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उच्च न्यायालय ने कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों से आरबीआई के निर्देश पर हलफनामा दाखिल करने को कहा - आरबीआई

पीठ इस संबंध में कोटक बैंक द्वारा रिजर्व बैंक के 13 अगस्त 2018 के दिशानिर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. रिजर्व बैंक ने बैंक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर 2018 तक बैंक में उनकी हिस्सेदारी को घटाकर बैंक की कुल चुकता पूंजी के अधिकतम 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत तक नीचे लाने का निर्देश दिया है.

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Published : Apr 1, 2019, 9:11 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. हलफनामे में उन्हें बताना होगा कि बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी कम करने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश का उन्होंने अनुपालन किया है. न्यायधीश ए. एस. ओका और एम. एस. सांकलेचा की खंड पीठ ने यह निर्णय दिया.

पीठ इस संबंध में कोटक बैंक द्वारा रिजर्व बैंक के 13 अगस्त 2018 के दिशानिर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. रिजर्व बैंक ने बैंक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर 2018 तक बैंक में उनकी हिस्सेदारी को घटाकर बैंक की कुल चुकता पूंजी के अधिकतम 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत तक नीचे लाने का निर्देश दिया है.

पीठ ने सोमवार को यह जानना चाहा कि बैंक ने अदालत का रुख क्यों किया, उसके प्रवर्तकों ने आरबीआई के आदेश को क्यों चुनौती नहीं दी. न्यायधीश ओका ने कहा कि इस मामले में बैंक असंतुष्ट पक्ष नहीं हो सकता है. रिजर्व बैंक, कोटक बैंक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. असंतुष्ट पक्ष इस मामले में प्रवर्तक हैं. ऐसे में आरबीआई के दिशानिर्देश को चुनौती देने के लिए बैंक के प्रवर्तकों ने अदालत का रुख क्यों नहीं किया.

पीठ ने कहा कि उनके विचार में यदि प्रवर्तक आरबीआई के दिशानिर्देशों को चुनौती नहीं देते हैं तो आरबीआई कोई भी कार्रवाई करने के लिए मुक्त है. बैंक की ओर से पेश वकील डॉरिस खंबाटा ने सोमवार को अदालत को बताया कि बैंक में प्रवर्तक की शेयरधारिता घटकर कुल चुकता पूंजी के 19.7 प्रतिशत स्तर पर आ गयी है. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा बयान बैंक के प्रवर्तकों की ओर से आना चाहिए, ना कि बैंक की ओर से। अदालत ने प्रवर्तकों को इस संबंध में 22 अप्रैल तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है.
ये भी पढ़ें : जेट एयरवेज : पायलटों ने उड़ान से दूर रहने का फैसला 15 अप्रैल तक टाला

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. हलफनामे में उन्हें बताना होगा कि बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी कम करने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश का उन्होंने अनुपालन किया है. न्यायधीश ए. एस. ओका और एम. एस. सांकलेचा की खंड पीठ ने यह निर्णय दिया.

पीठ इस संबंध में कोटक बैंक द्वारा रिजर्व बैंक के 13 अगस्त 2018 के दिशानिर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. रिजर्व बैंक ने बैंक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर 2018 तक बैंक में उनकी हिस्सेदारी को घटाकर बैंक की कुल चुकता पूंजी के अधिकतम 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत तक नीचे लाने का निर्देश दिया है.

पीठ ने सोमवार को यह जानना चाहा कि बैंक ने अदालत का रुख क्यों किया, उसके प्रवर्तकों ने आरबीआई के आदेश को क्यों चुनौती नहीं दी. न्यायधीश ओका ने कहा कि इस मामले में बैंक असंतुष्ट पक्ष नहीं हो सकता है. रिजर्व बैंक, कोटक बैंक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. असंतुष्ट पक्ष इस मामले में प्रवर्तक हैं. ऐसे में आरबीआई के दिशानिर्देश को चुनौती देने के लिए बैंक के प्रवर्तकों ने अदालत का रुख क्यों नहीं किया.

पीठ ने कहा कि उनके विचार में यदि प्रवर्तक आरबीआई के दिशानिर्देशों को चुनौती नहीं देते हैं तो आरबीआई कोई भी कार्रवाई करने के लिए मुक्त है. बैंक की ओर से पेश वकील डॉरिस खंबाटा ने सोमवार को अदालत को बताया कि बैंक में प्रवर्तक की शेयरधारिता घटकर कुल चुकता पूंजी के 19.7 प्रतिशत स्तर पर आ गयी है. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा बयान बैंक के प्रवर्तकों की ओर से आना चाहिए, ना कि बैंक की ओर से। अदालत ने प्रवर्तकों को इस संबंध में 22 अप्रैल तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है.
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मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. हलफनामे में उन्हें बताना होगा कि बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी कम करने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश का उन्होंने अनुपालन किया है. न्यायधीश ए. एस. ओका और एम. एस. सांकलेचा की खंड पीठ ने यह निर्णय दिया.

पीठ इस संबंध में कोटक बैंक द्वारा रिजर्व बैंक के 13 अगस्त 2018 के दिशानिर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. रिजर्व बैंक ने बैंक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर 2018 तक बैंक में उनकी हिस्सेदारी को घटाकर बैंक की कुल चुकता पूंजी के अधिकतम 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत तक नीचे लाने का निर्देश दिया है.

पीठ ने सोमवार को यह जानना चाहा कि बैंक ने अदालत का रुख क्यों किया, उसके प्रवर्तकों ने आरबीआई के आदेश को क्यों चुनौती नहीं दी. न्यायधीश ओका ने कहा कि इस मामले में बैंक असंतुष्ट पक्ष नहीं हो सकता है. रिजर्व बैंक, कोटक बैंक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. असंतुष्ट पक्ष इस मामले में प्रवर्तक हैं. ऐसे में आरबीआई के दिशानिर्देश को चुनौती देने के लिए बैंक के प्रवर्तकों ने अदालत का रुख क्यों नहीं किया.

पीठ ने कहा कि उनके विचार में यदि प्रवर्तक आरबीआई के दिशानिर्देशों को चुनौती नहीं देते हैं तो आरबीआई कोई भी कार्रवाई करने के लिए मुक्त है. बैंक की ओर से पेश वकील डॉरिस खंबाटा ने सोमवार को अदालत को बताया कि बैंक में प्रवर्तक की शेयरधारिता घटकर कुल चुकता पूंजी के 19.7 प्रतिशत स्तर पर आ गयी है. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा बयान बैंक के प्रवर्तकों की ओर से आना चाहिए, ना कि बैंक की ओर से। अदालत ने प्रवर्तकों को इस संबंध में 22 अप्रैल तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है.

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