हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रह सकती है यानी शून्य से नीचे आ सकती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित लॉकडाउन-दो में प्रवासी मजदूरी और दिहाड़ी श्रमिकों के मुद्दों के लिए भी कोई योजना लाई जानी चाहिए थी.
रंगराजन ने कहा कि पहली तिमाही में हालांकि वृद्धि दर नकारात्मक रह सकती है, लेकिन यदि बाद में तीन तिमाहियों में स्थिति सुधरती है तो वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है.
उन्होंने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बंद का सबसे बुरा असर समाज के कमजोर वर्ग पर पड़ रहा है."
रंगराजन ने कहा कि कारखाने बंद होने की वजह से प्रवासी श्रमिकों सहित दिहाड़ी मजदूरी सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि यदि बंद बेहद जरूरी था तो मेरा मानना है कि ऐसे लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिए था, जिनका रोजगार छिन चुका है.
रंगराजन ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि ऐसे में इस घोषणा के साथ यह भी घोषणा होनी चाहिए थी कि इन लोगों का कैसे ध्यान रखा जाएगा. प्रधानमंत्री के भाषण या कहीं और हमें इन लोगों के लिए उपाय दिखने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि आज भी बंद से छूट को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, उसमें बताया जाना चाहिए था कि कैसे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों की मदद की जाएगी. यह जरूरी है.
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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि सरकार ने बंद के बारे में फैसला महामारी की स्थिति को देखकर लिया है. इसे बढ़ाने का फैसला भी इसी आधार पर किया गया है. बंद की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं.
उन्होंने कहा, "संभवत: पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी. लेकिन अगली तीन तिमाहियों की वृद्धि दर से इसकी भरपाई हो सकती है."
रंगराजन ने कहा कि कुछ लोग वृद्धि दर दो प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान लगा रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है कि पूरे वर्ष के लिए यह 3.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी.
(पीटीआई-भाषा)