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कोरोना संकट का किफायती आवास उद्यम पर पड़ सकता है बुरा असर - कोविड 19

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब 24 मार्च की मध्यरात्रि को 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो सात प्रमुख शहरों में लगभग 6.1 लाख किफायती आवास इकाइयां निमार्णाधीन थीं, जहां का काम अब ठप पड़ा हुआ है.

कोरोना संकट का किफायती आवास उद्यम पर पड़ सकता है बुरा असर
कोरोना संकट का किफायती आवास उद्यम पर पड़ सकता है बुरा असर
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Published : Apr 8, 2020, 4:27 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संकट और भारत में लागू लॉकडाउन देश के किफायती आवास उद्यम को बुरी तरह प्रभावित करेंगे. अनारोक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब 24 मार्च की मध्यरात्रि को 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो सात प्रमुख शहरों में लगभग 6.1 लाख किफायती आवास इकाइयां निमार्णाधीन थीं, जहां का काम अब ठप पड़ा हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "कोविड-19 महामारी 2020 में किफायती आवास के विकास की गति को पटरी से उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह सबसे बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में से एक होगा. लॉकडाउन की घोषणा होने पर शीर्ष सात शहरों में 6.1 लाख सस्ती इकाइयां निमार्णाधीन थीं. यह शीर्ष सात शहरों में कुल 15.62 लाख निर्माणाधीन इकाइयों का 39 प्रतिशत से अधिक है, जो कि सभी बजट श्रेणियों का उच्चतम हिस्सा है."

यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान किफायती घरों की मांग अपेक्षाकृत अच्छी रही है.

इस तरह पहले से ही मंदी की मार झेल रहे भारतीय रियल्टी क्षेत्र को एक बड़ा झटका लगने वाला है. क्योंकि किफायती आवास के सहारे ही बाजार से जुड़े लोग मुनाफे की बाट जोह रहे थे, जिन्होंने पिछले पांच से छह वर्षों में लक्जरी और मध्य-श्रेणी के आवासों की मांग को गिरते हुए देखा है. यही कारण है कि उन्हें किफायती आवास से ही कुछ उम्मीदें थीं, जिसमें लॉकडाउन के बाद मांग बने रहने की उम्मीदें नहीं दिखाई दे रही हैं.

2020 की पहली तिमाही के अंत में शीर्ष सात शहरों में 2.34 लाख से अधिक बिना बिके हुए किफायती घर शामिल हैं, जो सभी बजट श्रेणियों में कुल बिना बिके हुए (अनसोल्ड स्टॉक) का 36 प्रतिशत है.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन: आलू, प्याज के दाम नरम, टमाटर हुआ महंगा

अनारोक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में शीर्ष सात शहरों में शामिल 40 प्रतिशत से अधिक नई सप्लाई किफायती खंड (40 लाख रुपये से कम की इकाइयां) में हुई है. इसके परिणामस्वरूप लगभग 6.1 लाख की बड़ी निर्माणाधीन सप्लाई किफायती खंड में ही हुई है."

पुरी ने कहा कि किफायती आवास को खरीदने वाले लोगों के पास आमतौर पर सीमित आय और बेरोजगारी की आशंकाएं बढ़ने की संभावना है. इसलिए 2020 में उनके द्वारा संपत्ति खरीदने के निर्णय प्रभावित हो सकते हैं. इसी वजह से अंतत: किफायती आवास क्षेत्र में होने वाली वृद्धि को बड़ा झटका लग सकता है.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संकट और भारत में लागू लॉकडाउन देश के किफायती आवास उद्यम को बुरी तरह प्रभावित करेंगे. अनारोक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब 24 मार्च की मध्यरात्रि को 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो सात प्रमुख शहरों में लगभग 6.1 लाख किफायती आवास इकाइयां निमार्णाधीन थीं, जहां का काम अब ठप पड़ा हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "कोविड-19 महामारी 2020 में किफायती आवास के विकास की गति को पटरी से उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह सबसे बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में से एक होगा. लॉकडाउन की घोषणा होने पर शीर्ष सात शहरों में 6.1 लाख सस्ती इकाइयां निमार्णाधीन थीं. यह शीर्ष सात शहरों में कुल 15.62 लाख निर्माणाधीन इकाइयों का 39 प्रतिशत से अधिक है, जो कि सभी बजट श्रेणियों का उच्चतम हिस्सा है."

यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान किफायती घरों की मांग अपेक्षाकृत अच्छी रही है.

इस तरह पहले से ही मंदी की मार झेल रहे भारतीय रियल्टी क्षेत्र को एक बड़ा झटका लगने वाला है. क्योंकि किफायती आवास के सहारे ही बाजार से जुड़े लोग मुनाफे की बाट जोह रहे थे, जिन्होंने पिछले पांच से छह वर्षों में लक्जरी और मध्य-श्रेणी के आवासों की मांग को गिरते हुए देखा है. यही कारण है कि उन्हें किफायती आवास से ही कुछ उम्मीदें थीं, जिसमें लॉकडाउन के बाद मांग बने रहने की उम्मीदें नहीं दिखाई दे रही हैं.

2020 की पहली तिमाही के अंत में शीर्ष सात शहरों में 2.34 लाख से अधिक बिना बिके हुए किफायती घर शामिल हैं, जो सभी बजट श्रेणियों में कुल बिना बिके हुए (अनसोल्ड स्टॉक) का 36 प्रतिशत है.

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अनारोक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में शीर्ष सात शहरों में शामिल 40 प्रतिशत से अधिक नई सप्लाई किफायती खंड (40 लाख रुपये से कम की इकाइयां) में हुई है. इसके परिणामस्वरूप लगभग 6.1 लाख की बड़ी निर्माणाधीन सप्लाई किफायती खंड में ही हुई है."

पुरी ने कहा कि किफायती आवास को खरीदने वाले लोगों के पास आमतौर पर सीमित आय और बेरोजगारी की आशंकाएं बढ़ने की संभावना है. इसलिए 2020 में उनके द्वारा संपत्ति खरीदने के निर्णय प्रभावित हो सकते हैं. इसी वजह से अंतत: किफायती आवास क्षेत्र में होने वाली वृद्धि को बड़ा झटका लग सकता है.

(आईएएनएस)

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