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जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर को; राजस्व को ध्यान में रखकर ही होगा कर राहत पर फैसला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर में गोवा में होगी. इसमें राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए विभिन्न उद्योग जीएसटी में कटौती की मांग कर रहे हैं.

जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर को; राजस्व को ध्यान में रखकर ही होगा कर राहत पर फैसला
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Published : Sep 13, 2019, 8:29 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 12:19 PM IST

नई दिल्ली: जीएसटी परिषद अगले शुक्रवार (20 सितंबर) को कार से लेकर बिस्कुट जैसे उत्पादों के बाजार में नरमी को देखते हुए इन पर माल एवं सेवा कर ( जीएसटी) का भार कम किए जाने की मांगों पर विचार करेगी. परिषद को साथ में राजस्व की स्थिति को भी ध्यान में रखेगी क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती का सीधा असर राज्यों की आय पर होगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह बात कही.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर में गोवा में होगी. इसमें राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए विभिन्न उद्योग जीएसटी में कटौती की मांग कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर बिस्कुट से लेकर वाहन उद्योग और एफएमसीजी (रोजमर्रा उपभोग की वस्तु बनाने वाली कंपनी) से लेकर होटल क्षेत्र ने जीएसटी दरों में कटौती की मांग की है. उनकी ओर से तर्क दिया जा रहा है कि घरेलू मांग और खपत को बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में कटौती की जाए.

ये भी पढ़ें: प्याज निर्यात के लिये 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय

अधिकारी ने कहा कि हालांकि, उनका यह तर्क राज्यों के नजरिये को नहीं बदल सकता है. अधिकांश राज्यों का मानना है कि इन क्षेत्रों में सुस्ती चक्रीय और संरचनात्मक मुद्दों के कारण है न कि जीएसटी दरों के कारण है.

मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा, "यदि जीएसटी परिषद के समक्ष किसी भी क्षेत्र के लिए कर में कटौती का प्रस्ताव आता है तो सदस्य पहले राजस्व स्थिति की समीक्षा करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे."

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिरकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई. सरकार ने आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है.

नई दिल्ली: जीएसटी परिषद अगले शुक्रवार (20 सितंबर) को कार से लेकर बिस्कुट जैसे उत्पादों के बाजार में नरमी को देखते हुए इन पर माल एवं सेवा कर ( जीएसटी) का भार कम किए जाने की मांगों पर विचार करेगी. परिषद को साथ में राजस्व की स्थिति को भी ध्यान में रखेगी क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती का सीधा असर राज्यों की आय पर होगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह बात कही.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर में गोवा में होगी. इसमें राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए विभिन्न उद्योग जीएसटी में कटौती की मांग कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर बिस्कुट से लेकर वाहन उद्योग और एफएमसीजी (रोजमर्रा उपभोग की वस्तु बनाने वाली कंपनी) से लेकर होटल क्षेत्र ने जीएसटी दरों में कटौती की मांग की है. उनकी ओर से तर्क दिया जा रहा है कि घरेलू मांग और खपत को बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में कटौती की जाए.

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अधिकारी ने कहा कि हालांकि, उनका यह तर्क राज्यों के नजरिये को नहीं बदल सकता है. अधिकांश राज्यों का मानना है कि इन क्षेत्रों में सुस्ती चक्रीय और संरचनात्मक मुद्दों के कारण है न कि जीएसटी दरों के कारण है.

मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा, "यदि जीएसटी परिषद के समक्ष किसी भी क्षेत्र के लिए कर में कटौती का प्रस्ताव आता है तो सदस्य पहले राजस्व स्थिति की समीक्षा करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे."

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिरकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई. सरकार ने आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है.

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नई दिल्ली: जीएसटी परिषद अगले शुक्रवार (20 सितंबर) को कार से लेकर बिस्कुट जैसे उत्पादों के बाजार में नरमी को देखते हुए इन पर माल एवं सेवा कर ( जीएसटी) का भार कम किए जाने की मांगों पर विचार करेगी. परिषद को साथ में राजस्व की स्थिति को भी ध्यान में रखेगी क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती का सीधा असर राज्यों की आय पर होगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह बात कही.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद की बैठक 20 सितंबर में गोवा में होगी. इसमें राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए विभिन्न उद्योग जीएसटी में कटौती की मांग कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर बिस्कुट से लेकर वाहन उद्योग और एफएमसीजी (रोजमर्रा उपभोग की वस्तु बनाने वाली कंपनी) से लेकर होटल क्षेत्र ने जीएसटी दरों में कटौती की मांग की है. उनकी ओर से तर्क दिया जा रहा है कि घरेलू मांग और खपत को बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में कटौती की जाए.

अधिकारी ने कहा कि हालांकि, उनका यह तर्क राज्यों के नजरिये को नहीं बदल सकता है. अधिकांश राज्यों का मानना है कि इन क्षेत्रों में सुस्ती चक्रीय और संरचनात्मक मुद्दों के कारण है न कि जीएसटी दरों के कारण है.

मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा, "यदि जीएसटी परिषद के समक्ष किसी भी क्षेत्र के लिए कर में कटौती का प्रस्ताव आता है तो सदस्य पहले राजस्व स्थिति की समीक्षा करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे."

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिरकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई. सरकार ने आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है.

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Last Updated : Sep 30, 2019, 12:19 PM IST
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