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वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कोविड-19 के बाद ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा की संभावनाओं पर चर्चा की

सलाहकार परिषद ने वित्त आयोग के साथ 25-26 जून को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैठकों में महसूस किया कि अर्थव्यवस्था तथा केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति पर महामारी का प्रभाव अभी भी बहुत अनिश्चित है.

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Published : Jun 26, 2020, 10:42 PM IST

वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कोविड-19 के बाद ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा की संभावनाओं पर चर्चा की
वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कोविड-19 के बाद ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा की संभावनाओं पर चर्चा की

नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कर संग्रह से प्राप्त होने वाले राजस्व पर कोविड-19 महामारी के कारण लगायी गयी पाबंदियों के प्रभाव और ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा की.

सलाहकार परिषद ने वित्त आयोग के साथ 25-26 जून को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैठकों में महसूस किया कि अर्थव्यवस्था तथा केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति पर महामारी का प्रभाव अभी भी बहुत अनिश्चित है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "सलाहकार परिषद ने केंद्र और राज्य सरकारों के कर राजस्व संग्रह पर अर्थव्यवस्था में पाबंदियों के कारण प्रतिकूल प्रभावों पर भी चर्चा की. परिषद के कुछ सदस्यों ने यह माना कि कर संग्रह पर महामारी का काफी असर हो सकता है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कर संग्रह पर महामारी का असर काफी अलग तरह का भी हो सकता है."

पिछले महीने जारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल में बजट अनुमानों का 78 प्रतिशत पहुंच गया और यह 2.79 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसका कारण कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर रोकथाम के लिये देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन के कारण राजस्व का संग्रह कम हो जाना है.

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान 7.96 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत है.

सलाहकार परिषद ने कोविड-19 महामारी के बाद सार्वजनिक ऋण के पुनर्गठन के लिये एक रूपरेखा तैयार करने की बाधाओं और संभावनाओं के साथ-साथ सरकार के घाटे व ऋण पर निहितार्थ के बारे में भी चर्चा की.

ये भी पढ़ें: आइसक्रीम कारोबार पर कोरोना का कहर बरकरार, 40 फीसदी गिरावट का अंदेशा

सदस्यों ने कहा, "व्यय के मामले में सरकारों के पास स्वास्थ्य, गरीब लोगों और अन्य आर्थिक पक्षों के समर्थन में खर्च का काफी बोझ होगा."

महामारी के प्रसार को रोकने के लिये लगाये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. इस बैठक की अध्यक्षता 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने की.

इसमें आयोग के सभी सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. सलाहकार परिषद से, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन, साजिद जेड चिनॉय, प्राची मिश्रा, नीलकंठ मिश्रा और ओमकार गोस्वामी तथा विशेष आमंत्रित सदस्य रतिन रॉय 25 जून की बैठक में शामिल हुए.

जबकि 26 जून की बैठक में सलाहकार परिषद की ओर से अरविंद विरमानी, डीके श्रीवास्तव, एम गोविंद राव और सुदीप्तो मंडल तथा शंकर आचार्य और प्रणव सेन ने भाग लिया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कर संग्रह से प्राप्त होने वाले राजस्व पर कोविड-19 महामारी के कारण लगायी गयी पाबंदियों के प्रभाव और ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा की.

सलाहकार परिषद ने वित्त आयोग के साथ 25-26 जून को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैठकों में महसूस किया कि अर्थव्यवस्था तथा केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति पर महामारी का प्रभाव अभी भी बहुत अनिश्चित है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "सलाहकार परिषद ने केंद्र और राज्य सरकारों के कर राजस्व संग्रह पर अर्थव्यवस्था में पाबंदियों के कारण प्रतिकूल प्रभावों पर भी चर्चा की. परिषद के कुछ सदस्यों ने यह माना कि कर संग्रह पर महामारी का काफी असर हो सकता है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कर संग्रह पर महामारी का असर काफी अलग तरह का भी हो सकता है."

पिछले महीने जारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल में बजट अनुमानों का 78 प्रतिशत पहुंच गया और यह 2.79 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसका कारण कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर रोकथाम के लिये देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन के कारण राजस्व का संग्रह कम हो जाना है.

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान 7.96 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत है.

सलाहकार परिषद ने कोविड-19 महामारी के बाद सार्वजनिक ऋण के पुनर्गठन के लिये एक रूपरेखा तैयार करने की बाधाओं और संभावनाओं के साथ-साथ सरकार के घाटे व ऋण पर निहितार्थ के बारे में भी चर्चा की.

ये भी पढ़ें: आइसक्रीम कारोबार पर कोरोना का कहर बरकरार, 40 फीसदी गिरावट का अंदेशा

सदस्यों ने कहा, "व्यय के मामले में सरकारों के पास स्वास्थ्य, गरीब लोगों और अन्य आर्थिक पक्षों के समर्थन में खर्च का काफी बोझ होगा."

महामारी के प्रसार को रोकने के लिये लगाये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. इस बैठक की अध्यक्षता 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने की.

इसमें आयोग के सभी सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. सलाहकार परिषद से, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन, साजिद जेड चिनॉय, प्राची मिश्रा, नीलकंठ मिश्रा और ओमकार गोस्वामी तथा विशेष आमंत्रित सदस्य रतिन रॉय 25 जून की बैठक में शामिल हुए.

जबकि 26 जून की बैठक में सलाहकार परिषद की ओर से अरविंद विरमानी, डीके श्रीवास्तव, एम गोविंद राव और सुदीप्तो मंडल तथा शंकर आचार्य और प्रणव सेन ने भाग लिया.

(पीटीआई-भाषा)

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