नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के. सुब्रमण्यन ने गुरुवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा आर्थिक मंदी से निपटने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं है.
आर्थिक नीति पर चर्चा के लिए उद्योग और सरकार को एक साथ लाने वाले हीरो माइंडमाइन शिखर सम्मेलन में बोलते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किसी भी राजकोषीय प्रोत्साहन पर निर्णय लेते समय नीति निर्माताओं को सावधान रहने की जरूरत है.
"हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि सरकार कुछ डूबते क्षेत्रों के प्रदर्शन पर हर बार हस्तक्षेप करेगी. सभी क्षेत्र खराब नहीं कर रहे हैं, कुछ क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं." सीईए ने कहा.
इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सीईए के विचारों का समर्थन किया कि, गर्ग ने यह भी कहा कि, देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के दौरान चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही 5.5-5.6 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है.
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कृषि उत्पादन और उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मंदी के कारण पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि 5.8 प्रतिशत रही.
गर्ग का आकलन महत्वपूर्ण है क्योंकि वे इस साल जुलाई तक वित्त सचिव थे. और पिछले वित्त वर्ष से शुरू हुई अधिकांश मंदी के दौरान शीर्ष मंत्रालय में रहे हैं.
पूर्व वित्त सचिव ने अर्थव्यवस्था को कोई प्रोत्साहन देने के बजाय ब्याज दरों में कमी लाने का सुझाव दिया, साथ ही कहा कि बांड दरों में बढ़ोतरी से उद्योगों को और भी अधिक नुकसान होगा.
गर्ग ने यह भी कहा कि वर्तमान में कोई वैश्विक मंदी नहीं है.
सीईए ने कहा कि, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ने राज्य द्वारा संचालित बैंकों के एनपीए में 3 लाख करोड़ रुपये की कटौती करने में मदद की है.