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होटलों को कोविड-19 अस्पताल बनाने के फैसले से होटल व्यवसायी चिंतित - कोरोना वायरस

पत्र में कहा गया है कि जिन होटलों को कोविड-19 अस्पताल में बदला जा रहा है, उनका बुनियादी ढांचा अस्पतालों के अनुरूप नहीं है. ना ही वह कोविड-19 के मरीजों के लिए अनिवार्य सुविधाओं से लैस हैं. साथ ही होटल के कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की तरह पेशेवर प्रशिक्षण नहीं मिला है.

होटलों को कोविड-19 अस्पताल बनाने के फैसले से होटल व्यवसायी चिंतित
होटलों को कोविड-19 अस्पताल बनाने के फैसले से होटल व्यवसायी चिंतित
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Published : Jun 17, 2020, 9:02 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में कुछ होटलों को कोविड-19 अस्पतालों से जोड़ने के राज्य सरकार के फैसले पर होटल और आतिथ्य क्षेत्र ने चिंता जाहिर की है. सरकार के इस निर्णय से यह होटल चयनित अस्पताल के साथ जोड़ दिए जाएंगे और उनका विस्तार हो जाएंगे.

होटल उद्योग का कहना है कि इससे इस क्षेत्र को बड़ा नुकसान पहुंचाएगा. उद्योग की चिंता तब और बढ़ गयी जब दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने मंगलवार को इंडियन होटल्स कंपनी को मानसिंह रोड स्थित ताज मानसिंह को होटल के कमरों कोविड-19 सुविधा के तौर पर तैयार करने को कहा. इसे श्री गंगाराम अस्पताल के साथ जोड़ा जाना है.

दिल्ली सरकार ने इससे पहले होटलों को कोविड-19 देखभाल केंद्र के तौर पर इस्तेमाल करने का आदेश पारित किया था.

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया.

पत्र में कहा गया है कि जिन होटलों को कोविड-19 अस्पताल में बदला जा रहा है, उनका बुनियादी ढांचा अस्पतालों के अनुरूप नहीं है. ना ही वह कोविड-19 के मरीजों के लिए अनिवार्य सुविधाओं से लैस हैं. साथ ही होटल के कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की तरह पेशेवर प्रशिक्षण नहीं मिला है.

पत्र में कहा गया है, इतना ही नहीं होटलों को कोविड-19 अस्पताल के रूप में बदलने से उनके कारोबार पर असर पड़ेगा.

एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्श सिंह कोहली ने पत्र में कहा, "हम अचंभित हैं कि पहले अशोक, सम्राट और सेंटॉर जैसे सरकारी होटलों को क्यों नहीं कोविड-19 अस्तपाल में बदला गया. वहां उन्हें निजी होटलों के साथ ऐसा करने से पहले यह काम करना चाहिए था."

उन्होंने कहा कि सरकार की विज्ञान भवन जैसी इमारतें एक अस्पताल के तौर पर बेहतर चुनाव होती. राज्य सरकार को होटलों से पहले नर्सिंग होम, अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं और पॉलीक्लीनिक इत्यादि को कोविड-19 देखभाल की सुविधा के तौर पर बदलना था.

ये भी पढ़ें: भारत से सीमा पर टकराव के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहा चीन

पत्र में कहा गया है कि होटलों को यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें कितने समय में इसका भुगतान मिलेगा. इससे होटलों के बिलों का भुगतान होने में बहुत देर होगी और उद्योग को आगे अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

अपनी ओर से इंडियन होटल्स ने कहा कि वह सरकार के साथ अपना सहयोग करना जारी रखेगी. लेकिन उसके ताजमहल होटल में मरम्मत का काम चल रहा है. यह अभी रहने योग्य नहीं है विशेषकर डॉक्टर और मरीजों के लिए तो बिल्कुल नहीं.

कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि आईएचसीएल ने विभिन्न राज्यों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को अपने होटलों में रोकने से लेकर अब तक दो करोड़ से अधिक भोजन पैकेट वितरण करने का काम किया है. वह आगे भी सरकार के साथ इस महामारी से निपटने में सरकार की मदद करती रहेगी. लेकिन उसके ताज मानसिंह में मरम्मत का काम चल रहा है और यह लॉकडाउन के शुरू होने से पहले से जारी है.

सरकार के होटलों को अस्पताल में बदलने पर भारतीय उद्योग परिसंघ की 'राष्ट्रीय पर्यटन एवं आतिथ्य समिति' पहले ही चिंता जाहिर कर चुकी है.

