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कच्चे तेल के गिरते दाम, स्थिर रुपया आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि का संकेत: गर्ग - Finance Secretary Subhash Chandra Garg

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.

कच्चे तेल के गिरते दाम, स्थिर रुपया आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि का संकेत: गर्ग
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Published : Jun 3, 2019, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि तेल की वैश्विक कीमतों में गिरावट, रुपये में स्थिरता तथा गिरती ब्याज दरें आने वाले महीनों में उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल होने के ठोस संकेतक हैं.

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.

ये भी पढ़ें- ब्रिटिश एयरवेज ने एक दशक के बाद पाकिस्तान उड़ानें बहाल की

उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मांग में वृद्धि तथा वित्तीय स्थिति में बदलाव अच्छी शुरूआत है. विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 52.7 है. कच्चा तेल 60 डालर प्रति बैरल की ओर बढ़ रहा है. सरकारी बांड पर रिटर्न 7 प्रतिशत से नीचे है और रुपया 70 के नीचे मजबूती से टिका है. यह आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल होने के पक्के संकेतक है."

पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) आंकड़े के अनुसार देश के विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन मई में सुधरा है क्योंकि कंपनियों ने मांग स्थिति में सुधार के साथ उत्पादन बढ़ाया है. इससे क्षेत्र में रोजगार सृजित हुआ है.

निक्की इंडिया इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मई में सुधरकर 52.7 रहा जो अप्रैल में 51.8 अंक पर था. यह तीन महीने में क्षेत्र में मजबूत सुधार का संकेत देता है. यह लगातार 22वां महीना है जब विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 50 अंक के स्तर से ऊपर रहा है.

पीएमआई के 50 अंक से ऊपर रहने का तात्पर्य विस्तार होने से है जबकि इससे कम रहने पर इसमें गिरावट का संकेत मिलता है. गर्ग ने पिछले सप्ताह कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती जारी रह सकती है, हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही से वृद्धि जोर पकड़ने लगेगी.

नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि तेल की वैश्विक कीमतों में गिरावट, रुपये में स्थिरता तथा गिरती ब्याज दरें आने वाले महीनों में उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल होने के ठोस संकेतक हैं.

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.

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उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मांग में वृद्धि तथा वित्तीय स्थिति में बदलाव अच्छी शुरूआत है. विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 52.7 है. कच्चा तेल 60 डालर प्रति बैरल की ओर बढ़ रहा है. सरकारी बांड पर रिटर्न 7 प्रतिशत से नीचे है और रुपया 70 के नीचे मजबूती से टिका है. यह आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल होने के पक्के संकेतक है."

पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) आंकड़े के अनुसार देश के विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन मई में सुधरा है क्योंकि कंपनियों ने मांग स्थिति में सुधार के साथ उत्पादन बढ़ाया है. इससे क्षेत्र में रोजगार सृजित हुआ है.

निक्की इंडिया इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मई में सुधरकर 52.7 रहा जो अप्रैल में 51.8 अंक पर था. यह तीन महीने में क्षेत्र में मजबूत सुधार का संकेत देता है. यह लगातार 22वां महीना है जब विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 50 अंक के स्तर से ऊपर रहा है.

पीएमआई के 50 अंक से ऊपर रहने का तात्पर्य विस्तार होने से है जबकि इससे कम रहने पर इसमें गिरावट का संकेत मिलता है. गर्ग ने पिछले सप्ताह कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती जारी रह सकती है, हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही से वृद्धि जोर पकड़ने लगेगी.

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कच्चे तेल के गिरते दाम, स्थिर रुपया आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि का संकेत: गर्ग



नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि तेल की वैश्विक कीमतों में गिरावट, रुपये में स्थिरता तथा गिरती ब्याज दरें आने वाले महीनों में उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल होने के ठोस संकेतक हैं.    

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.8 प्रतिशत रही थी. 

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उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मांग में वृद्धि तथा वित्तीय स्थिति में बदलाव अच्छी शुरूआत है. विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 52.7 है. कच्चा तेल 60 डालर प्रति बैरल की ओर बढ़ रहा है. सरकारी बांड पर रिटर्न 7 प्रतिशत से नीचे है ...रुपया 70 के नीचे मजबूती से टिका है. यह आने वाले समय में उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल होने के पक्के संकेतक है."    

पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) आंकड़े के अनुसार देश के विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन मई में सुधरा है क्योंकि कंपनियों ने मांग स्थिति में सुधार के साथ उत्पादन बढ़ाया है. इससे क्षेत्र में रोजगार सृजित हुआ है.    

निक्की इंडिया इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मई में सुधरकर 52.7 रहा जो अप्रैल में 51.8 अंक पर था. यह तीन महीने में क्षेत्र में मजबूत सुधार का संकेत देता है.    यह लगातार 22वां महीना है जब विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 50 अंक के स्तर से ऊपर रहा है. 

पीएमआई के 50 अंक से ऊपर रहने का तात्पर्य विस्तार होने से है जबकि इससे कम रहने पर इसमें गिरावट का संकेत मिलता है. गर्ग ने पिछले सप्ताह कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती जारी रह सकती है, हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही से वृद्धि जोर पकड़ने लगेगी.


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