नई दिल्ली: वित्त आयोग ने बुधवार को यहां हुई बैठक में वित्त मंत्रालय के साथ वित्तीय और आर्थिक प्रबंधन पर विचार विमर्श किया. इसके अलावा बैठक में केंद्र सरकार प्रायोजित योजनाओं से जुड़े खर्चों को तर्कसंगत बनाने पर भी चर्चा हुई. बृहस्पतिवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है.
बैठक में 15वें वित्त आयोग ने निष्कर्ष दिया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के आंकड़े मध्यम अवधि में सतत रूप से ऊंची वृद्धि दर का संकेत देते हैं. हालांकि, कुल वैश्विक रुझानों में उतार-चढ़ाव दिखा है.
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बयान में कहा गया है कि खर्च के बारे में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हुई. इन्हें नये जीवन चक्र से जोड़ने पर चर्चा की गयी जिसमें केंद्र प्रायोजित योजनाओं को वित्त आयोगों की सफारिशों के क्रियान्वयन की अवधि के साथ जोड़ने की बात है.
केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है, लेकिन इनका वित्तपोषण केंद्र करता है. हालांकि, इन योजनाओं के खर्च के एक हिस्से का बोझ राज्य सरकारों को भी उठाना पड़ता है.
आयोग ने कहा कि प्रत्यक्ष कर मोर्चे पर राजस्व संग्रह का अनुमान बेहतर है. हालांकि, अप्रत्यक्ष करों के मोर्चे पर इसमें कुछ उतार चढ़ाव है.
इस बैठक में वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन, सीबीडीटी के चेयरमैन पी सी मूडी और सीबीआईसी के चेयरमैन पी के दास शामिल हुए. एन के सिंह की अगुवाई वाले 15वें वित्त आयोग ने पिछले कुछ माह के दौरान मंत्रालय के साथ उदय और सातवें वेतन आयोग पर भी विचार विमर्श किया है.