वाशिंगटन: विश्वबैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त झटका दिया है. इससे देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन 1991 के उदारीकरण के बाद सबसे खराब रहेगा.
विश्वबैंक ने रविवार को ‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रिपोर्ट में कहा कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 1.5 से 2.8 प्रतिशत के बीच रहेगी. रिपोर्ट में कहा है कि 2019-20 में भारतीय अथव्यवस्था की वृद्धि दर 4.8 से 5 प्रतिशत के बीच रहेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 का झटका ऐसे समय लगा है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से सुस्ती है. इस महामारी पर अंकुश के लिए सरकार ने देशव्यापी पाबंदी लागू की है. इससे लोगों की आवाजाही रुक गई है और वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से घरेलू आपूर्ति और मांग प्रभावित होने के चलते 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 1.5 से 2.8 प्रतिशत रह जाएगी. वैश्विक स्तर पर जोखिम बढ़ने के चलते घरेलू निवेश में सुधार में भी देरी होगी.
रिपोर्ट कहती है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में कोविड-19 का प्रभाव समाप्त होने के बाद अर्थव्यवस्था पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकेगी. हालांकि, इसके लिए अर्थव्यवस्था को वित्तीय और मौद्रिक नीति के समर्थन की जरूरत होगी.
विश्व बैंक की रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के आठ देशों की वृद्धि दर इस साल 1.8 से 2.8 प्रतिशत के बीच रहेगी. छह महीने पहले उसने इसके 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 4.8 से 5 प्रतिशत रहेगी. यह उसके द्वारा अक्टूबर, 2019 में लगाए गए अनुमान से 1.2-1 प्रतिशत कम है. इसी तरह चालू वित्त वर्ष के लिए 1.5-2.8 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान पिछले साल अक्टूबर में लगाए गए अनुमान से 5.4-4.1 प्रतिशत कम है.
संवाददाताओं के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा कि भारत का परिदृश्य अच्छा नहीं है. टिमर ने कहा कि यदि भारत में लॉकडाउन अधिक समय तक जारी रहता है तो यहां आर्थिक परिणाम विश्व बैंक के अनुमान से अधिक बुरे हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को सबसे पहले इस महामारी को और फैलने से रोकना होगा. और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी को भोजन मिल सके.
टिमर ने कहा कि इसके अलावा भारत को विशेष रूप से स्थानीय स्तर पर अस्थायी रोजगार कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. एक सवाल के जवाब में टिमर ने कहा कि इसके साथ ही भारत को लघु एवं मझोले उपक्रमों को दिवालिया होने से बचाना होगा.
(पीटीआई-भाषा)