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कोरोना वायरस से वैश्विक वृद्धि होगी प्रभावित, भारत पर पड़ेगा सीमित प्रभाव: आरबीआई गवर्नर

चीन में फैले खतरनाक विषाणु के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थम सी गयी है और उसका प्रभाव समूचे उद्योग जगत पर देखा जा रहा है.

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कोरोना वायरस से वैश्विक वृद्धि होगी प्रभावित, भारत पर पड़ेगा सीमित प्रभाव: आरबीआई गवर्नर
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Published : Feb 19, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 9:11 PM IST

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोरोना वायरस का भारत पर सीमित प्रभाव ही पड़ेगा लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए वैश्विक जीडीपी और व्यापार पर निश्चित रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि भारत में केवल एक-दो क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है लेकिन उन मसलों से पार पाने के लिये विकल्पों पर गौर किया जा रहा है. चीन में फैले खतरनाक विषाणु के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थम सी गयी है और उसका प्रभाव समूचे उद्योग जगत पर देखा जा रहा है.

दास ने पीटीआई- भाषा से बातचीत में कहा कि देश का औषधि और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र कच्चे माल के लिये काफी हद तक चीन पर निर्भर है और उन पर इसका असर दिख सकता है.

उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से यह मुद्दा है जिस पर भारत या अन्य किसी भी देश में प्रत्येक नीति निर्माताओं को नजर रखने की जरूरत है. हर नीति निर्माता, मौद्रिक प्राधिकरण को कोरोना वायरस मामले में कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है..."

दास ने कहा कि 2003 में फैले सार्स (सेवियर एक्युट रेसपिरेटरी सिंड्रोम) के मुकाबले यह ज्यादा बड़ा है. उस समय चीन की अर्थव्यवस्था में करीब एक प्रतिशत सुस्ती आई थी. सार्स के फैलने के समय चीन छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और वैश्विक जीडीपी में उसका योगदान केवल 4.2 प्रतिशत था. अब यह एशियाई देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक जीडीपी में इसका 16.3 प्रतिशत योगदान है. ऐसे में वहां नरमी का प्रभाव दुनिया भर में दिखेगा.

उन्होंने कहा, "जहां तक भारत का सवाल है कि चीन महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है और सरकार तथा मौद्रिक प्राधिकरण दोनों स्तरों पर नीति निर्माताओं को इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है."

दास ने कहा कि अगर चीन सरकार समस्या को काबू करने में कामयाब होती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत पर प्रभाव कम होगा. भारत के उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि औषधि क्षेत्र चीन से कच्चा माल लेता है.

ये भी पढ़ें: गेल, ऑयल इंडिया और पॉवरग्रिड पर एजीआर संकट बरकरार: फिच

"हमारे पास जो सूचना है कि उसके अनुसार ज्यादातर दवा कंपनियां हमेशा तीन-चार महीने का कच्चा माल रखती हैं. इसीलिए उन्हें स्थिति से निपटने में सक्षम होना चाहिए..."

दास ने कहा कि इसके अलावा भारत मोबाइल हैंडसेट, टीवी सेट और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मामले में चीन पर निर्भर है. "लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमारे विनिर्माता कच्चे माल के वैकल्पिक स्रोत तैयार करने में सक्षम रहे हैं."

इस खतरनाक विषाणु के कारण चीन के 11 प्रांतों में अवकाश की घोषणा की गयी है. इस बीच, चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बुधवार को 2,000 को पार कर गयी. इसके कारण 136 और लोगों की मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार वहीं इससे प्रभावित लोगों की संख्या बढ़कर 74,185 तक पहुंच गयी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोरोना वायरस का भारत पर सीमित प्रभाव ही पड़ेगा लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए वैश्विक जीडीपी और व्यापार पर निश्चित रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि भारत में केवल एक-दो क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है लेकिन उन मसलों से पार पाने के लिये विकल्पों पर गौर किया जा रहा है. चीन में फैले खतरनाक विषाणु के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थम सी गयी है और उसका प्रभाव समूचे उद्योग जगत पर देखा जा रहा है.

दास ने पीटीआई- भाषा से बातचीत में कहा कि देश का औषधि और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र कच्चे माल के लिये काफी हद तक चीन पर निर्भर है और उन पर इसका असर दिख सकता है.

उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से यह मुद्दा है जिस पर भारत या अन्य किसी भी देश में प्रत्येक नीति निर्माताओं को नजर रखने की जरूरत है. हर नीति निर्माता, मौद्रिक प्राधिकरण को कोरोना वायरस मामले में कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है..."

दास ने कहा कि 2003 में फैले सार्स (सेवियर एक्युट रेसपिरेटरी सिंड्रोम) के मुकाबले यह ज्यादा बड़ा है. उस समय चीन की अर्थव्यवस्था में करीब एक प्रतिशत सुस्ती आई थी. सार्स के फैलने के समय चीन छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और वैश्विक जीडीपी में उसका योगदान केवल 4.2 प्रतिशत था. अब यह एशियाई देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक जीडीपी में इसका 16.3 प्रतिशत योगदान है. ऐसे में वहां नरमी का प्रभाव दुनिया भर में दिखेगा.

उन्होंने कहा, "जहां तक भारत का सवाल है कि चीन महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है और सरकार तथा मौद्रिक प्राधिकरण दोनों स्तरों पर नीति निर्माताओं को इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है."

दास ने कहा कि अगर चीन सरकार समस्या को काबू करने में कामयाब होती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत पर प्रभाव कम होगा. भारत के उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि औषधि क्षेत्र चीन से कच्चा माल लेता है.

ये भी पढ़ें: गेल, ऑयल इंडिया और पॉवरग्रिड पर एजीआर संकट बरकरार: फिच

"हमारे पास जो सूचना है कि उसके अनुसार ज्यादातर दवा कंपनियां हमेशा तीन-चार महीने का कच्चा माल रखती हैं. इसीलिए उन्हें स्थिति से निपटने में सक्षम होना चाहिए..."

दास ने कहा कि इसके अलावा भारत मोबाइल हैंडसेट, टीवी सेट और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मामले में चीन पर निर्भर है. "लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमारे विनिर्माता कच्चे माल के वैकल्पिक स्रोत तैयार करने में सक्षम रहे हैं."

इस खतरनाक विषाणु के कारण चीन के 11 प्रांतों में अवकाश की घोषणा की गयी है. इस बीच, चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बुधवार को 2,000 को पार कर गयी. इसके कारण 136 और लोगों की मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार वहीं इससे प्रभावित लोगों की संख्या बढ़कर 74,185 तक पहुंच गयी है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 1, 2020, 9:11 PM IST
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