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RBI की सरकारों को सलाह, आर्थिक गिरावट रोकने के लिए जारी रखे राजकोषीय उपाय - राजकोषीय उपाय

केंद्रीय बैंक के एक छमाही समीक्षा अंक में मौजूदा महामारी के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक वृद्धि की गति बरकरार रखने के लिए राजकोषीय उपायों को बनाए रखने की जरूरत को बताया है.

आरबीआई लेख में सरकारों को सलाह, आर्थिक गिरावट रोकने के लिए जारी रखे राजकोषीय उपाय
आरबीआई लेख में सरकारों को सलाह, आर्थिक गिरावट रोकने के लिए जारी रखे राजकोषीय उपाय
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Published : Dec 26, 2020, 12:00 PM IST

Updated : Dec 26, 2020, 12:52 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्ब बैंक के एक लेख के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए राजकोषीय उपायों को जारी रखने की जरूरत है. अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान गिरावट से निपटने की नीति का अर्थ सरकार द्वारा करों को कम करने और व्यय बढ़ाने से है.

आरबीआई की - 'सरकारी वित्त 2020-21- छमाही समीक्षा' में एक लेख में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर 2020 में पूंजीगत व्यय ठप हो गया.

अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए खास कर स्वास्थ्य, सस्ते मकान , शिक्षा और पर्यावरण क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाना जरूरी है.

रिजर्व बैंक के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के राजकोषीय प्रभाग के राहुल अग्रवाल, इप्सिता पाढी, सुधांशु गोयल, समीर रंजन बेहरा और संगीता मिश्रा द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है चालू वित्त वर्ष में पहले चार महीनों (जुलाई तक) में ही राजकोषीय घाटा पूरे साल के अनुमानित घाटे से ऊपर चला गया और अक्टूबर में यह बजट अनुमान के 119.7 प्रतिशत के बराबार था.

इस लेख में कहा गया है कि, "आर्थिक मंदी का प्रभाव राजस्व पक्ष पर गंभीर रहा है, जबकि व्यय काफी हद तक बाधित है. यह प्रभाव 2020-21 की पहली तिमारी बहुत हद तक देखने को मिला, जबकि दूसरी तिमाही में कुछ सुधार के संकेत हैं."

ये भी पढ़ें : जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग को लेकर कैट ने लिखा वित्त मंत्री को पत्र

इस तरह के लेख को केंद्रीय बैंक की राय नहीं माना जाता. लेख में आगे कहा गया, "सरकारी वित्त पर कोविड-19 का सबसे गंभीर प्रभाव देखने को मिला है और इस कारण केंद्र और राज्यों के लिए मंदी के खिलाफ राजकोषीय समर्थन जारी रखने की गुंजाइश है, जो सुधार की गति को बनाए रखने के लिए आवश्यक है."

यह लेख प्रत्येक छह महीने पर केंद्र, राज्यों और उनके संयुक्त वित्त का संकलन एवं विश्लेषण प्रस्तुत करता है. ताजा लेख इस श्रृंखला में तीसरा लेख है. लेख में आगे कहा गया कि स्वास्थ्य, सामाजिक आवासीय योजनाओं, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण में सार्वजनिक निवेश वक्त की जरूरत है.

आरबीआई ने आगे कहा कि सरकार को कुशलता के साथ राजकोषीय समर्थन और ऋण-घाटा असंतुलन के बीच तालमेल बैठाना होगा.

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि में 23.9 प्रतिशत गिरावट आई थी, हालांकि दूसरी तिमाही में संकुचन 7.5 प्रतिशत तक सीमित रहा और तीसरी तिमाही में वृद्धि सकारात्मक रहने की उम्मीद है.

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्ब बैंक के एक लेख के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए राजकोषीय उपायों को जारी रखने की जरूरत है. अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान गिरावट से निपटने की नीति का अर्थ सरकार द्वारा करों को कम करने और व्यय बढ़ाने से है.

आरबीआई की - 'सरकारी वित्त 2020-21- छमाही समीक्षा' में एक लेख में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर 2020 में पूंजीगत व्यय ठप हो गया.

अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए खास कर स्वास्थ्य, सस्ते मकान , शिक्षा और पर्यावरण क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाना जरूरी है.

रिजर्व बैंक के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के राजकोषीय प्रभाग के राहुल अग्रवाल, इप्सिता पाढी, सुधांशु गोयल, समीर रंजन बेहरा और संगीता मिश्रा द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है चालू वित्त वर्ष में पहले चार महीनों (जुलाई तक) में ही राजकोषीय घाटा पूरे साल के अनुमानित घाटे से ऊपर चला गया और अक्टूबर में यह बजट अनुमान के 119.7 प्रतिशत के बराबार था.

इस लेख में कहा गया है कि, "आर्थिक मंदी का प्रभाव राजस्व पक्ष पर गंभीर रहा है, जबकि व्यय काफी हद तक बाधित है. यह प्रभाव 2020-21 की पहली तिमारी बहुत हद तक देखने को मिला, जबकि दूसरी तिमाही में कुछ सुधार के संकेत हैं."

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इस तरह के लेख को केंद्रीय बैंक की राय नहीं माना जाता. लेख में आगे कहा गया, "सरकारी वित्त पर कोविड-19 का सबसे गंभीर प्रभाव देखने को मिला है और इस कारण केंद्र और राज्यों के लिए मंदी के खिलाफ राजकोषीय समर्थन जारी रखने की गुंजाइश है, जो सुधार की गति को बनाए रखने के लिए आवश्यक है."

यह लेख प्रत्येक छह महीने पर केंद्र, राज्यों और उनके संयुक्त वित्त का संकलन एवं विश्लेषण प्रस्तुत करता है. ताजा लेख इस श्रृंखला में तीसरा लेख है. लेख में आगे कहा गया कि स्वास्थ्य, सामाजिक आवासीय योजनाओं, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण में सार्वजनिक निवेश वक्त की जरूरत है.

आरबीआई ने आगे कहा कि सरकार को कुशलता के साथ राजकोषीय समर्थन और ऋण-घाटा असंतुलन के बीच तालमेल बैठाना होगा.

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि में 23.9 प्रतिशत गिरावट आई थी, हालांकि दूसरी तिमाही में संकुचन 7.5 प्रतिशत तक सीमित रहा और तीसरी तिमाही में वृद्धि सकारात्मक रहने की उम्मीद है.

Last Updated : Dec 26, 2020, 12:52 PM IST
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