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निर्यातकों को 25 अरब डॉलर की कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार करे आरबीआई: गोयल - वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल

गोयल ने निर्यात कारोबार के लिए कर्ज की सुविधा के बारे में राजधानी में आयोजित बैठक में निर्यात ऋण में आई गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने आश्वसन दिया कि निर्यातकों को समय पर पूंजी उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास करेगी.

निर्यातकों को 25 अरब डॉलर की कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार करे आरबीआई: गोयल
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Published : Jun 7, 2019, 11:54 PM IST

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक से निर्यात क्षेत्र के लिए 25 अरब डॉलर (1,73,150 करोड़ रुपये) की ऋण सहायता की व्यवस्था करने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश के निर्यातकों को मिलने वाले कर्ज पर ब्याज की दर लंदन अंतरबैंक ब्याज दर (लिबोर) से ज्यादा से ज्यादा 2 प्रतिशत ऊपर होनी चाहिए.

गोयल ने निर्यात कारोबार के लिए कर्ज की सुविधा के बारे में राजधानी में आयोजित बैठक में निर्यात ऋण में आई गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने आश्वसन दिया कि निर्यातकों को समय पर पूंजी उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास करेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "गोयल ने प्रस्ताव किया है कि निर्यातकों को विदेशी मुद्रा ऋण लिबोर से अधिकतम 2 प्रतिशत ऊंची दर में कर्ज उपलब्ध कराया जाए."

ये भी पढ़ें- क्रिप्टोकरेंसी से निपटने बनेगा कानून, 10 साल जेल का प्रस्ताव

गोयल ने रिजर्व बैंक, निर्य़ात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) और अन्य बैंकों से निर्यातकों को मुनासिब दर पर कर्ज सुलभ कराने के तौर-तरीके तय करने को कहा.

विज्ञप्ति के अनुसार, गोयल ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने विदेशी मुद्रा भंडार से निर्यात क्षेत्र के लिए कम से कम 25 अरब डॉलर की ऋण सहायता उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए. इसके लिए मजबूत बैंकों के साथ मुद्रा अदला-बदली करार करने पर गौर करना चाहिए. गोयल ने कहा, "किसी भी व्यापारिक गतिविधि के लिए निर्यात कर्ज की समय पर उपलब्धता जरूरी है. यह निर्यात में वृद्धि के लिए अहम है."

निर्यात के लिए ऋण देने में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में गोयल ने यह बात कही. वाणिज्य मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में निर्यात कर्ज का हिस्सा कम हुआ है और यह एक "चिंता का विषय" है, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोली उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में. छोटी इकाइयां ऋण के लिए गिरवी की मांग से परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण चुनौती पर गौर करने और संगठनों एवं संस्थानों की ओर से दी गई सूचना के आधार पर समस्यों को दूर करने के लिए आज की बैठक बुलाई गई. गोयल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सब्सिडी से बाहर निकला जाए और निर्यातकों को किफायती दरों पर कर्ज दिया जाए.

उन्होंने कहा कि निर्यातकों पर बोझ करने और वैश्विक स्तर पर निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सबसे स्थिर नीति के साथ एक रूपरेखा बनाने की जरूरत है. यह नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य, सुसंगत और मजबूत हो.

मंत्री ने कहा, "सरकारी संगठनों, निर्यात संवर्धन परिषद और वित्तीय संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है."

गोयल ने उम्मीद जताई है कि आज की बैठक के बाद अगले पांच साल में निर्यात के लिए कर्ज में तीन गुनी वृद्धि होगी.

इस बैठक में वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक, बार्कले बैंक, सिटी इंडिया, बैंक ऑफ अमेरिका एक्जिम बैंक, ईसीजीसी और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल रहे. इसके अलावा, निर्यातक, निर्यात संवर्धन परिषदों और फिक्की समेत उद्योग मंडलों ने भी हिस्सा लिया.

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक से निर्यात क्षेत्र के लिए 25 अरब डॉलर (1,73,150 करोड़ रुपये) की ऋण सहायता की व्यवस्था करने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश के निर्यातकों को मिलने वाले कर्ज पर ब्याज की दर लंदन अंतरबैंक ब्याज दर (लिबोर) से ज्यादा से ज्यादा 2 प्रतिशत ऊपर होनी चाहिए.

गोयल ने निर्यात कारोबार के लिए कर्ज की सुविधा के बारे में राजधानी में आयोजित बैठक में निर्यात ऋण में आई गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने आश्वसन दिया कि निर्यातकों को समय पर पूंजी उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास करेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "गोयल ने प्रस्ताव किया है कि निर्यातकों को विदेशी मुद्रा ऋण लिबोर से अधिकतम 2 प्रतिशत ऊंची दर में कर्ज उपलब्ध कराया जाए."

ये भी पढ़ें- क्रिप्टोकरेंसी से निपटने बनेगा कानून, 10 साल जेल का प्रस्ताव

गोयल ने रिजर्व बैंक, निर्य़ात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) और अन्य बैंकों से निर्यातकों को मुनासिब दर पर कर्ज सुलभ कराने के तौर-तरीके तय करने को कहा.

