नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को 2021-22 के लिये बजट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. यह प्रक्रिया ऐसे समय शुरू हुई है जब कोविड-19 संकट से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को गति देने की जरूरत है. आगामी वित्त वर्ष का बजट काफी महत्वपूर्ण है. इसमें महामारी से प्रभावित राजस्व संग्रह, विनिवेश, व्यय, निर्यात और खाद्य वस्तुओं की कीमतों समेत अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर गौर करने की जरूरत होगी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के अनुसार इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष के दौरान 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.
वित्त मंत्रालय के कार्यक्रम के अनुसार 2020-21 के संशोधित अनुमान (आरई) और 2021-22 के बजट अनुमानों को अंतिम रूप देने के लिये करीब एक महीने चलने वाली प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू हो गई. बैठकें 12 नवंबर तक चलेंगी. कार्यक्रम के अनुसार पहली बैठक में वित्तीय सेवा विभाग के साथ एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), आवास, इस्पात और बिजली क्षेत्र के अधिकारी समेत अन्य शामिल हुए.
वित्त मंत्रालय के बजट विभाग ने एक नोटिस में कहा, ‘‘हालांकि इस साल कोविड-19 स्थिति और शारीरिक दूरी का पालन करने की जरूरत को देखते हुए मंत्रालयों/विभाग से बजट-पूर्व बैठकों में भाग लेने के लिये 5 अधिकारियों की सीमा (प्रत्येक बैठक के लिये) तय की जा सकती है. इसमें निदेशक /उप-सचिव (डीएस) से नीचे के अधिकारी शामिल नहीं होंगे.’’
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यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तीसरा बजट होगा. अगले वित्त वर्ष का बजट एक फरवरी 2021 को पेश किये जाने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ब्रिटिश जमाने से चली आ रही फरवरी के अंत में बजट पेश करने की प्रथा को समाप्त कर दिया.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली नले पहली बार एक फरवरी 2017 को बजट पेश कर इस परिपाटी को समाप्त किया.
आम बजट को फरवरी के अंत में पेश करने के बजाय अब फरवरी की शुरुआत में पेश करने और नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ही पारित किये जाने से मंत्रालया- विभागों को नये वित्त वर्ष की शुरुआत से ही बजट आवंटन हो जाता है और वह अपना काम आगे बढ़ा सकते हैं.
इससे पहले जब फरवरी अंत में बजट पेश होता था तब मई तक ही बजट को पूरी तरह से मंजूरी मिल पाती थी. ऐसे में पहली तिमाही और उसके बाद मानसून आने से मंत्रालयों और विभागों का वास्तविक कामकाज अगस्त अंत अथवा सितंबर से ही शुरू हो पाता था.
(पीटीआई-भाषा)