मंगलवार के घटनाक्रम के बाद समिति के परामर्शदाता दीपक हकसर ने कहा कि हम यह समझने में विफल हैं कि जो होटल मरम्मत करवा रहा है उसका इस्तेमाल डॉक्टर और मरीज अस्पताल के तौर पर कैसे कर सकेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: दिल्ली में कुछ होटलों को कोविड-19 अस्पतालों से जोड़ने के राज्य सरकार के फैसले पर होटल और आतिथ्य क्षेत्र ने चिंता जाहिर की है. सरकार के इस निर्णय से यह होटल चयनित अस्पताल के साथ जोड़ दिए जाएंगे और उनका विस्तार हो जाएंगे.

होटल उद्योग का कहना है कि इससे इस क्षेत्र को बड़ा नुकसान पहुंचाएगा. उद्योग की चिंता तब और बढ़ गयी जब दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने मंगलवार को इंडियन होटल्स कंपनी को मानसिंह रोड स्थित ताज मानसिंह को होटल के कमरों कोविड-19 सुविधा के तौर पर तैयार करने को कहा. इसे श्री गंगाराम अस्पताल के साथ जोड़ा जाना है.

दिल्ली सरकार ने इससे पहले होटलों को कोविड-19 देखभाल केंद्र के तौर पर इस्तेमाल करने का आदेश पारित किया था.

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया.

पत्र में कहा गया है कि जिन होटलों को कोविड-19 अस्पताल में बदला जा रहा है, उनका बुनियादी ढांचा अस्पतालों के अनुरूप नहीं है. ना ही वह कोविड-19 के मरीजों के लिए अनिवार्य सुविधाओं से लैस हैं. साथ ही होटल के कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की तरह पेशेवर प्रशिक्षण नहीं मिला है.

पत्र में कहा गया है, इतना ही नहीं होटलों को कोविड-19 अस्पताल के रूप में बदलने से उनके कारोबार पर असर पड़ेगा.

एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्श सिंह कोहली ने पत्र में कहा, "हम अचंभित हैं कि पहले अशोक, सम्राट और सेंटॉर जैसे सरकारी होटलों को क्यों नहीं कोविड-19 अस्तपाल में बदला गया. वहां उन्हें निजी होटलों के साथ ऐसा करने से पहले यह काम करना चाहिए था."

उन्होंने कहा कि सरकार की विज्ञान भवन जैसी इमारतें एक अस्पताल के तौर पर बेहतर चुनाव होती. राज्य सरकार को होटलों से पहले नर्सिंग होम, अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं और पॉलीक्लीनिक इत्यादि को कोविड-19 देखभाल की सुविधा के तौर पर बदलना था.

ये भी पढ़ें: भारत से सीमा पर टकराव के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहा चीन

पत्र में कहा गया है कि होटलों को यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें कितने समय में इसका भुगतान मिलेगा. इससे होटलों के बिलों का भुगतान होने में बहुत देर होगी और उद्योग को आगे अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

अपनी ओर से इंडियन होटल्स ने कहा कि वह सरकार के साथ अपना सहयोग करना जारी रखेगी. लेकिन उसके ताजमहल होटल में मरम्मत का काम चल रहा है. यह अभी रहने योग्य नहीं है विशेषकर डॉक्टर और मरीजों के लिए तो बिल्कुल नहीं.

कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि आईएचसीएल ने विभिन्न राज्यों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को अपने होटलों में रोकने से लेकर अब तक दो करोड़ से अधिक भोजन पैकेट वितरण करने का काम किया है. वह आगे भी सरकार के साथ इस महामारी से निपटने में सरकार की मदद करती रहेगी. लेकिन उसके ताज मानसिंह में मरम्मत का काम चल रहा है और यह लॉकडाउन के शुरू होने से पहले से जारी है.

सरकार के होटलों को अस्पताल में बदलने पर भारतीय उद्योग परिसंघ की 'राष्ट्रीय पर्यटन एवं आतिथ्य समिति' पहले ही चिंता जाहिर कर चुकी है.

मंगलवार के घटनाक्रम के बाद समिति के परामर्शदाता दीपक हकसर ने कहा कि हम यह समझने में विफल हैं कि जो होटल मरम्मत करवा रहा है उसका इस्तेमाल डॉक्टर और मरीज अस्पताल के तौर पर कैसे कर सकेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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