मुंबई: बिमल जालान समिति रिजर्व बैंक के पास पड़ी 3 लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त पूंजी सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश कर सकती है और इस राशि का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार बढ़ाने में किया जाना चाहिए. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर जालान की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति अपनी रिपोर्ट इस महीने के अंत तक दे सकती है. बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) के अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि समिति अतिरिक्त पूंजी के रूप में 1 से 3 लाख करोड़ रुपये की पहचान कर सकती है.
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यह इस बात पर निर्भर करेगा कि समिति कौन से तरीके को अपनाती है. उनकी राय है कि बढ़ा हुआ गैर-निष्पादित कर्ज के लिये रिजर्व बैंक को अतिरिक्त पूंजी रखने की जरूरत नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार, "वास्तव में हम आर्थिक पुनररूद्धार को समर्थन देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने को लेकर आरबीआई के पास उपलब्ध अतिरिक्त पूंजी के उपयोग का स्वागत करते हैं." आरबीआई कानून पूंजी हस्तांतरण की अनुमति देता है लेकिन इसके लिये शर्त है कि केंद्रीय बैंक 70 लाख डालर के रिजर्व को बनाये रखे.
अतिरिक्त धन हस्तांतरित करने के मुद्दे पर चर्चा के बाद जालान समिति की गठन पिछले साल दिसंबर में किया गया. इस धन से राजकोषीय बाधाओं से जूझ रही सरकर को मदद मिलेगी.