हैदराबाद: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर अपना हमला किया. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार देश में मौजूदा आर्थिक संकट के प्रबंधन में पूरी तरह से विफल है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए चिदंबरम ने कुछ सवाल उठाते हुए कहा, "भाजपा सरकार देश में गहराते आर्थिक आर्थिक संकट को कब स्वीकार करेगी? प्रधानमंत्री अपनी विफलता और अपने आर्थिक प्रबंधकों की विफलता को कब स्वीकार करेंगे?"
बाद में ट्वीट्स की एक श्रृंखला में चिदंबरम ने बताया कि कैसे भारत के दो प्रमुख उद्योग दूरसंचार और विमानन अब जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. खासकर कोरोना वायरस वायरस के फैलने के बाद देश की आर्थिक वृद्धि ठप हो गई है.
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वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा, "क्या सरकार को पता है कि हमारी एक बड़ी दूरसंचार कंपनी पतन के कगार पर है और सरकार के पास संघर्षरत दूरसंचार उद्योग को बचाने की कोई योजना नहीं है?"
वोडाफोन आइडिया वर्तमान में अस्तित्व के लिए लड़ रहा है क्योंकि यह सरकार को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि का भुगतान करने के लिए धन जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है. दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा मांग के अनुसार कंपनी को 58,254 करोड़ रुपये का भुगतान करना है.
भारती एयरटेल के अध्यक्ष सुनील मितल ने भी भारत की दूरसंचार नीति पर बार-बार चिंता व्यक्त की है. मंगलवार को जारी वित्त वर्ष 19-20 के लिए एयरटेल शेयरधारकों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में एक संदेश में मित्तल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लंबे समय से कानूनी विवाद और नियामक शुल्क भारतीय दूरसंचार कंपनियों के प्रदर्शन को कैसे बर्बाद कर रहें हैं.
मित्तल ने कहा, "भारत में अब भी दुनिया का सबसे सस्ता डाटा दिया जा रहा है. सेक्टर बमुश्किल अपनी पूंजीगत लागत को वसूल पाता है. सेक्टर को गहरे वित्तीय नुकसान की भरपाई और टेलीकॉम ऑपरेटर्स को फ्यूचर टेक्नोलॉजी में निवेश करने लायक बनाने के लिए काफी सहयोग की जरूरत है."
चिदंबरम ने विमानन क्षेत्र के बारे में भी बात करते हुए कहा, "क्या सरकार को पता है कि विमानन उद्योग को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है और उनमें से कईयों का हाल एयर इंडिया के जैसा हो सकता है. जब तक कि सरकार एक बचाव योजना के साथ कदम नहीं उठाती है?"
उन्होंने कहा, "पिछले 12 महीनों में लाखों लोगों ने अपनी नौकरी या आजीविका खो दी है. दो प्रमुख उद्योगों दूरसंचार और विमानन के पतन से कई हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का खत्म हो गई है."
पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रहे विमानन क्षेत्र को और भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कोविड-19 के बाद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों एयरलाइन संचालन को रोक दिया गया था. हालांकि, परिचालन अब आंशिक रूप से फिर से शुरू हो गया है, लेकिन सेक्टर अभी भी खराब यात्री यातायात से निपट रहा है. विमानन कंसल्टेंसी कैप इंडिया के अनुसार देश के विमानन क्षेत्र में जून तिमाही में 3 बिलियन -3.6 बिलियन डॉलर का भारी नुकसान होने की संभावना है.
(ईटीवी भारत रिपोर्ट)