नई दिल्ली: गूगल इंडिया डिजिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आधार का विवरण (डेटाबेस) उसकी पहुंच में नहीं है और उसे अपने मोबाइल ऐप ''गूगल पे'' के संचालन के लिए ऐसी सूचनाओं की कोई आवश्यकता नहीं है.
गूगल ने एक जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों के संबंध में मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष अतिरिक्त शपथपत्र दायर कर अपनी दलील पेश की.
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को सूचित किए गए बिना 'गूगल पे' को 'भीम' आधार प्लेटफॉर्म की पहुंच प्रदान की है.
गूगल ने अपने शपथपत्र में कहा, "प्रतिवादी-2 (गगूल पे) भीम आधार से पूरी तरह अलग है जोकि एक अलग उत्पाद है. गूगल पे को किसी भी रूप में उपयोगकर्ता के आधार विवरण की कोई आवश्यकता नहीं है और ना ही आधार डेटाबेस की पहुंच की जरूरत है और ना ही आधार डेटाबेस इसकी पहुंच में है."
गूगल के शपथपत्र के मुताबिक, अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने अपनी जनहित याचिका में प्रत्युत्तर के दौरान यह आरोप लगाया था कि गूगल पे भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) से बिना अपेक्षित अनुमति लिए वित्तीय लेनदेन की सुविधा प्रदान कर रहा था.
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मिश्रा ने उनकी याचिका के जवाब में आरबीआई की ओर से दायर हलफनामे की प्रतिक्रिया में प्रत्युत्तर दायर किया था.
आरबीआई ने अपने हलफनामे में कहा था कि 'गूगल पे' थर्ड पार्टी ऐप प्रदाता (टीपीएपी) है और वह किसी भी भुगतान प्रणाली का संचालन नहीं करता है. इसके मुताबिक, इसलिए गूगल पे का संचालन भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के नियमों का उल्लंघन नहीं है.
(पीटीआई-भाषा)