नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यम ने अर्थव्यवस्था की बुनियाद को "बहुत ज्यादा" मजबूत बताते हुए बुधवार को उद्योगों से निवेश शुरू करने का आह्वान किया. छोटी कंपनियों के 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये पर, सुब्रमण्यम ने बड़ी कंपनियों से कहा है कि वह सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उनके बकाये का समय से भुगतान करना सुनिश्चित करें, क्योंकि छोटी कंपनियां उनसे मिलने वाली नकदी पर ही निर्भर हैं.
उद्योग मंडल फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि छोटी कंपनियों का बकाया चुकाने में बड़ी कंपनियां को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा था कि बड़े उद्योगों की कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में दाखिल रिटर्न के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र का 40,000 करोड़ रुपये का बड़ी कंपनियों पर बकाया है.
सुब्रमण्यम ने कहा कि निवेश में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती है. उन्होंने कहा कि कंपनियों को यह समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते सस्ती दर पर श्रम उपलब्ध है और इसलिये यह निवेश का सही समय है. दीर्घकालिक अवधि के लिए निवेश किया जाना चाहिए.
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उन्होंने बताया कि सरकार अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में लगी है. सुब्रमण्यम ने कहा कि "अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक बहुत बहुत मजबूत हैं. अर्थव्यवस्था की मूलभूत स्थिति नहीं बदली है" और यह 7-8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर फिर लौट आएगी.
इस महीने की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया. पहले यह 6.9 प्रतिशत रखा गया था. वहीं, आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
हालांकि, उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है. वहीं रविवार को विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि 2019 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वर्ष 2018 में यह 6.9 प्रतिशत थी.