नई दिल्ली : डिजिटल लेनदेन के लिए भीम-यूपीआई के प्रयोग को लेकर भारी भरकम पैसों की भी जरूरत होगी. भारत में बढ़ रहे मोबाइल उपभोक्ताओं के मद्देनजर एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है. इसके मुताबिक भीम-यूपीआई के जरिए नकदी रहित भुगतान के लिये 2,500 करोड़ रुपये वार्षिक बजट की जरूरत पड़ेगी. गत वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक अकेले नवंबर 2020 में ही भीम- यूपीआई के जरिए 221 करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया.
दरअसल, आईआईटी बॉम्बे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भीम-यूपीआई के जरिए नकदी रहित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार को 2,500 करोड़ रुपये का सालाना बजट समर्थन देने की आवश्यकता होगी. इससे नकद राशि के रखरखाव में होने वाले खर्च में काफी बचत होगी.
रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि आमतौपर उपभोक्ता को डिजिटल तरीके से किए जाने वाले भुगतान पर सुविधा शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक को इस तरह का परिवेश नहीं बनाना चाहिए जहां व्यवसायी की मशीन पर शुरू भुगतान की प्रक्रिया में भूगतान ग्रहण करने वाले या भुगतान एग्रीगेटर (पीए) कंपनियों यानी सूत्रधारक द्वारा व्यवसायी की ओर से उपभोक्ता से शुल्क वसूला जाता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईआरसीटीसी जिस तरह भीम- यूपीआई के जरिए भुगतान को स्वीकार करने पर विशेष तौर पर छूट देती , अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमेटो, स्विगी, एयरटेल और मेकमाय ट्रिप जैसी प्रमुख ई- वाणिज्य कंपनियों को भी उसी तरह करना चाहिए.
यह रिपोर्ट भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के गणित विभाग ने तैयार की है. इसमें कहा गया है कि 2,500 करोड़ रुपए की सालाना बजट सहायता से जहां एक तरफ भीम- यूपीआई को समर्थन मिलेगा वहीं भुगतान में नकद राशि को संभालने के खर्च में काफी बचत होगी.