेयियस ने उल्लेख किया कि कई देश बीमा, नागरिकता या निवास की स्थिति की परवाह किए बिना कोरोनवायरस के लिए नि: शुल्क परीक्षण और देखभाल प्रदान कर रहे हैं. हम इन उपायों को प्रोत्साहित करते हैं. यह एक अभूतपूर्व संकट है, जो एक अभूतपूर्व प्रतिक्रिया की मांग करता है.

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब दुनिया भर के देश कोविड-19 महामारी और उसके आर्थिक नतीजों से जूझ रहे हैं, सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी के बादल मंडरा रहे हैं.

इस समय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का यह बयान आता है कि कोरोना वायरस मानवता के लिए काला अध्याय है. उन्होंने आगे कहा कि इसका आर्थिक प्रभाव 2008 के वित्तीय संकट से बहुत अधिक खराब हो सकता है.

जॉर्जीवा ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि ऐसा संकट आईएमएफ ने अपने 75 वर्षों के इतिहास में कभी नहीं देखा. यह मानवता का सबसे काला अध्याय है.

आईएमएफ द्वारा इस संकट से निपटने के लिए किए गए आर्थिक उपायों के एक हिस्से के रूप में जॉर्जीवा ने बताया कि आईएमएफ ने देशों के लिए आपातकालीन निधि की उपलब्धता दोगुनी करके उसे 50 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर कर दिया है.

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संकट पर प्रकाश डालते हुए, जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ को आपातकालीन वित्तपोषण के लिए 85 देशों की रिकॉर्ड संख्या से संपर्क किया है.

हालांकि, जॉर्जीवा ने संकेत दिया कि आईएमएफ विकासशील देशों और उभरते बाजारों के लिए संसाधनों को प्राथमिकता देगा. "जिस तरह से वायरस मेडिकल प्री-कंडीशंस के साथ कमजोर लोगों को सबसे मार रहा है, उसी तरह आर्थिक रुप से कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को भी यह सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है."

उन्होंने कहा, "हमारे पास 1 ट्रिलियन डॉलर का कोष है और हम अर्थव्यवस्था को इस संकट से बचाने के लिए जितना आवश्यक हो उतना उपयोग करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं."

पूरी तरह से वित्त पोषित स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता

इसी ब्रीफिंग में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस ने वायरस और इसके आर्थिक प्रभाव से लड़ने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

घिबेयियस ने सभी देशों से केस-फाइंडिंग, टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, डेटा कलेक्ट करने और कम्युनिकेशन और इंफॉर्मेशन कैंपेन जैसे पब्लिक हेल्थ के उपायों के लिए पूरी फंडिंग देने का आह्वान किया.

घिबेयियस ने उल्लेख किया कि कई देश बीमा, नागरिकता या निवास की स्थिति की परवाह किए बिना कोरोनवायरस के लिए नि: शुल्क परीक्षण और देखभाल प्रदान कर रहे हैं. हम इन उपायों को प्रोत्साहित करते हैं. यह एक अभूतपूर्व संकट है, जो एक अभूतपूर्व प्रतिक्रिया की मांग करता है.

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