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वित्तवर्ष 2019-20 में 1.45 लाख करोड़ रुपये घटा टैक्स कलेक्शन, सरकार ने किया बचाव

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Published : Jun 7, 2020, 7:32 PM IST

आयकर विभाग ने रविवार को कहा कि यदि व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर को पुरानी दरों से वसूला जाता तो 2019-20 के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह के आठ प्रतिशत बढ़कर 14.01 लाख करोड़ रुपये हो सकता था.

वित्तवर्ष 2019-20 में 1.45 लाख करोड़ रुपये घटा टैक्स कलेक्शन, सरकार ने किया बचाव
वित्तवर्ष 2019-20 में 1.45 लाख करोड़ रुपये घटा टैक्स कलेक्शन, सरकार ने किया बचाव

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.92 प्रतिशत गिरकर 12.33 लाख करोड़ रुपये रहा. इसकी प्रमुख वजह कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, मानक कटौती और व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा बढ़ाया जाना है.

आयकर विभाग ने रविवार को कहा कि यदि व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर को पुरानी दरों से वसूला जाता तो 2019-20 के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह के आठ प्रतिशत बढ़कर 14.01 लाख करोड़ रुपये हो सकता था.

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वित्त वर्ष 2018-19 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12,97,674 करोड़ रुपये था. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा, " यह एक वास्तविकता है कि 2019-20 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 2018-19 के मुकाबले कम रहा. लेकिन इसकी अनुमान पहले से था. इसकी प्रमुख वजह 2019-20 के दौरान ऐतिहासिक कर सुधार करना है जिसके चलते ज्यादा रिफंड जारी किए गए."

वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक कॉरपोरेट कर संग्रह 6.78 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर संग्रह 5.55 लाख करोड़ रुपये रहा. इस प्रकार 2019-20 के लिए वास्तविक कर संग्रह 12,33,720 करोड़ रुपय रहा.

वित्त वर्ष के दौरान कॉरपोरेट कर की दर में कटौती से 1.45 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह में कमी आयी. वहीं व्यक्तिगत आयकर की सीमा पांच लाख रुपये तक बढ़ाने और मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ाने से भी 23,200 करोड़ रुपये का कर संग्रहम कम हुआ.

यदि यह नहीं हुआ होता तो 2019-20 में कॉरपोरेट कर संग्रह 8.23 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत कर संग्रह 5.78 लाख करोड़ रुपये होता. इस तरह सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 14.01 लाख करोड़ रुपये होता जो 2018-19 के मुकाबले 8.03 प्रतिशत अधिक रहता.

वित्त वर्ष 2019-20 में प्रचलित मूल्य पर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.20 प्रतिशत रही. वित्त वर्ष 2019-20 में सीबीडीटी ने 1.84 लाख करोड़ रुपये के कर रिफंड जारी किए. यह 2018-19 के 1.61 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है.

सरकर ने पिछले साल सितंबर में किसी तरह की कर छूट इस्तेमाल नहीं करने वाली सभी घरेलू कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 22 प्रतिशत कर दी थी. इस तरह की कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के भुगतान से भी राहत दी गयी थी. वहीं किसी विशेष कर छूट का लाभ नहीं लेने वाली नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी थी. इन्हें भ्री मैट से छूट दी गयी थी.

जबकि मैट के तहत कर छूटों का लाभ उठाकर कर भुगतान करने वाली कंपनियों के लिए मैट की दर भी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी . इसी तरह व्यक्तिगत आयकर से छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये और मानक कटौती 40,000 रुपये से घटाकर 50,000 रुपये की गयी है.

केंद्र ने कम संग्रह, सुस्त निवेश की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की

वित्त मंत्रालय ने हाल ही में किए गए कर सुधारों के बावजूद प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट और देश में निवेश की सुस्त होती रफ्तार को लेकर पैदा हुई चिंताओं को दूर करने की एक कोशिश के तहत रविवार को कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट की प्रकृति अस्थायी है और यह हाल के सुधारों और कर लाभों का एक परिणाम है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.92 प्रतिशत गिरकर 12.33 लाख करोड़ रुपये रहा. इसकी प्रमुख वजह कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, मानक कटौती और व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा बढ़ाया जाना है.

आयकर विभाग ने रविवार को कहा कि यदि व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर को पुरानी दरों से वसूला जाता तो 2019-20 के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह के आठ प्रतिशत बढ़कर 14.01 लाख करोड़ रुपये हो सकता था.

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वित्त वर्ष 2018-19 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12,97,674 करोड़ रुपये था. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा, " यह एक वास्तविकता है कि 2019-20 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 2018-19 के मुकाबले कम रहा. लेकिन इसकी अनुमान पहले से था. इसकी प्रमुख वजह 2019-20 के दौरान ऐतिहासिक कर सुधार करना है जिसके चलते ज्यादा रिफंड जारी किए गए."

वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक कॉरपोरेट कर संग्रह 6.78 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर संग्रह 5.55 लाख करोड़ रुपये रहा. इस प्रकार 2019-20 के लिए वास्तविक कर संग्रह 12,33,720 करोड़ रुपय रहा.

वित्त वर्ष के दौरान कॉरपोरेट कर की दर में कटौती से 1.45 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह में कमी आयी. वहीं व्यक्तिगत आयकर की सीमा पांच लाख रुपये तक बढ़ाने और मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ाने से भी 23,200 करोड़ रुपये का कर संग्रहम कम हुआ.

यदि यह नहीं हुआ होता तो 2019-20 में कॉरपोरेट कर संग्रह 8.23 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत कर संग्रह 5.78 लाख करोड़ रुपये होता. इस तरह सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 14.01 लाख करोड़ रुपये होता जो 2018-19 के मुकाबले 8.03 प्रतिशत अधिक रहता.

वित्त वर्ष 2019-20 में प्रचलित मूल्य पर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.20 प्रतिशत रही. वित्त वर्ष 2019-20 में सीबीडीटी ने 1.84 लाख करोड़ रुपये के कर रिफंड जारी किए. यह 2018-19 के 1.61 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है.

सरकर ने पिछले साल सितंबर में किसी तरह की कर छूट इस्तेमाल नहीं करने वाली सभी घरेलू कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 22 प्रतिशत कर दी थी. इस तरह की कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के भुगतान से भी राहत दी गयी थी. वहीं किसी विशेष कर छूट का लाभ नहीं लेने वाली नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी थी. इन्हें भ्री मैट से छूट दी गयी थी.

जबकि मैट के तहत कर छूटों का लाभ उठाकर कर भुगतान करने वाली कंपनियों के लिए मैट की दर भी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी . इसी तरह व्यक्तिगत आयकर से छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये और मानक कटौती 40,000 रुपये से घटाकर 50,000 रुपये की गयी है.

केंद्र ने कम संग्रह, सुस्त निवेश की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की

वित्त मंत्रालय ने हाल ही में किए गए कर सुधारों के बावजूद प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट और देश में निवेश की सुस्त होती रफ्तार को लेकर पैदा हुई चिंताओं को दूर करने की एक कोशिश के तहत रविवार को कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट की प्रकृति अस्थायी है और यह हाल के सुधारों और कर लाभों का एक परिणाम है.

(पीटीआई-भाषा)

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