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जीडीपी गिरने के बावजूद उद्योगों ने जताया आश्चर्य, आंकड़ों को बताया अनुमान से बेहतर

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Published : Nov 28, 2020, 12:03 PM IST

Updated : Nov 28, 2020, 12:31 PM IST

दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट कम होने के साथ उद्योग जगत और विशषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका सार्थक परिणाम दिख रहा है. उन्होंने आने वाले महीनों में पुनरूद्धार की गति में तेजी आने का भरोसा जताया.

जीडीपी गिरने के बावजूद उद्योगों ने जताया आश्चर्य, आंकड़ों को बताया अनुमान से बेहतर
जीडीपी गिरने के बावजूद उद्योगों ने जताया आश्चर्य, आंकड़ों को बताया अनुमान से बेहतर

नई दिल्ली: मौजूदा वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इस बीच इंडिया इंक ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि आंकड़े अनुमान से बेहतर है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को एक प्रमुख आर्थिक वृद्धि अर्जित करने के लिए देश में आगे की समर्थन मांग की ओर ध्यान देना चाहिए.

जीडीपी आंकड़ा एक सुखद आश्चर्य

फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, दूसरी तिमाही में जीडीपी की दर 7.5 प्रतिशत घटी है, जो कि एक सुखद आश्चर्य के रूप में सामने आया है. यह ज्यादातर विश्लेषकों द्वारा अनुमानित प्रत्याशा से बहुत बेहतर है और यह स्पष्ट रूप से दशार्ता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक तेज रिकवरी मोड पर है.

उन्होंने कहा कि हालांकि यह मार्जिनल ही है, मगर एक सकारात्मक विकास है, जो कि दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय कहा जा सकता है.

रेड्डी ने कहा, उच्च आवृत्ति (हाई फ्रीक्वेंसी) के कई संकेतक ग्रीन जोन में आगे बढ़ते हुए तेजी से सुधार दिखा रहे हैं और हमने दूसरी तिमाही के आने वाले कॉपोर्रेट परिणामों में भी सुधार देखा है. ये सभी रुझान काफी आश्वस्त करने वाले हैं और भारतीय उद्योग और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दशार्ते हैं.

सरकार को मांग पर नजर रखना चाहिए

फिक्की की अध्यक्ष ने हालांकि कहा कि आगे बढ़ते हुए, सरकार को मांग (डिमांड) पर कड़ी नजर रखनी चाहिए.

उन्होंने कहा, त्योहारी सीजन दिसंबर तक जारी रहेगा और सरकार द्वारा घोषित पहले के मांग-आधारित उपायों का प्रभाव पड़ेगा, हमें लगता है कि खपत गतिविधि को आगे समर्थन देना महत्वपूर्ण होगा. सरकार केवल सरकारी कर्मचारियों के बजाय उपभोग वाउचर आइडिया को सभी तक पहुंचाने पर विचार कर सकती है.

वहीं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि मार्च 2020 से सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने की दिशा दी है.

अग्रवाल ने कहा, अब आगे बढ़ते हुए, सरकार का ध्यान आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत पेश किए गए कायाकल्प उपायों पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर होगा, जो कि आने वाली तिमाहियों में बढ़ी हुई मांग, रोजगार सृजन, निजी निवेश में वृद्धि, निर्यात आदि क्षेत्रों के विकास के माध्यम से आर्थिक विकास पथ पर कई गुना प्रभाव डालेंगे.

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ने के साथ-साथ निजी निवेश को बढ़ावा देने, देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, इस्पात, सीमेंट और बिजली जैसी वस्तुओं की मांग पैदा करने से आर्थिक विकास दर पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा.

सुधार का इशारा करते हैं प्रमुख उच्च आवृत्ति संकेतक

इसके साथ ही एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही को लेकर हमें सकारात्मक पक्ष पर आश्चर्य व्यक्त करना चाहिए. सूद ने कहा कि कई प्रमुख उच्च आवृत्ति संकेतक आगे सुधार की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भी पटरी पर लौटने की संभावना जताई.

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी के एक बयान में कहा, हम निश्चित हैं कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और तीसरी तिमाही के आंकड़े उस पर प्रतिबिंबित होंगे. हालांकि निजी उपभोग दूसरी तिमाही में कमजोर लग रहा है.

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीडीपी का दूसरी तिमाही का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार को बताता है.

सरकार के प्रयासों का दिख रहा परिणाम

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "सरकार ने प्रोत्साहन देने और सुधारों को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका परिणाम दिख रहा है. उम्मीद है, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में वृद्धि दर सकारात्मक होगी और 2021-22 में दहाई अंक में होगी."

उद्योग मंडल सीआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले दूसरी तिमाही में संकुचन केवल 7.5 प्रतिशत रहा है. इससे 'लॉकडाउन' से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ एक भरोसा बढ़ेगा. स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है."

उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को खोलने को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

बनर्जी ने कहा, "हमें भरोसा है कि यह प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी और वह तीसरी तिमाही में प्रतिबिंबित होगा. हालांकि निजी खपत दूसरी तिमाही में कमजोर जान पड़ता है, लेकिन जो भी संकेत हैं, वे अगली तिमाही में मजबूत खपत की ओर इशारा कर रहे हैं."

आने वाले समय में तेजी से सुधार की संभावना

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के मयूर द्विवेदी ने कहा कि आंकड़ा बेहतर है और अब यह देखना है कि यह गति आगे बनी रहती है या नहीं. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स), बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे हाल के आंकड़ों को देखते हुए आने वाले समय में तेजी से सुधार की संभावना है.

