नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे महामारी के झटके से बाहर निकल रही है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया है कि देश के मौद्रिक नीति के ढांचे में किसी तरह के बड़े बदलावों से बांड बाजार प्रभावित हो सकता है.
राजन ने रविवार को कहा कि मौजूदा व्यवस्था ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और वृद्धि को प्रोत्साहन देने में मदद की है. राजन ने कहा कि सरकार का 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य आकांक्षी अधिक है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि महामारी से पहले भी इस लक्ष्य को लेकर सावधानी से गणना नहीं की गई.
पूर्व गवर्नर ने कहा, 'मेरा मानना है कि मौद्रिक नीति प्रणाली ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद की है. इसमें रिजर्व बैंक के लिए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की गुंजाइश भी है. यह सोचना भी मुश्किल है कि यदि यह ढांचा नहीं होता, तो हम कैसे इतना ऊंचा राजकोषीय घाटा झेल पाते.'
एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या वह मौद्रिक नीति के तहत मुद्रास्फीति के दो से छह प्रतिशत के लक्ष्य की समीक्षा के पक्ष में हैं.
रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतिगत दरें तय करती है.
मौजूदा मध्यम अवधि का मुद्रास्फीति लक्ष्य अगस्त, 2016 में अधिसूचित किया गया था. यह इस साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. अगले पांच साल के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इसी महीने अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है.
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इसी परिप्रेक्ष्य में राजन ने कहा, 'यदि हम इस ढांचे में बड़ा बदलाव करते हैं, तो इससे बांड बाजार के प्रभावित होने का जोखिम पैदा होगा.'
सरकार कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए उल्लेखनीय रूप से ऊंचा कर्ज लेने की योजना बना रही है. ऐसे में कुछ हलकों से कुल वित्तीय सेहत को लेकर चिंता जताई जा रही है. बांड पर प्रतिफल भी इस समय ऊपर की ओर जा रहा है.
बजट में निजीकरण पर काफी जोर
सुधार उपायों के बारे में राजन ने कहा कि 2021-22 के बजट में निजीकरण पर काफी जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि निजीकरण को लेकर सरकार का रिकॉर्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार यह कैसे अलग होगा.
राजन ने कहा कि इस बार के बजट में काफी हद तक खर्च तथा प्राप्तियों को लेकर पारदर्शिता दिखती है. पहले के बजट में ऐसा नहीं दिखता था.