विज्ञप्ति के अनुसार, गोयल ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने विदेशी मुद्रा भंडार से निर्यात क्षेत्र के लिए कम से कम 25 अरब डॉलर की ऋण सहायता उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए. इसके लिए मजबूत बैंकों के साथ मुद्रा अदला-बदली करार करने पर गौर करना चाहिए. गोयल ने कहा, "किसी भी व्यापारिक गतिविधि के लिए निर्यात कर्ज की समय पर उपलब्धता जरूरी है. यह निर्यात में वृद्धि के लिए अहम है."

निर्यात के लिए ऋण देने में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में गोयल ने यह बात कही. वाणिज्य मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में निर्यात कर्ज का हिस्सा कम हुआ है और यह एक "चिंता का विषय" है, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोली उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में. छोटी इकाइयां ऋण के लिए गिरवी की मांग से परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण चुनौती पर गौर करने और संगठनों एवं संस्थानों की ओर से दी गई सूचना के आधार पर समस्यों को दूर करने के लिए आज की बैठक बुलाई गई. गोयल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सब्सिडी से बाहर निकला जाए और निर्यातकों को किफायती दरों पर कर्ज दिया जाए.

उन्होंने कहा कि निर्यातकों पर बोझ करने और वैश्विक स्तर पर निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सबसे स्थिर नीति के साथ एक रूपरेखा बनाने की जरूरत है. यह नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य, सुसंगत और मजबूत हो.

मंत्री ने कहा, "सरकारी संगठनों, निर्यात संवर्धन परिषद और वित्तीय संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है."

गोयल ने उम्मीद जताई है कि आज की बैठक के बाद अगले पांच साल में निर्यात के लिए कर्ज में तीन गुनी वृद्धि होगी.

इस बैठक में वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक, बार्कले बैंक, सिटी इंडिया, बैंक ऑफ अमेरिका एक्जिम बैंक, ईसीजीसी और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल रहे. इसके अलावा, निर्यातक, निर्यात संवर्धन परिषदों और फिक्की समेत उद्योग मंडलों ने भी हिस्सा लिया.

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नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक से निर्यात क्षेत्र के लिए 25 अरब डॉलर (1,73,150 करोड़ रुपये) की ऋण सहायता की व्यवस्था करने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश के निर्यातकों को मिलने वाले कर्ज पर ब्याज की दर लंदन अंतरबैंक ब्याज दर (लिबोर) से ज्यादा से ज्यादा 2 प्रतिशत ऊपर होनी चाहिए.

गोयल ने निर्यात कारोबार के लिए कर्ज की सुविधा के बारे में राजधानी में आयोजित बैठक में निर्यात ऋण में आई गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने आश्वसन दिया कि निर्यातकों को समय पर पूंजी उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास करेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "गोयल ने प्रस्ताव किया है कि निर्यातकों को विदेशी मुद्रा ऋण लिबोर से अधिकतम 2 प्रतिशत ऊंची दर में कर्ज उपलब्ध कराया जाए."

गोयल ने रिजर्व बैंक, निर्य़ात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) और अन्य बैंकों से निर्यातकों को मुनासिब दर पर कर्ज सुलभ कराने के तौर-तरीके तय करने को कहा.

विज्ञप्ति के अनुसार, गोयल ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने विदेशी मुद्रा भंडार से निर्यात क्षेत्र के लिए कम से कम 25 अरब डॉलर की ऋण सहायता उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए. इसके लिए मजबूत बैंकों के साथ मुद्रा अदला-बदली करार करने पर गौर करना चाहिए.  गोयल ने कहा, "किसी भी व्यापारिक गतिविधि के लिए निर्यात कर्ज की समय पर उपलब्धता जरूरी है. यह निर्यात में वृद्धि के लिए अहम है."

निर्यात के लिए ऋण देने में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में गोयल ने यह बात कही. वाणिज्य मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में निर्यात कर्ज का हिस्सा कम हुआ है और यह एक "चिंता का विषय" है, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोली उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में. छोटी इकाइयां ऋण के लिए गिरवी की मांग से परेशान हैं. 

उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण चुनौती पर गौर करने और संगठनों एवं संस्थानों की ओर से दी गई सूचना के आधार पर समस्यों को दूर करने के लिए आज की बैठक बुलाई गई. गोयल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सब्सिडी से बाहर निकला जाए और निर्यातकों को किफायती दरों पर कर्ज दिया जाए.

उन्होंने कहा कि निर्यातकों पर बोझ करने और वैश्विक स्तर पर निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सबसे स्थिर नीति के साथ एक रूपरेखा बनाने की जरूरत है. यह नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य, सुसंगत और मजबूत हो. 

मंत्री ने कहा, "सरकारी संगठनों, निर्यात संवर्धन परिषद और वित्तीय संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है."

गोयल ने उम्मीद जताई है कि आज की बैठक के बाद अगले पांच साल में निर्यात के लिए कर्ज में तीन गुनी वृद्धि होगी. 

इस बैठक में वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक, बार्कले बैंक, सिटी इंडिया, बैंक ऑफ अमेरिका एक्जिम बैंक, ईसीजीसी और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल रहे. इसके अलावा, निर्यातक, निर्यात संवर्धन परिषदों और फिक्की समेत उद्योग मंडलों ने भी हिस्सा लिया.

 


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