ETV Bharat / business

कोरोना वायरस प्रभाव: खाद्य तेलों की मांग मार्च-अप्रैल के दौरान घटने की संभावना

देश की कुल खाद्य तेल की मांग का 40 प्रतिशत भाग होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' का होता है. देश में खाद्य तेल की वार्षिक मांग 23 करोड़ टन का है.

कोरोना वायरस प्रभाव: खाद्य तेलों की मांग मार्च-अप्रैल के दौरान घटने की संभावना
कोरोना वायरस प्रभाव: खाद्य तेलों की मांग मार्च-अप्रैल के दौरान घटने की संभावना
author img

By

Published : Mar 30, 2020, 4:07 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये देशव्यापी 'लॉकडाउनन' के कारण होटल और रेस्तरां के बंद होने से कम- से-कम मार्च-अप्रैल के दौरान खाद्य तेलों की मांग में गिरावट आने की संभावना है.

देश की कुल खाद्य तेल की मांग का 40 प्रतिशत भाग होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' का होता है. देश में खाद्य तेल की वार्षिक मांग 23 करोड़ टन का है.

भारतीय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स संघ (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि खाद्य तेल आयात और इसके प्रसंस्करण की गतिविधियों में भी कमी आई है, लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है.

मेहता ने कहा, "खाद्य तेल की मासिक खपत 18-19 लाख टन प्रति माह है. होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' बंद हो जाने से निश्चित रूप से मांग में गिरावट आएगी.

हालांकि, उन्होंने कहा कि गिरावट की सीमा का अनुमान लगाना मुश्किल होगा क्योंकि लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू खपत में थोड़ी वृद्धि हो सकती है. मेहता ने कहा कि वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेल) का आयात भी धीमा हो गया है, लेकिन उपलब्धता के बारे में कोई चिंता नहीं है.

मेहता ने कहा, "हमारे पास आयातित तेल का पर्याप्त स्टॉक है। सरसों के तेल का स्थानीय उत्पादन हो रहा है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरसों की फसल की कटाई चल रही है, इसलिए सभी स्थानीय खाद्य तेल प्रसंस्करण करने वाली मिलें काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी की कुछ समस्या और 'लॉजिस्टिक' की दिक्कतें हैं, लेकिन इनका हल निकाला जा रहा है. भारत में खाद्य तेल की कुल मांग सालाना लगभग 230 लाख टन की है, जो कि बड़े पैमाने पर आयात के माध्यम से पूरा किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों से लॉकडाउन में प्रीपेड वैधता बढ़ाने के लिए कहा

देश में मलेशिया और इंडोनेशिया से पामतेल का आयात होता है, जबकि सोयाबीन का आयात अर्जेंटीना और ब्राजील से होता है. विपणन वर्ष 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) में भारत का वनस्पति तेल आयात 3.5 प्रतिशत बढ़कर 155.5 लाख टन हो गया.

खाद्य तेलों का आयात विपणन वर्ष 2018-19 में बढ़कर 149.13 लाख टन हो गया, जो उसके पिछले वर्ष 145.16 लाख टन था, जबकि समीक्षाधीन अवधि के दौरान अखाद्य तेलों का आयात पहले के 5,09,748 टन से बढ़कर 6,36,159 टन हो गया.

मौजूदा तेल वर्ष की नवंबर 2019 से फरवरी 2020 की अवधि के दौरान, तेलों का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 48,62,849 टन की तुलना में 6.1 प्रतिशत घटकर 45,63,791 टन रह गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये देशव्यापी 'लॉकडाउनन' के कारण होटल और रेस्तरां के बंद होने से कम- से-कम मार्च-अप्रैल के दौरान खाद्य तेलों की मांग में गिरावट आने की संभावना है.

देश की कुल खाद्य तेल की मांग का 40 प्रतिशत भाग होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' का होता है. देश में खाद्य तेल की वार्षिक मांग 23 करोड़ टन का है.

भारतीय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स संघ (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि खाद्य तेल आयात और इसके प्रसंस्करण की गतिविधियों में भी कमी आई है, लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है.

मेहता ने कहा, "खाद्य तेल की मासिक खपत 18-19 लाख टन प्रति माह है. होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' बंद हो जाने से निश्चित रूप से मांग में गिरावट आएगी.

हालांकि, उन्होंने कहा कि गिरावट की सीमा का अनुमान लगाना मुश्किल होगा क्योंकि लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू खपत में थोड़ी वृद्धि हो सकती है. मेहता ने कहा कि वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेल) का आयात भी धीमा हो गया है, लेकिन उपलब्धता के बारे में कोई चिंता नहीं है.

मेहता ने कहा, "हमारे पास आयातित तेल का पर्याप्त स्टॉक है। सरसों के तेल का स्थानीय उत्पादन हो रहा है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरसों की फसल की कटाई चल रही है, इसलिए सभी स्थानीय खाद्य तेल प्रसंस्करण करने वाली मिलें काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी की कुछ समस्या और 'लॉजिस्टिक' की दिक्कतें हैं, लेकिन इनका हल निकाला जा रहा है. भारत में खाद्य तेल की कुल मांग सालाना लगभग 230 लाख टन की है, जो कि बड़े पैमाने पर आयात के माध्यम से पूरा किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों से लॉकडाउन में प्रीपेड वैधता बढ़ाने के लिए कहा

देश में मलेशिया और इंडोनेशिया से पामतेल का आयात होता है, जबकि सोयाबीन का आयात अर्जेंटीना और ब्राजील से होता है. विपणन वर्ष 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) में भारत का वनस्पति तेल आयात 3.5 प्रतिशत बढ़कर 155.5 लाख टन हो गया.

खाद्य तेलों का आयात विपणन वर्ष 2018-19 में बढ़कर 149.13 लाख टन हो गया, जो उसके पिछले वर्ष 145.16 लाख टन था, जबकि समीक्षाधीन अवधि के दौरान अखाद्य तेलों का आयात पहले के 5,09,748 टन से बढ़कर 6,36,159 टन हो गया.

मौजूदा तेल वर्ष की नवंबर 2019 से फरवरी 2020 की अवधि के दौरान, तेलों का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 48,62,849 टन की तुलना में 6.1 प्रतिशत घटकर 45,63,791 टन रह गया है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.