उन्होंने कहा, "जल्दी ही कई प्रभावी टीके आने की संभावना से एक उम्मीद बंधी है कि महामारी देर-सबेर खत्म होगी."

ये भी पढ़ें: निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन

नई दिल्ली: मौजूदा वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इस बीच इंडिया इंक ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि आंकड़े अनुमान से बेहतर है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को एक प्रमुख आर्थिक वृद्धि अर्जित करने के लिए देश में आगे की समर्थन मांग की ओर ध्यान देना चाहिए.

जीडीपी आंकड़ा एक सुखद आश्चर्य

फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, दूसरी तिमाही में जीडीपी की दर 7.5 प्रतिशत घटी है, जो कि एक सुखद आश्चर्य के रूप में सामने आया है. यह ज्यादातर विश्लेषकों द्वारा अनुमानित प्रत्याशा से बहुत बेहतर है और यह स्पष्ट रूप से दशार्ता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक तेज रिकवरी मोड पर है.

उन्होंने कहा कि हालांकि यह मार्जिनल ही है, मगर एक सकारात्मक विकास है, जो कि दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय कहा जा सकता है.

रेड्डी ने कहा, उच्च आवृत्ति (हाई फ्रीक्वेंसी) के कई संकेतक ग्रीन जोन में आगे बढ़ते हुए तेजी से सुधार दिखा रहे हैं और हमने दूसरी तिमाही के आने वाले कॉपोर्रेट परिणामों में भी सुधार देखा है. ये सभी रुझान काफी आश्वस्त करने वाले हैं और भारतीय उद्योग और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दशार्ते हैं.

सरकार को मांग पर नजर रखना चाहिए

फिक्की की अध्यक्ष ने हालांकि कहा कि आगे बढ़ते हुए, सरकार को मांग (डिमांड) पर कड़ी नजर रखनी चाहिए.

उन्होंने कहा, त्योहारी सीजन दिसंबर तक जारी रहेगा और सरकार द्वारा घोषित पहले के मांग-आधारित उपायों का प्रभाव पड़ेगा, हमें लगता है कि खपत गतिविधि को आगे समर्थन देना महत्वपूर्ण होगा. सरकार केवल सरकारी कर्मचारियों के बजाय उपभोग वाउचर आइडिया को सभी तक पहुंचाने पर विचार कर सकती है.

वहीं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि मार्च 2020 से सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने की दिशा दी है.

अग्रवाल ने कहा, अब आगे बढ़ते हुए, सरकार का ध्यान आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत पेश किए गए कायाकल्प उपायों पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर होगा, जो कि आने वाली तिमाहियों में बढ़ी हुई मांग, रोजगार सृजन, निजी निवेश में वृद्धि, निर्यात आदि क्षेत्रों के विकास के माध्यम से आर्थिक विकास पथ पर कई गुना प्रभाव डालेंगे.

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ने के साथ-साथ निजी निवेश को बढ़ावा देने, देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, इस्पात, सीमेंट और बिजली जैसी वस्तुओं की मांग पैदा करने से आर्थिक विकास दर पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा.

सुधार का इशारा करते हैं प्रमुख उच्च आवृत्ति संकेतक

इसके साथ ही एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही को लेकर हमें सकारात्मक पक्ष पर आश्चर्य व्यक्त करना चाहिए. सूद ने कहा कि कई प्रमुख उच्च आवृत्ति संकेतक आगे सुधार की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भी पटरी पर लौटने की संभावना जताई.

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी के एक बयान में कहा, हम निश्चित हैं कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और तीसरी तिमाही के आंकड़े उस पर प्रतिबिंबित होंगे. हालांकि निजी उपभोग दूसरी तिमाही में कमजोर लग रहा है.

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीडीपी का दूसरी तिमाही का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार को बताता है.

सरकार के प्रयासों का दिख रहा परिणाम

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "सरकार ने प्रोत्साहन देने और सुधारों को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका परिणाम दिख रहा है. उम्मीद है, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में वृद्धि दर सकारात्मक होगी और 2021-22 में दहाई अंक में होगी."

उद्योग मंडल सीआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले दूसरी तिमाही में संकुचन केवल 7.5 प्रतिशत रहा है. इससे 'लॉकडाउन' से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ एक भरोसा बढ़ेगा. स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है."

उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को खोलने को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

बनर्जी ने कहा, "हमें भरोसा है कि यह प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी और वह तीसरी तिमाही में प्रतिबिंबित होगा. हालांकि निजी खपत दूसरी तिमाही में कमजोर जान पड़ता है, लेकिन जो भी संकेत हैं, वे अगली तिमाही में मजबूत खपत की ओर इशारा कर रहे हैं."

आने वाले समय में तेजी से सुधार की संभावना

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के मयूर द्विवेदी ने कहा कि आंकड़ा बेहतर है और अब यह देखना है कि यह गति आगे बनी रहती है या नहीं. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स), बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे हाल के आंकड़ों को देखते हुए आने वाले समय में तेजी से सुधार की संभावना है.

उन्होंने कहा, "जल्दी ही कई प्रभावी टीके आने की संभावना से एक उम्मीद बंधी है कि महामारी देर-सबेर खत्म होगी."

ये भी पढ़ें: निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन

Last Updated : Nov 28, 2020, 12:31 PM IST
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