नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 पेश किया. हालांकि हम दशकों से अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कैसे कर रहे हैं में परिवर्तन आया है, लेकिन सर्वेक्षण का काम वही है, जो भविष्य में नीति निर्माण के स्वर को निर्धारित करता है.
इस दृष्टिकोण से, सर्वेक्षण ने पांच प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वार्षिक बजट पेश करते समय ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
व्यवसाय करने में आसानी में सुधार: सर्वेक्षण ने बताया कि बंदूक प्राप्त करने की तुलना में एक रेस्तरां खोलने के लिए दिल्ली पुलिस से ढाई गुना अधिक अनुमोदन प्राप्त होता है. भारत में एक कंपनी खोलने के लिए आपको दो सप्ताह से अधिक की आवश्यकता है, वहीं न्यूजीलैंड में आधे दिन का समय लगता है.
इस माहौल में उद्यमिता कौन ले सकता है? जाहिर है कि एक मोटी पैसे की थैली और कनेक्शन के साथ. अर्थव्यवस्था के नुकसान और आम लोग नौकरी पाने में ध्यान केंद्रित करते हैं. प्रक्रिया में सबसे बड़ा पीड़ित नवाचार है.
क्रेडिट पैठ में सुधार: सर्वेक्षण ने बताया कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र क्रेडिट पैठ के मामले में अपने समकक्षों से बहुत नीचे है.
कुशल लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता: भारत में विनिर्माण केवल आधा दर्जन राज्यों तक सीमित है. 1000-1500 किमी की दूरी तय करने के लिए कोयले की कीमत लगभग तीन गुना बढ़ जाती है. कुल मिलाकर भारत रसद पर जीडीपी के 14 प्रतिशत से कम नहीं खर्च करता है.
माल भाड़ा टैरिफ के अलावा यात्रा में लगने वाला समय भी दुखद है. सर्वेक्षण बताता है कि भारत से होने वाले निर्यात की तुलना में आयात तेजी से गंतव्य तक पहुंचता है.
रोजगार: दुनिया की किसी भी अर्थव्यवस्था को नौकरियों की जरूरत है, 130 करोड़ लोगों के साथ भारत को और भी अधिक की जरूरत है. प्रक्षेपण के अनुसार जनसंख्या के मामने में हम अगले दो वर्षों में चीन को पार कर जाएंगे.
भारत को सही कौशल के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और लोगों को उद्यमिता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
मुक्त कृषि-अर्थव्यवस्था: खाद्य घाटा अर्थव्यवस्था से लेकर खाद्य अधिशेष अर्थव्यवस्था तक, भारत ने लंबी दूरी तय की है. जो नहीं बदला, वो है कृषि-अर्थव्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप.
प्याज की कीमतों को स्थिर करने के लिए नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि इससे स्टोरेज में निवेश की संभावना खराब हो जाती है.
स्टॉक मार्केट की तरह, हम सीजन की शुरुआत में प्रत्येक कमोडिटी में सर्किट ब्रेकर लगा सकते हैं. एक बार पूर्व-निर्धारित छत के टूट जाने पर सरकार हस्तक्षेप कर सकती है, लेकिन अपने चुनावी संभावनाओं को सुधारने के लिए नहीं.
(प्रतिम रंजन बोस का लेख. विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं)