नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय सेवानिवृत्ति के बाद अनुबंध पर पुन: नियुक्त कर्मचारियों के वेतन संबंधी नियमों पर काम कर रहा है. इसके अलावा मंत्रालय ने नामांकन आधारित नियुक्तियों को न्यूनतम रखने का भी प्रस्ताव किया है.
वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग की ओर से 13 अगस्त को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि कई मंत्रालय/विभाग केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचरियों को सलाहकार रखने सहित अनुबंध पर पुन: नियुक्त करते हैं. लेकिन अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन भुगतान संबंधी नियमों के दिशानिर्देश में कोई एकरूपता नहीं है.
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व्यय विभाग ने सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों की पुन: नियुक्ति पर उनको दिए जाने वाले वेतन के बारे में नियमनों का मसौदा बनाया है. इस पर मंत्रालयों/विभागों से 10 दिन में टिप्पणियां मांगी गई हैं.
विभाग ने कहा कि अनुबंध या ठेके पर काम कर रहे सेवानिवृत्त केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन के नियमनों में एकरूपता होनी चाहिए.
दिशानिर्देशों के मसौदे में कहा गया है कि सेवाकाल के कामकाज के आधार पर नामांकन के जरिये सलाहकार सहित अनुबंध पर खुले विज्ञापन के बिना सेवानिवृत्त कर्मचारियों की नियुक्ति को व्यवहार नहीं बनाया जाना चाहिए और इस तरह की नियुक्ति न्यूनतम होनी चाहिए.
मसौदे में कहा गया है कि इस तरह की नियुक्तियां आधिकारिक कामकाज की जरूरत तथा जनहित को देखते हुए की जानी चाहिए.
वेतन के भुगतान पर इसमें कहा गया है कि इन कर्मचारियों को निश्चित मासिक वेतन दिया जाना चाहिए. यह वेतन उस कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के समय मिल रहे वेतन में से मूल पेंशन को काटकर निकाला जाना चाहिए. इसे उनका वेतन कहा जाना चाहिए.
दिशानिर्देशों के मसौदे में कहा गया है कि अनुबंध के पूरे समय के दौरान वेतन में किसी तरह का बदलाव नहीं होना चाहिए.
इसमें कहा गया है कि आवास किराया भत्ता (एचआरए) दिया जाना चाहिए. हालांकि, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति के अनुमति वाले विशेष व्यवस्था मामलों को इससे अलग रखा जा सकता है.
इस तरह की नियुक्तियों के लिए शुरुआती कार्यकाल एक साल का होना चाहिये और इसे सेवानिवृत्ति की आयु से दो साल अधिक तक बढ़ाया जा सकता है. "किसी भी मामले में यह विस्तार सेवानिवृत्ति आयु के ऊपर पांच साल से अधिक नहीं होना चाहिये."
(पीटीआई-भाषा)